Bk suresh pal bhai shimla anubhavgatha

बी के सुरेश पाल भाई – अनुभवगाथा

शिमला से ब्रह्माकुमार सुरेश पाल भाई जी लिखते हैं कि मैंने पहले अपनी लौकिक बड़ी बहन जी से ईश्वरीय ज्ञान सुना था। एक बार 27 मार्च, 1963 के दिन अचानक अपनी ही प्रेरणा से दिल्ली, विजय नगर सेवाकेन्द्र पर जाना हुआ। जैसे ही मैंने सेन्टर में प्रवेश किया बाबा का चित्र देखकर ऐसा प्रतीत हुआ कि जो पाना था सो आज पा लिया। फिर एक माताजी से परिचय हुआ। माताजी ने आत्मा, परमात्मा का सत्य परिचय दिया, उसके थोड़ी देर बाद जैसे ही वहाँ की इंचार्ज बहनजी आयीं तो उनके द्वारा मुझे देवी का साक्षात्कार हुआ और मेरी आश पूरी हो गयी। बस उसी दिन से मैं ईश्वरीय सेवा में तत्पर हूँ।

मधुबन जाकर बाबा से मधुर मिलन मनाने में एक अनोखा अनुभव प्राप्त किया।

2 अगस्त, 1965 को पहली बार मधुबन गया। मधुबन में जैसे ही प्रवेश किया गेट पर विश्वरतन दादा जी ने मुझे गले लगाया और बहुत प्यार किया। मैंने सोचा कि यही वह ब्रह्मा बाबा है जिनका चित्र मैंने देखा था परन्तु उसी दिन सायंकाल को बाबा साधारण वेष में मिले तब अच्छी तरह पहचान हुई। दूसरे दिन जैसे ही बाबा से मुरली सुनी, विश्वास हुआ कि परमपिता परमात्मा द्वारा जो ज्ञान सुनाया जा रहा है, यह वही सच्चा गीता ज्ञान है।

बाबा हर कार्य में अथक थे।

जब पहली बार बाबा से मुलाक़ात हुई तो ऐसे लगा जैसेकि बहुत दिनों के बाद मिला हूँ। मैं फिर बाबा के चरणों में झुका तो बाबा ने एकदम स्नेहपूर्वक उठाकर गले से लगाया और कहा ‘बच्चे, किसी के आगे झुकना नहीं। आप तो बालक सो आने वाली सृष्टि के मालिक हो।’ बाबा से बहुत स्नेह मिला और मन में ऐसे आया कि जो इच्छा थी वह आज पूर्ण हो गयी। सच्चा बाप इस धरती पर मिल गया। पन्द्रह दिन बाबा के संग रहा, बाबा से बहुत-बहुत प्यार पाया। बाबा कर्मयोगी थे। एक दिन बाबा मुझे अंगुली पकड़कर एक कमरे में ले गये जहाँ से कुछ सामान दूसरे कमरे में रखना था। बाबा और मैं सामान उठाने लगे, थोड़ी देर बाद मैं थक गया परन्तु बाबा फिर भी लगे रहे, वे थके नहीं। बाबा हर कार्य में अथक थे।

बच्चे, ऐसे बहुत लोग आयेंगे, इनके चक्कर में नहीं आना

बाबा से फिर शिमला सेन्टर के बारे में बात की। बाबा ने कहा, हाँ बच्चे, ज़रूर सेवाकेन्द्र भी खुलेगा। सन् 1969 में शिमला में सेवाकेन्द्र भी खुल गया। एक बार मैं दिल्ली से शिमला पहुंचा था। उतने में एक बुज़ुर्ग मेरे पास आकर बैठा और कहने लगा कि दिल्ली में मेरी बहुत जायदाद है, मैं आपको बेटा बनाना चाहता हूँ। वह दो-तीन दिन लगातार मेरे पास आता रहा। फिर मैंने बाबा को पत्र लिखा तो बाबा ने लिखा, ‘बच्चे, ऐसे बहुत लोग आयेंगे, इनके चक्कर में नहीं आना।’

मुझे बाबा ने इस ज्ञान-यज्ञ में सेवा करने का सौभाग्य दिया है। इससे बड़ा भाग्य और कौन-सा हो सकता है!

मुख्यालय एवं नज़दीकी सेवाकेंद्र

Mamma anubhavgatha

मम्मा की कितनी महिमा करें, वो तो है ही सरस्वती माँ। मम्मा में सतयुगी संस्कार इमर्ज रूप में देखे। बाबा की मुरली और मम्मा का सितार बजाता हुआ चित्र आप सबने भी देखा है। बाबा के गीत बड़े प्यार से

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Bk kamla didi patiala anubhav gatha

ब्रह्माकुमारी कमला बहन जी, पटियाला से, अपने आध्यात्मिक अनुभव साझा करते हुए बताती हैं कि 1958 में करनाल सेवाकेन्द्र पर पहली बार बाबा से मिलने के बाद, उनके जीवन में एक अद्भुत परिवर्तन आया। बाबा की पहली झलक ने उनके

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Bk gyani didi punjab anubhavgatha

ब्रह्माकुमारी ज्ञानी बहन जी, दसुआ, पंजाब से, अपने साकार बाबा के साथ अनुभव साझा करती हैं। 1963 में पहली बार बाबा से मिलने पर उन्हें श्रीकृष्ण का छोटा-सा रूप दिखायी दिया | बाबा ने उनकी जन्मपत्री पढ़ते हुए उन्हें त्यागी,

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Dadi ratanmohini bhagyavidhata

ब्रह्माकुमारी दादी रतनमोहिनी जी कहती हैं कि हम बहनें बाबा के साथ छोटे बच्चों की तरह बैठते थे। बाबा के साथ चिटचैट करते, हाथ में हाथ देकर चलते और बोलते थे। बाबा के लिए हमारी सदा ऊँची भावनायें थीं और

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Bk brijmohan bhai ji anubhavgatha

भारत में प्रथा है कि पहली तनख्वाह लोग अपने गुरु को भेजते हैं। मैंने भी पहली तनख्वाह का ड्राफ्ट बनाकर रजिस्ट्री करवाकर बाबा को भेज दिया। बाबा ने वह ड्राफ्ट वापस भेज दिया और मुझे कहा, किसके कहने से भेजा?

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Bk kailash didi gujrati anubhavgatha

गाँधी नगर, गुजरात से कैलाश दीदी ने अपने अनुभव साझा किए हैं कि उनकी जन्मपत्री में लिखा था कि वे 25 वर्ष की आयु में मर जाएँगी। 1962 में बाबा के पास जाने पर बाबा ने कहा कि योगबल से

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Bk mohindi didi madhuban anubhavgatha

मोहिनी बहन बताती हैं कि बाबा का व्यक्तित्व अत्यंत असाधारण और आकर्षणमय था। जब वे पहली बार बाबा से मिलने गईं, तो उन्होंने बाबा को एक असाधारण और ऊँचे व्यक्तित्व के रूप में देखा, जिनके चेहरे से ज्योति की आभा

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Bk sister chandrika toronto caneda anubhavgatha

बी के सिस्टर चंद्रिका की प्रेरणादायक कहानी में, ग्याना से ब्रह्माकुमारी संस्थान के माध्यम से उनकी आध्यात्मिक यात्रा को समझें। बाबा के नयनों से मिले शक्तिशाली अनुभवों ने उन्हें राजयोग मेडिटेशन में निपुण बनाया और सेवा के प्रति समर्पित कर

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Bk mohini didi america anubhavgatha

ब्रह्माकुमारी मोहिनी बहन जी की जीवन यात्रा आध्यात्मिकता और सेवा के प्रति समर्पण का उदाहरण है। 1956 में ईश्वरीय विश्व विद्यालय से जुड़ने के बाद, उन्होंने न्यूयॉर्क में ब्रह्माकुमारी सेवाओं की शुरुआत की और अमेरिका, कैरेबियन देशों में आध्यात्मिकता का

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Bk geeta didi batala anubhavgatha

ब्रह्माकुमारी गीता बहन का बाबा के साथ संबंध अद्वितीय था। बाबा के पत्रों ने उनके जीवन को आंतरिक रूप से बदल दिया। मधुबन में बाबा के संग बिताए पल गहरी आध्यात्मिकता से भरे थे। बाबा की दृष्टि और मुरली सुनते

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