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24th mar 2024 soul sustenence hindi

March 24, 2024

होली का आध्यात्मिक अर्थ (भाग 1)

होली पर्व के एक दिन पूर्व संध्या पर; होलिका के एक पुतले के साथ आग जलाई जाती है जोकि आध्यात्मिक रूप से हममें से प्रत्येक के भीतर मौजूद बुराई या नकारात्मकता का प्रतीक है। इसके लिए अलाव तैयार करने के लिए हर एक घर से लकड़ी के टुकड़े लाए जाते हैं जिसका अभिप्राय है, हम सभी को अपनी अतीत की अधूरी इच्छाओं पर आधारित; अपने नाराजगी, दर्द आदि के कड़े संस्कार और खराब आदतें इस होलिका की अग्नि में दहन करने हैं। जो इस बात को दर्शाता है कि हमें अपनी सभी नेगेटिविटी को समाप्त करने की आवश्यकता है। पुतले के भस्म होने के बाद सभी लोग उस अग्नि के चारों तरफ नाच गाकर खुशियां मनाते हैं।  होलिका दहन का यह पर्व पवित्रता और गुणों रूपी नई दुनिया का पुराने स्वभाव, संस्कार और बुराइयों के ऊपर विजय का संकेत देता है। 

 

क्या आप जानते हैं कि, हमारे नकारात्मक संस्कारों को खत्म करने वा भस्म करने का सबसे सरल तरीका है; मेडिटेशन। यह उस सर्वोच्च सत्ता; पवित्रता और प्रेम के सागर परमपिता परमात्मा के साथ एक शक्तिशाली और व्यक्तिगत संबंध है, क्योंकि जब भी हम किसी को याद करते हैं तो उनके साथ संबंध स्थापित करते हैं जिसे योग कहा जाता है। परमात्मा के साथ शक्तिशाली योग (अग्नि) सभी अशुद्धियों को जला देता है। पौराणिक कथाओं की मान्यतानुसार होलिका दहन माना असुर राजा हिरणयकश्यप और होलिका का इस पवित्र अग्नि में विनाश और भक्त प्रहलाद के सुरक्षित बचने की कहानी बताता है। और साथ ही जहां यह पर्व; विश्वास, आत्मसमर्पण और परमात्मा में दृढनिश्चय की शक्ति की याद दिलाता है वहां यह विश्वास निरंतर होता है कि, परमात्मा हमें दर्द और पीड़ा की लपटों से बचाते हैं।

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