इस नवरात्रि अपनी आंतरिक शक्तियों का अनुभव करें
नवरात्रि (3 अक्टूबर से 11 अक्टूबर) की रस्में हमारी दिव्यता को जगाने के बारे में बहुत कुछ कहती हैं। आइए, नवरात्रि के आध्यात्मिक अर्थ को
दशहरे से पहले लगातार नौ दिनों तक (नवरात्रि में) भारतवासी शक्तियों की पूजा करते हैं। इन शक्तियों के 108 नामों का गायन है जिनमें से कुछ प्रसिद्ध नाम श्री सरस्वती, ब्राह्मी (ब्रह्मा की ज्ञान-पुत्री), आदि देवी, जगदम्बा, शीतला, दुर्गा आदि-आदि हैं। नवरात्रि में भक्त लोग रातभर एक दीपक जलाते हैं तथा शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक पवित्रता तथा ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करने का प्रयत्न करते हैं। इन्हीं दिनों में वे संस्कृत के श्लोक उच्चारित करते हुए सुने जाते हैं जिनका भावार्थ इस प्रकार होता है:
“हे पूज्य माँ, अज्ञान अन्धेरे ने इस समय मुझे चारों तरफ से घेर रखा है। आप मुझे ज्ञान प्रदान करो जिससे कि मेरे अन्दर और बाहर चारों ओर का अन्धेरा दूर हो जाये। इन विकारों ने मेरी बुद्धि को उसी प्रकार दूषित कर रखा है जैसे कि काले बादल आकाश को घेरे रहते हैं। आप मेरे मानसिक विचारों को शान्त कर मुझे पवित्रता, सुन्दरता, शान्ति और आनन्द का वरदान दीजिए।”
भाव बहुत सुन्दर है परन्तु प्रश्न उठता है कि यदि माँ जगदम्बा को मन-वचन-कर्म की पवित्रता और ब्रह्मचर्य बहुत प्रिय है और यदि शुद्धि सचमुच अच्छी वस्तु है और सत्य ज्ञान से ही हमें स्थायी सुख और शान्ति मिल सकती है तो क्यों न हम इन्हें केवल नौ दिनों की बजाय सदैव ही धारण किए रखें ताकि हमसे कोई विकर्म न हो? यह एक ध्यान देने योग्य बात है कि संसार में मनुष्य की महानता उसकी पवित्रता की शक्ति के अनुसार ही होती है। पवित्रता की शक्ति सत्य ज्ञान से ही प्राप्त होती है और सत्य ज्ञान तथा ईश्वरीय योग ही वह तेज तलवार है जो मानसिक विकारों को समूल नष्ट कर देती है।
नवरात्रों में रात भर जो दीपक जलाये जाते हैं, धूप-अगरबत्ती आदि सुलगाये जाते हैं, उनका भावार्थ भी यही है कि हम आत्मा का दीपक सदैव जला हुआ रखें ताकि विकार हमारे पास आ ही न सकें। हम दैवी गुणों की सुगन्धि करके अपने व्यक्तित्व एवं वातावरण को सदैव खुशबूदार और आध्यात्मिक बनाये रखें। केवल नवरात्रि के नौ दिनों में ही घर को साफ़ और सुगन्धित रखने से सरस्वती या दुर्गा हम पर प्रसन्न नहीं होंगी, वास्तविक नवरात्रि मनाने के लिए परमपिता परमात्मा शिव द्वारा सिखाये जा रहे सहज ज्ञान और राजयोग द्वारा जीवन को पवित्र और शक्तिशाली बनायें।
भक्तों का प्रायः ऐसा भी विश्वास है कि दुर्गा तथा अम्बा में आत्मिक शक्ति का प्रादुर्भाव ब्रह्मा, विष्णु और शंकर या विशेष तौर से स्वयं परमात्मा ज्योतिर्लिंगम ‘शिव’ से ही हुआ। अतः इन शक्तियों का दूसरा नाम ‘शिवमयी शक्तियाँ’ भी हैं। शक्तियों के जो ब्राह्मी, कुमारी, विद्या, ज्ञाना आदि मुख्य नाम हैं उनसे सिद्ध है कि शक्तियों का आध्यात्मिक जन्म उस समय हुआ था जबकि परमात्मा शिव ने उन्हें ज्ञान-प्रकाश दिया था और जबकि पवित्र दैवी सृष्टि का निर्माण हो रहा था। अतः आदि देवी को ही आर्या, श्रेष्ठा या देव-माता भी कहते हैं। उनके अन्य नाम तपस्विनी, सर्व-शास्त्रमयी (सर्व शास्त्रों के रहस्य को जानने वाली), त्रिनेत्री, विमला, सत्या आदि भी हैं। इन शक्तियों का कल्याणकारी परमात्मा शिव के साथ निरन्तर और गहरा आत्मिक प्रेम और योग था और उन्होंने परमात्मा का ‘जग कल्याणकारी पवित्र और योगी’ बनने का सन्देश सारे जगत में फैलाया था। इसी कारण इन्हें ‘भव प्रिया (शिव को प्यारी) और शिवदूता (शिव का सन्देश देने वाली)’ आदि-आदि नामों से भी याद किया जाता है।
यह तो सत्य है कि आज भी अनेक भक्त सरस्वती और दुर्गा के प्रति अपने हृदय में अटूट श्रद्धा रखते हैं और जब वे “अम्बा” शब्द का उच्चारण करते हैं तो उनका हृदय श्रद्धा और प्रेम से द्रवित हो उठता है। परन्तु आश्चर्य की बात है कि कुमारी होते हुए भी सरस्वती को “जगदम्बा” क्यों कहते हैं तथा उनकी वास्तविक जीवन कथा क्या है, आज इस रहस्य को कोई नहीं जानता।
एक बच्चे के लिए अपने माता-पिता को जानना आवश्यक है। उनके साथ श्रद्धापूर्वक व्यवहार करने से और चरित्र को ठीक बनाने से ही वह उनकी सम्पत्ति का अधिकारी बनता है, ठीक इसी प्रकार ईश्वरीय खज़ाना (आध्यात्मिक शक्ति) भी उन्हीं मनुष्यात्माओं को मिल सकता है जो परमात्मा को यथार्थ जानकर उनके साथ निरन्तर योग-युक्त रहते हैं। जैसे बच्चा अपने बाप की आज्ञानुसार चलकर वर्सा लेता है, न कि उनकी पूजा करके। इसी प्रकार हमें भी परमपिता परमात्मा की आज्ञानुसार पवित्र और गुणवान बनने से ही उनकी ईश्वरीय सम्पत्ति मिलेगी, न कि उनकी पूजा-अर्चना करने से।
सतयुग के आदि और कलियुग के अन्त के सुहाने संगम समय में परमात्मा शिव ज्ञान द्वारा आदि देव ब्रह्मा और आदि देवी सरस्वती की उत्पत्ति (रचना) करते हैं। मातेश्वरी सरस्वती विकारी मनुष्यों को निर्विकारी बनाने का पुरूषार्थ करती हैं और इस प्रकार उन्हें नया आध्यात्मिक जन्म देती हैं। इसी भाव से सरस्वती को, कन्या होते हुए भी, ‘जगदम्बा’ (जगत की माता) कहते हैं।
सरस्वती जी के हाथ में वीणा दिखाने का तथा उनकी हंस की सवारी दिखाने का भी आध्यात्मिक अर्थ है। जैसे वीणा की मधुर झंकार सुनकर मन बहलाव होता है ऐसे ही सरस्वती माँ ने ज्ञानामृत की मधुर वाणी सुनाकर अशान्त एवं दुःखी मनुष्यों को आधाकल्प के लिए सम्पूर्ण सुख-शान्ति प्रदान की थी। जैसे हंस क्षीर-नीर को अलग करने की क्षमता रखता है वैसे ही सरस्वती जी को भी सद्विवेक प्राप्त था और वे भी ज्ञान- गुण रूपी मोती ही चुगने वाली एवं उत्तम स्थिति वाली थीं। वे कलियुगी विकारी संसार में रहते हुए भी पवित्र थीं। इस कारण उन्हें श्वेत कमल पर खड़ा हुआ भी चित्रित किया जाता है। उन्होंने परमात्मा शिव से प्राप्त ज्ञान और गुणों के आधार पर अन्य मनुष्यात्माओं को भी कमल पुष्प के समान पवित्र अथवा हंस के समान सद्विवेकी बनाया था।
भक्त लोग शक्तियों (दुर्गा, काली आदि) के हाथ में तलवार, खड़ग, तीर, कमान आदि-आदि अस्त्र- शस्त्र भी दिखाते हैं जिनका कि आध्यात्मिक भावार्थ है। वास्तव में, शक्तियों ने शस्त्रों से कोई हिंसक लड़ाई नहीं लड़ी थी बल्कि ईश्वरीय ज्ञान की तलवार, मधुर वाणी की कमान, सत्यता के तीर तथा योग व निश्चिन्त स्थिति की ढाल आदि द्वारा महाबलवान असुरों (पाँच विकारों) को खत्म किया था तथा अन्य लोगों को भी इन विकारों पर जीत पाने की प्रेरणा दी थी। अतः इन मनोविकारों को जीतने का पुरूषार्थ करना ही सच्चे अर्थों में ‘नवरात्रि’ मनाना है।
नवरात्रि (3 अक्टूबर से 11 अक्टूबर) की रस्में हमारी दिव्यता को जगाने के बारे में बहुत कुछ कहती हैं। आइए, नवरात्रि के आध्यात्मिक अर्थ को
Discover the spiritual meaning of Navratri and learn how to invoke your inner powers. Connect with God (Shiv) as Shakti and explore rituals like fasting, Raas Garba, and Jagran for spiritual growth this Navratri.
Sri Ganesh Ji, the remover of obstacles, is a symbol of wisdom, strength, and balance. By embodying his divine qualities—humility, discipline, and foresight—we can overcome life’s challenges and walk the path of inner peace and success. Learn how to invoke the Vighna-Vinashak within and transform your life
Continue exploring the deep divinity and spirituality of Ganesh Chaturthi. Learn how Sri Ganesh’s symbolism guides us to live a life of purity, humility, and victory over vices.
Unveil the divine symbolism of Ganesh Chaturthi. From Sri Ganesh’s wisdom-filled large forehead to his single tusk representing contentment, each aspect teaches us to overcome dualities and grow spiritually.
Discover how embracing the power of giving and connecting with divine energies through meditation can transform your life and bring about a personal Satyug, filled with peace, purpose, and contentment
Celebrate Shri Krishna Janmashtami by taking inspiration from Shri Krishna. Learn how to embody his divine qualities, purity, and spiritual royalty through meditation, wisdom, and visualization. Let’s become beautiful and divine like Shri Krishna.
Raksha Bandhan is more than a festival; it’s a celebration of divine protection, purity, and spiritual awakening. Each ritual—from applying tilak to tying the Rakhi—holds deep spiritual significance. Embrace the festival with pure thoughts, soul consciousness, and the gift of positive change in your life.
Raksha Bandhan is more than a sibling bond; it’s a vow of purity and protection. 💫This Raksha Bandhan, gift yourself the power of meditation, embrace purity in thought, and transform your life with positive energy. 💖🧘♀️ May your soul be empowered and your mind at peace. Om Shanti. 🌸
Celebrate true independence by exploring emotional freedom this Independence Day. Discover how to break dependencies and achieve self-mastery through spiritual wisdom and inner strength.
अपने दिन को बेहतर और तनाव मुक्त बनाने के लिए धारण करें सकारात्मक विचारों की अपनी दैनिक खुराक, सुंदर विचार और आत्म शक्ति का जवाब है आत्मा सशक्तिकरण ।
ज्वाइन पर क्लिक करने के बाद, आपको नियमित मेसेजिस प्राप्त करने के लिए व्हाट्सएप कम्युनिटी में शामिल किया जाएगा। कम्युनिटी के नियम के तहत किसी भी सदस्य को कम्युनिटी में शामिल हुए किसी अन्य सदस्य के बारे में पता नहीं चलेगा।