योगासन भारत की प्राचीन विद्या है। हज़ारों साल पहले, जब विज्ञान का विकास ही नहीं हुआ था, भारत के ऋषि मुनियों ने जीवन को सदा निरोगी रहने के लिए तथा सुख शांतिमय जीवन का आनंद लेने के लिए हमें योगासन सिखाकर गए थे। महर्षि पतंजलि द्वारा वर्णित अष्टांग योग तो वास्तव में मनुष्य को एक चरित्रवान, स्वअनुशासित, कर्तव्यनिष्ठ, नैतिकमूल्ययुक्त तथा सदा निरोगी बनाने हेतु ही है। सर्व शास्त्र शिरोमणि भगवद्गीता वो एक योग शास्त्र ही है। 5000 वर्ष प्राचीन गीता शास्त्रों में तो स्वयं भगवान द्वारा राजयोग विद्या की विस्तृत विवरण है। योग से मानसिक द्वंद्व तो समाप्त होती ही है, सकारात्मक विचारों का तन पर भी अच्छा प्रभाव पड़ता है। इसलिए योग न सिर्फ मन को हलचल से परे, दुश्चिंताओं से मुक्ति बल्कि शरीर को भी तंदुरुस्त रखने में मदद करता है। अति सरल भाषा में योग को प्रभु स्मृति वा प्रभु को याद करना कहा जा सकता है। जिसे अंग्रेज़ी भाषा में मेडिटेशन कहा गया है। मेडिटेशन आर्थत टू थिंक ऑफ़। प्रभु के बारे में चिंतन करना ही मेडिटेशन है। और क्योंकि परमात्मा सिर्फ गुणों का और शक्तियों का भंडार है। हम जैसा सोचते हैं, ऐसा ही धीरे-धीरे बन ही जाते हैं।
मेडिटेशन शब्द MEDRI शब्द से आया है। इसका मतलब है To Heal अर्थात Healing करना (जख्म को भर देना) गीता में वर्णित राजयोग सर्व श्रेष्ठ योगविद्या है। जो स्वयं भगवान मनुष्यों को सिखाकर गए थे, तो आज प्राय: लोप अथवा विस्मृत हो चुका है।
अधिकतर डायबिटीज़ ग्रसित व्यक्ति मानसिक तनाव ग्रस्त भी हो जाते हैं। जिसके कारण फिर उनका ब्लड शुगर और ब्लड प्रेशर दोनों ही बढ़ जाता है। यह योग MEDITATION डायबिटीज़ में बहुत ही लाभकारी है। डायबिटीज़ मरीज़ अगर नियमित राजयोग का अभ्यास करते हैं और तनाव मुक्त रहते हैं तो उनका शुगर कंट्रोल के साथ-साथ अनियंत्रित शुगर के कारण अनेकानेक दुष्प्रभाव से बच जाते हैं तथा दीर्घायु से बच जाते हैं। उसमें आत्मसंयम आता है। खान-पान तथा व्ययाम में फिर बिल्कुल व्यतिक्रम न करने से दवाइयां भी न के बराबर रह जाते हैं।
आसन योग करते समय शरीर को किसी निर्धारित रीति से स्थिर कऱने का काम आसन है। महर्षि पतंजलि ने तो वास्तव में एक ही आसन “स्थिर सुखासनम्” ही सिखाया था। अर्थात तन को स्थिर रखें, कोई हलचल न हो तथा एक सुखद स्थिति (Comfortable) में बैठ जाएं। (योगसूत्र-४७) परंतु हज़ारों साल बाद हठ योग प्रदीपिका में 84 भिन्न-भिन्न प्रकार के आसन बताया गया है। और आज कल तो यह बढ़ते बढ़ते सौ से भी ज़्यादा हो चुके हैं। जिसमें मुख्यत: शारीरिक व्यायाम ही है।(Postural or flexibility exercise) आधुनिक आसन में लोगों ने शरीर को विभिन्न रीति से मोडऩा, घुमाना, उल्टा करना, बैलेंस करना आदि सिखाया है। कुछ लोग तो इसे व्यवसाय भी बना चुके हैं। डायबिटीज़ बीमारी के लिए कुछ आसनों से लाभ हो सकता है जैसे कि मंडुकासन, मयूरासन, भुजांगन, धनुरासन, नौकासन, पश्चिमोत्तासन, सर्वांगासन, पदहस्तासन, आदि आदि। जैसे अन्य व्यायामों में शर्करा (glucose) इसका उपयोग होने के कारण खून में मात्रा कम हो जाता है और डायबिटीज़ में लाभकारी होता है वैसे ही विभिन्न आसनों में भी।
आसन तथा मेडिटेशन (योग) द्वारा शरीर रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। इसलिए विभिन्न संक्रामक रोगों से ही हम बच सकते हैं। अत: डायबिटीज़ में तो इसका विशेष महत्व है। सार में हम यह कह सकते हैं कि योग एक मानसिक प्रक्रिया है जिसका नियमित अभ्यास से डायबिटीज़ मरीज़ तनाव से मुक्त हो सकते हैं। और आसान विभिन्न शरीरिक प्रर्किया है जिससे शरीर लचीला होता है। तथा अंगों में आनावश्यक चर्बी जमा होने नहीं देता है। इसलिए मोटापा से भी बचाता है। साथ-साथ रक्त शर्करा (blood suger) को भी अनियिन्त्रत होने से भी रोकता है। अत: डायबिटीज़ मरीज़ों को नियमित रूप से राजयोग का अभ्यास के साथ कुछ आसनों का भी अभ्यास करना उचित होगा। क्रमश:…
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