शिव आमंत्रण, आबू रोड, दादी गुलजार (हृदयमोहिनी)। कई कहते हैं दो हजार तक तो चलेगा, अरे दो हजार तक वल्र्ड का विनाश हो लेकिन तुम्हारा विनाश कब होगा वह डेट है? बाबा तो कहता है मैं डेड कान्सेस बनाऊँगा ही नहीं। इतना भी बाबा ने कहा अगर किसको पूछना है तो भले मेरे ज्योतिषी बच्चों से पूछो। उन्हों का काम वह करेंगे। मैं भी वहीं काम करूँ जो ज्योतिषियों का है। मैं यह करने वाला हूँ ही नहीं, सीधा जबाव बाबा ने दिया। मुझे डेट कान्सेस बनाना नहीं है। मैं सोल कान्सेस बनाने आया हूँ, इसलिए एवररेडी रहो। एवररेडी माना क्या डेट देखनी है – दो हजार, तीन हजार, चार हजार… विनाश तो जब होना होगा, हो जायेगा मैं पहले एवररेडी रहूँ। एवररेडी रहना माना आलस्य और अलबेलापन छोडऩा। रॉयल रूप में भी अलबेलापन आ जाता है। अलबेलापन वाला अलर्ट कभी नहीं हो सकता है। जो चाहे वह करके दिखावे, वह नहीं हो सकता है। इसलिए बाबा ने कहा – चाहना और करना एक करो। अभी अपने में लग जाओ। दूसरों को बहुत देख लिया, बहुत सुन लिया। द्वापर से कथायें सुनी, अभी भी कथायें ही सुनेंगे क्या! व्यर्थ बातें क्या हैं? यह रामायण और महाभारत हैं। अभी भी रामायण और महाभारत करते रहेंगे क्या? नहीं। अपने में मगन हो जाओं बस, अभी तो बाबा का एम ही यह है – अपनी घोट तो नशा चढ़े। अपना मनन, अपना शुभ चिन्तन, अपना रियलाइजेशन। समय पूछकर आना नहीं है और समय के ऊपर आधारित होंगे तो रिजल्ट हमारी अच्छी नहीं होगी। इसलिए रियलाइजेशन शब्द को अण्डरलाइन करो। रियलाइज करो अपने को, अपने द्वारा औरों को आपे ही पहुँचेगा। बस, अन्तर्मुखी हो जाओ। बाहरमुख से सब देख लिया, अब इससे बेहद का वैराग्य। मैं और मेरा बाबा, बस। बाबा दे रहा है और मैं ले रहा हूँ और जो ले रहा हूँ, वह नेचरल है दूसरों तक जायेगा। जैसे सूर्य है उससे किरणें नहीं फैलें, यह हो ही नहीं सकता। अगर मेरे में शक्ति है, हमारी शक्ति नहीं फैले – यह हो ही नहीं सकता। जब प्रकृति की लाइट फैलती है, मैं तो रचता हूँ क्यों नहीं मेरे वायबे्रशन लाइट-माइट क्यों नहीं फैलेगी। थोड़ा सा अन्तर्मुखी होकर इस बात के ऊपर हम सभी का अटेन्शन जाना चाहिए और जायेगा तो अपना ही फायदा है। नुकसान भी अपना है, फायदा भी अपना है।