जैसा कि हम सभी जानते हैं कि वर्तमान युग को ‘ कलियुग ‘ कहा जाता है परन्तु वास्तव में यह है – कलयुग अथवा कलह – युग। यह कलह – युग तो इस दृष्टिकोण से है कि जहां – तहां कलह और क्लेश ही फैला हुआ है। इसका प्रैक्टिकल उदाहरण अभी हम लोगों के सामने हैं। वर्तमान समय लोग कर्मभ्रष्ट, पथभ्रष्ट, चरित्रभ्रष्ट होते जा रहा है। क्या आपने ऐसा कभी सोचा है कि ऐसा क्यु हुआ…?
आगे चलते हैं… वर्तमान समय हमारे समाज में हजारों डॉक्टर्स, इंजिनीयर्स, कलेक्टर्स, वकील, अधिकारी बड़े – बड़े डिग्री लेकर आ रहे हैं लेकिन आज ईमानदार, चरित्रवान और न्यायप्रिय इंजिनीयर्स, वकील, डॉक्टर्स, ग्रामीण, समाजसेवक जैसे लोगों की कमी है। इसका मूल कारण है नैतिक शिक्षा की कमी है। आध्यात्मिकता और भौतिकता एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। इसप्रकर हमें भौतिकता के साथ – साथ अध्यात्मिकता का भी होना आवश्यक है।
आज वर्तमान समय दबंगीरी और बाहुबल से हमारे घर, परिवार, पड़ोस, समाज, गांव में एक – दूसरे की जमीन हड़पने की कोशिश करता है या किया है, एक – दूसरे के प्रति द्वेष, ईर्ष्या, घृणा की भाव रखता है या रखा है, कमजोर और गरीब लोगों को प्रताड़ित करता है या किया है, शोषण करता है या किया है, गंदी राजनीति करता है या किया है जो एक जघन्य अपराध है। ऐसे लोग हमारे घर, परिवार, पड़ोस, समाज, गांव … के नाम पे कलंक हैं। वे लोभ, मोह, क्रोध से वशीभूत मनुष्य रूप में होते हुए भी साक्षात राक्षस हैं। राक्षस या रावण अर्थात दूसरों को रूलाने वाला, दुःख पहुंचाने वाला, तंग करने वाला, को नर्कवास निश्चित है। लोभ, मोह, काम, क्रोध ये सभी नरक के द्वार हैं।
शान्ति, पवित्रता, आनंद, सुख, खुशी, ज्ञान और शक्ति स्वर्ग के द्वार हैं।इसप्रकार हम ग्रामवासियों, समाजवासियों, पड़ोसियों, भाईयों एवं बहनों स्वयं को चेक करें कि हम राक्षस हैं या राम? हमें क्या बनना है? हम कौन हैं? हमें क्या करना चाहिए? और हम क्या कर रहे हैं? जरा सोचिए!
आज वर्तमान समय हमारे घर, पड़ोस, समाज या गांव में एक – दूसरे की जमीन हड़पने, प्रताड़ित करने की समस्या का कारण है कि घर – परिवार और समाज के लोगों में सामाजिक मूल्यों व सत्य ज्ञान की कमी है। सामाजिक मूल्य अर्थात् शान्ति, प्रेम, एकता, न्याय, सद्भावना, शुभभावना, भाई-चारे की भावना … आदि जो आज हमारे इस समाज में या गांव में कमी है। हर सामाजिक समस्या का समाधान है सामाजिक मूल्य। अब हमें अपनी कमियों को दूर करना है, इस लेखन से कुछ सीखें। आज हम सब शुभ संकल्प लें, हम देव कुल की महान आत्मा हैं। ग्राम देवता हैं। भगवान ने हमें इस पृथ्वी पर ( गांव में या समाज में) महान कार्यों के लिए भेजा है। हमें महान कर्म करना है।लोभ, मोह, काम, क्रोध ये आसुरी लक्षण हैं। ये हमारा स्वभाव नहीं हैं। भगवान उन्हें कभी माफ नहीं करेगा।हमारा स्वभाव, स्वधर्म है शान्ति। जब हम अपने स्वधर्म में रहेंगे तो शान्ति की शक्ति से समाज की हर समस्या का समाधान सहज ही संभव है। अंत में संकल्प लें कि हमें विश्व के हरेक मानव के प्रति प्रेम, सद्भावना, शुभ भावना, शुभकामना रखना है। – इंजीनियर बी. के. रंजेश राय ‘रत्न रजौड़ा, बेगूसराय, बिहार
great Values description thank you so much brother and thanks a lot Shiv Baba.