परमात्मा के सपनों का भारत बनाना (भाग 1)

परमात्मा के सपनों का भारत बनाना
(भाग 1)

स्वतंत्रता दिवस – 15 अगस्त पर आध्यात्मिक संदेश

15 अगस्त भारत के लिए एक बहुत ही खास दिन है, जब भारत अपनी आजादी का जश्न मनाता है, जोकि बहुत से प्रयासों और दृढ़ संकल्पों के साथ-साथ शांति, देश के प्रति प्रेम और आंतरिक स्वच्छता और सच्चाई की शक्तियों की मदद से हासिल की गई थी। जब हम आजादी से पहले के दिनों के सभी भारतीयों के बलिदान को देखते हैं, तो हमें गर्व महसूस होता है और हम उन का दिल से सम्मान करते हैं जिन्होंने अपनी खुशी, आराम और निजी जीवन के बारे में सोचे बिना, देश के लिए इतना कुछ किया। हमने सभी की एकजुट शक्ति की मदद से वह हासिल किया जो, कभी-कभी बेहद मुश्किल लगता था और यहां तक ​​कि, परमात्मा की भी यही चाहना थी कि, हम सबसे खूबसूरत, बेहद आध्यात्मिक और उन्हें प्यार करने वाले देश को इतने सालों तक इतनी अशांति और दुःख से गुज़रने के बाद आज़ाद देखें। आज, हमें लगता है कि, स्वतंत्रता की इस लडाई में वे स्वयं हमारे साथ थे क्योंकि, हम इतनी बड़ी और कठिन लड़ाई में विजयी हुए और स्वतंत्र भारत का आगमन हुआ। तो आइए, इस संदेश में उन 5 तरीकों पर नजर डालें, जिनसे हम परमात्मा के सपनों का भारत बना सकते हैं –

  1. आध्यात्मिकता को अपनी प्राथमिकता और आत्म-चिंतन को अपनी आदत बनाएं – जैसे-जैसे हम आधुनिक भारत में विकासोन्मुख और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में कई प्रकार की उपलब्धियों के साथ आगे बढ़ रहे हैं, हमारा जीवन भी बहुत ही व्यस्त और कार्य-उन्मुख हो गया है। किसी भी सामान्य दिन में, चाहे पुरुष हों या महिलाएँ,  बच्चे सहित हम सभी, बहुत बिजी रहते हैं। इसलिये परमात्मा हमें अपने जीवन को सुंदर बनाने का सीक्रेट बताते हैं कि – हर सुबह स्वयं को कम से कम आधे घंटे का समय दें। इस समय में अपने मन के विचारों को शांत करें, परमातम ज्ञान को सुनें और मेडीटेशन के द्वारा उनके साथ जुड़ें। यदि प्रत्येक भारतीय ऐसा करे, तो हम सभी उनके करीब आ जायेंगे और आंतरिक रूप से अधिक खुशहाल और समृद्ध हो जायेंगे।
  2. अपनी सभी आंतरिक कमजोरियों को दूर करें और गुणों और शक्तियों से भरपूर एक चरित्र का निर्माण करें – भारत के लिए, परमात्मा का सबसे सुंदर विजन है कि, भारत का प्रत्येक नागरिक परमातम गुणों और शक्तियों से भरपूर हो। आज हम सभी कई तरह की बुराइयों और कमजोरियों के आदी बन चुके हैं। यद्यपि हमने भौतिक स्तर पर स्वतंत्रता प्राप्त कर ली है, लेकिन परमात्मा चाहते हैं कि, हम अपनी नकारात्मकता और बुरी आदतों को उन्हें समर्पित करके, आंतरिक स्तर पर भी उनके समान गहरी शांति, शक्ति और आनंद का अनुभव करें। और जब हम ऐसा कर पाएंगे, तो सच्चे मायनों में हम स्वतंत्र होंगे और अपने श्रेष्ठ चरित्र, विनम्रता और सभी के लिए उदारतापूर्ण रवैये से पूरी दुनिया को प्रेरित कर सकेंगे।

(कल जारी रहेगा…)

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