Soul sustenance hindi 19th july 2023

सकारात्मक जीवन जीने के लिए 10 नई मान्यताएं/ बिलीफ (भाग 3)

मान्यता 3 – अहंकार शक्ति है; अहंकार रहित व्यक्ति आमतौर पर शर्मीला या कमज़ोर होता है।

सच्चाई – अहंकार एक झूठा अभिमान है, जो आत्मा को उसके सच्चे स्वमान से दूर करके आत्मा को कमजोर कर देता है क्योंकि, वह अपने फिजिकल रंग रूप, रोल और रिश्तों द्वारा स्वयं की पहचान करती है, जोकि सभी समय के साथ खत्म होने वाले और बदलने वाले हैं। जबकि एक विनम्र व्यक्ति, अपने श्रेष्ठ आत्मिक स्वमान के साथ, आध्यात्मिक स्तर पर निज स्वरूप को और दूसरों से प्यार करता है, उनका सम्मान करता है जिससे वो परमात्मा और बाकी सभी आत्माओं की दुआएं प्राप्त करता है| ऐसे स्वमान में रहने वाले व्यक्ति आंतरिक रूप से मजबूत होते हैं और सभी उन्हें सकारात्मक दृष्टि से देखते हैं। ऐसे लोग जहां भी जाते हैं, अपनी सकारात्मकता से सबको भरपूर करते हैं, जिससे वे और अधिक आत्मविश्वासी बनते हैं नाकि शर्मीले।

मान्यता 4- वासना और मोह रिश्ते में प्यार बढ़ाते हैं|

सच्चाई – आत्मा के अंदर वासना और मोह जैसे विकार, उन्हें दूसरे इंसान को पाने की लिए जागृत करते हैं, जिससे आत्मा की आध्यात्मिक शक्तियां खत्म हो जाती हैं। किसी भी रिश्ते में प्यार तब बढ़ता है, जब हम दूसरी आत्मा के फिजिकल स्वरूप, गुणों को न देखकर उनके आत्मिक गुणों से जुड़ते हैं, उसी के आधार पर रिश्ते बनाते हैं।

मान्यता 5- लालच फिजिकल समृद्धि और संपन्नता को आकर्षित करता है, और खुशियाँ लाता है।

सच्चाई – लालच एक नेगेटिव इच्छा है, जो कि किए गये कर्मों में बेईमानी और असत्यता भी लाती है और रिश्तों को नुकसान पहुँचाती है। एक लालची आत्मा अपना विवेक खो देती है क्योंकि, वह अपने परिवार में, कार्यस्थल पर या जीवन के किसी अन्य क्षेत्र में आर्थिक रूप से या किसी भी अन्य स्तर पर अधिक हासिल करने के लिए अपनी आंतरिक अच्छाई को छोड देती है। परंतु आध्यात्मिक ज्ञान कहता है, कि आत्मा जितनी अधिक आंतरिक रूप से आध्यात्मिक उपलब्धियों से भरपूर होगी, उतना ही अधिक ऐसी आत्मा फिजिकल समृद्धि, संपन्नता और कभी न खत्म होने वाले सुख को भी आकर्षित करेगी।

(कल जारी रहेगा…)

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