सकारात्मक जीवन जीने के लिए 10 नई मान्यताएं/ बिलीफ (भाग 4)

सकारात्मक जीवन जीने के लिए 10 नई मान्यताएं/ बिलीफ (भाग 4)

मान्यता 6- हमारा जीवन उतार-चढ़ाव से भरा हुआ है, इसलिए जब सब कुछ ठीक चल रहा हो, तो खुश रहना ठीक है, और नेगेटिव परिस्थितियों में दुखी रहना और तनावग्रस्त होना ठीक है।

सच्चाई – हमारे जीवन में हर दिन अलग-अलग परिस्थितियाँ होती हैं, और हर दिन कुछ न कुछ गलत भी हो जाता है, जिसके कारण हम स्टेबल या अनस्टेबल हो जाते हैं। हम कभी-कभी यह भी सोचते हैं कि, हमारे जीवन में सभी परिस्थितियाँ परमात्मा द्वारा ही दी गई हैं, और वे ही हमें सुख और दुःख दोनों देते हैं। लेकिन जैसा कि हमने कुछ पहले के संदेशों में जाना कि, ‘ला ऑफ कर्मा’ के अनुसार हमारे जीवन में घटीत होने वाली सभी घटनाएं/ बातें (अच्छी व बुरी) हमारे द्वारा इस जन्म व पिछले कई जन्मों के कर्मों के आधार पर होती हैं। इसमें परमात्मा की कोई भूमिका नहीं है और प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में होने वाली परिस्थितियों में उनका कोई हाथ नहीं है। वे तो बुद्धिदाता हैं, वह सिखाते हैं कि, कौन से कार्य अच्छे हैं और कौन से बुरे। तो जितना अधिक हम इस ज्ञान को अपने जीवन में एप्लाई करेंगे और सही ढंग से इसका पालन करेंगे, हम आंतरिक रूप से हमेशा खुश रहेंगे। अगर जीवन में कुछ नेगेटिव परिस्थितियां आती भी हैं, तो भी हम तनावग्रस्त न होकर, खुशी ख़ुशी अपनी इनर पोजिटीविटी के द्वारा उन स्थितियों को भी पोजिटीव बना देंगे।

मान्यता  7 – दूसरों के बारे में गपशप करने से, हम सोशल बनते हैं और हमें आनंद का अनुभव होता है।

सच्चाई – किसी की कमजोरियों और उनके कार्यों पर बातें करना गपशप कहलाता है। कहावत है कि, जहां हमारा ध्यान जाता है, वहीं हमारी एनर्जी प्रवाहित होती है। तो जितना अधिक हम अपना ध्यान और एनर्जी दूसरों पर केंद्रित करते हैं, उतना ही आंतरिक रूप से अपनी पोजिटीव एनर्जी को कम करते जाते हैं और, साथ ही हमारी रचनात्मकता और स्किल्स भी प्रभावित होते हैं। पीठ पीछे दूसरों के बारे में बात करना उन्हें नेगेटीव एनर्जी भेजता है, उनके साथ हमारे रिश्ते में सकारात्मकता और अच्छाई को कम करता है और हमें आनंद के अनुभव से दूर ले जाता है।

मान्यता 8 – ईर्ष्याभाव रखने से हम बेहतर करने और अधिक हासिल करने के लिए प्रेरित होते हैं।

सच्चाई –हम सभी आत्माएं अपने अद्वितीय गुणों और विशेषताओं के कारण सबसे अलग और सुंदर हैं। यदि हमें जीवन में आगे बढ़ना है तो, हमें अपने गुणों और विशेषताओं को गहराई से पहचानना होगा और फिर जीवन के हर क्षेत्र में उनका उपयोग करके आगे बढ़ना होगा। जितना अधिक हम उनका उपयोग करेंगे, उतना ही वे बढ़ेंगे और न केवल हमारे आस-पास के सभी लोगों को लाभान्वित करेंगे बल्कि, हमें हर कदम पर सफलता का अनुभव करने में भी मदद करेंगे। लेकिन अगर यदि हम ईर्ष्यालु हैं, और दूसरों की विशेषताओं और सफलता पर ध्यान केंद्रित करके उनसे जलते हैं, तो हम स्वयं कभी आगे नहीं बढ़ पाएंगे, और दूसरी ओर आध्यात्मिक स्तर पर हमें आंतरिक खालीपन महसूस होगा।

(कल जारी रहेगा…)

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