
परमपिता परमात्मा: हमारे सर्वोच्च माता पिता
क्या आपका आत्म-सम्मान हार और जीत पर निर्भर करता है? इसे बदलें! खुद को आध्यात्मिक दृष्टिकोण से देखने का तरीका जानें, आत्मा की शक्ति को पहचानें, और हर कर्म को खुशी से करें।
मान्यता 9- अनेक प्रकार की फिजिकल सक्सेस, धन-संपत्ति तथा अच्छा रंग-रूप व शारीरिक व्यक्तित्व और सुंदर रिश्ते होना स्थायी खुशी देता है।
सच्चाई – आजकल दुनिया में हर प्रकार की फिजिकल सक्सेस पाने और संपत्तिवान बनने की इच्छा रखना एक आम बात है। लेकिन हम अपने आंतरिक स्व पर ध्यान नहीं देते, जो स्थायी खुशी और लंबे समय तक चलने वाली संतुष्टि देता है। हमें अच्छी कारें, आधुनिक मोबाइल फोन, बड़े घर, सुंदर फर्नीचर और अन्य भौतिक वस्तुएं पसंद हैं। हमें सुंदर, बेशकीमती और महंगे डिजाईनर कपडे, महंगी घड़ियों और जूतों के कई सेट खरीदना पसंद है। हम खाने- पीने, पार्टी करने, फिल्में देखने और सोशल मीडिया में भी अत्यधिक व्यस्त रहते हैं। लेकिन, यह सब करते हुए हम यह भूल गए हैं कि, ये सभी चीजें हमारी 5 इंद्रियों – आंख, कान, नाक, जीभ और हाथ को आनंद देती हैं परंतु ये सभी मिलकर भी हमारी आत्मा को स्थायी आनंद नहीं दे सकती। क्योंकि इनमें से कुछ चीजें हमसे एक सेकंड में छीनी जा सकती हैं और जब हम उन्हें किसी भी कारण से हासिल नहीं कर पाते हैं, तो हमें दर्द महसूस होता है जो हमें उदास कर सकता है। लेकिन इसके विपरीत, हर दिन आध्यात्मिक ज्ञान सुनने से हमारी आत्मा संस्कारों से भरपूर और सुंदर बनकर, हमे सच्ची और आंतरिक स्थायी खुशी की प्राप्ति का अनुभव कराएगी; जोकि किसी भी प्रकार की भौतिक संपदा या हमारी इंद्रियों से जुड़ी किसी भी चीज़ पर आधारित नहीं होगी।
इसके अलावा, आजकल हर कोई अपने शरीर और बाहरी व्यक्तित्व को अधिक से अधिक सुंदर और आकर्षक बनाना चाहता है। हालाँकि, अच्छा दिखना और सभी को प्रसन्न करना गलत नहीं है और हमें इसका ध्यान भी रखना चाहिए, लेकिन जब हम इसके प्रति ऑबसेस्ड होकर अपनी आध्यात्मिक एवेअरनेस और सुंदरता से दूर हो जाते हैं और स्वयं को आंतरिक गुणों; सादगी और पवित्रता से भी दूर कर लेते हैं, जो हमें अंदर और बाहर दोनों से सुंदर बनाते हैं। साथ ही, मनुष्य एक दूसरे के साथ खूबसूरत रिश्तों में आपसी प्यार, देखभाल और सहयोग का लेन देन करते हैं। लेकिन, हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि, स्थायी खुशी पाने के लिए हमें मानवीय रिश्तों पर निर्भर नहीं रहना चाहिए, क्योंकि कभी-कभी हमें उनसे वह नहीं मिलता, जिसकी हम चाहना व इच्छा रखते हैं, और यह हमें निराश और कमजोर बना सकता है। तो आइए, हम अपने सभी मानवीय रिश्तों का आनंद लें, लेकिन सबसे पहले अपने परमपिता परमात्मा के साथ एक सुंदर और करीबी रिश्ता बनाएं क्योंकि, वे संपूर्ण मनुष्य संसार के वृक्ष का आध्यात्मिक बीज हैं और जितना अधिक हम उनसे प्रेम करेंगे, उनके करीब होंगे और उसके प्रेम से भरपूर होंगे, उतना ही अधिक हम दूसरों को प्यार दे पाएंगे और उनसे ले भी पाएंगे।
मान्यता 10 – प्रकृति से जुड़ने और उसकी सुंदरता का अनुभव करने से स्थायी शांति और आनंद मिलता है।
सच्चाई – प्रकृति अपनी शुद्ध फॉर्म में सुंदर और आत्मा को प्रसन्न करने वाली और सुख देने वाली है। लेकिन प्रकृति से मिलने वाली शांति और आनंद स्थायी नहीं है क्योंकि, हमारी भागदौड़ भरी जिंदगी हमें हर समय प्रकृति के साथ समय बिताने की इजाजत नहीं देती। लेकिन जब हम अपने निज स्वरूप में रहकर परमात्मा के साथ जुड़ते हैं, तो हमारा इनर वर्ल्ड स्थायी शांति और आनंद से भर जाते हैं। प्रकृति के दृश्यों का आनंद लेना अच्छा है लेकिन साथ ही हमें जीवन के हर दृश्य का आनंद लेने और कठिन परिस्थितियों के समय स्थिर रहने के लिए परमात्मा के साथ आध्यात्मिक संबंध भी जरुर बनाना चाहिए।
क्या आपका आत्म-सम्मान हार और जीत पर निर्भर करता है? इसे बदलें! खुद को आध्यात्मिक दृष्टिकोण से देखने का तरीका जानें, आत्मा की शक्ति को पहचानें, और हर कर्म को खुशी से करें।
क्या आपका आत्म-सम्मान हार और जीत पर निर्भर करता है? इसे बदलें! खुद को आध्यात्मिक दृष्टिकोण से देखने का तरीका जानें, आत्मा की शक्ति को पहचानें, और हर कर्म को खुशी से करें।
क्या आपका आत्म-सम्मान हार और जीत पर निर्भर करता है? इसे बदलें! खुद को आध्यात्मिक दृष्टिकोण से देखने का तरीका जानें, आत्मा की शक्ति को पहचानें, और हर कर्म को खुशी से करें।
अपने दिन को बेहतर और तनाव मुक्त बनाने के लिए धारण करें सकारात्मक विचारों की अपनी दैनिक खुराक, सुंदर विचार और आत्म शक्ति का जवाब है आत्मा सशक्तिकरण ।
ज्वाइन पर क्लिक करने के बाद, आपको नियमित मेसेजिस प्राप्त करने के लिए व्हाट्सएप कम्युनिटी में शामिल किया जाएगा। कम्युनिटी के नियम के तहत किसी भी सदस्य को कम्युनिटी में शामिल हुए किसी अन्य सदस्य के बारे में पता नहीं चलेगा।