स्वयं से प्यार करें

स्वयं से प्यार करें

यदि हम स्वयं को कुछ समय देकर अपने व्यवहार पर ध्यान दें, तो हम जान पाएंगे कि, स्वयं से प्रेम करने की तुलना में अन्य लोगों से प्रेम करना अधिक आसान है। स्वयं से प्रेम न करने की यह कमी कई रूपों में दिखाई देती है, उदाहरण के लिए – हम अपने मन और शरीर का सम्मान नहीं करते हैं, हम अपनी गलतियों और असफलताओं के लिए स्वयं का अपमान करते हैं, अपनी गलतियों को माफ नहीं करते हैं, और स्वयं को अपनी क्षमताओं से कम आंकते हैं। जितना हम अपने जीवन को अच्छी तरह से जीते हैं, उतना ही हम स्वयं से प्यार कर पाते हैं। आईये स्वयं से प्यार करने के तरीकों के बारे में जानें:

  1. आपके पास किसी चीज की कमी होने पर, क्या आपने खुद को बहुत कठोरता से जज करते हैं? जब आप अच्छा काम कर रहे होते हैं तो, क्या आप वास्तव में अपने दिल और दिमाग को स्वयं से प्यार करने का मौका देते हैं? या फिर क्या आप उन लोगों से प्रेम और सम्मान पाने की प्रतीक्षा करते हैं जो आपकी लाईफ में बहुत महत्वपूर्ण हैं? स्वयं से प्रेम करना एक कला है, जिसमें हमें महारत हासिल करनी होगी।
  2. प्रेम हमारा जन्मजात गुण है- हमारा व्यक्तित्व है – हमारा रिअल स्वभाव है। यह एक ऐसी पोजीटिव एनर्जी है जिसे हम क्रिएट करके स्वयं को और दूसरों को दे सकते हैं। लेकिन जब हम क्रोध, अपराधबोध, भय या दर्द जैसी अप्रिय व नेगेटिव भावनाओं को अपने मन में रखते हैं तो, आटोमेटीकली प्रेम कम हो जाता है। फिर हम दूसरे लोगों से प्रेम पाने की इच्छा रखते हैं। फिर चाहे लोग हमसे कितना भी प्यार करें, लेकिन हम इसका अनुभव नहीं कर सकते।
  3. अगर हम यह याद रखते हैं कि हम प्रेमस्वरूप हैं, तो हमें लोगों से प्रेम की चाहना व उनर निर्भरता समाप्त हो जाती है। हमें बिना किसी शर्त के; स्वयं की सराहना करके, स्वयं को प्रेरित करके और स्वयं के प्रति दयालु होकर; स्वयं से प्रेम की अनुभूति को बढाने की आवश्यकता है। याद रखें कि हम एक सुंदर स्वरूप हैं और अभी इसी क्षण से स्वयं पर काम करने के लिए तैयार हैं।
  4. कभी भी न कहें कि मुझे प्यार चाहिये। स्वयं से बात करने की अपनी लेंग्वेज को बदलें और अपने अंदर प्रेम के फ्लो को महसूस करें। स्वयं को याद दिलाते रहें- मैं बिना किसी शर्त और बिना किसी सीमा के स्वयं से प्यार करता हूं। मेरा स्वयं से कहा गया हर शब्द, मुझे सशक्त बनाता है।

नज़दीकी राजयोग सेवाकेंद्र का पता पाने के लिए