
गणेश चतुर्थी का आध्यात्मिक महत्व (भाग 3)
श्री गणेश का बड़ा पेट समाने की शक्ति को दर्शाता है, जिसका अभिप्राय है कि, हमें लोगों की कमजोरियों और उनके गलत कार्यों के बारे
हम सभी अहंकार पर काबू पाना चाहते हैं, लेकिन क्या हम जानते हैं कि अहंकार क्या है? अहंकार माना; जब हम अपनी किसी प्राप्त/ अर्जित वस्तु को अपनी पहचान बना लेते हैं। यह हमारी योग्यता, पद, कार्य- कुशलता, संबंध या संपत्ति से रिलेटेड हो सकती है। हम उनसे जुड़कर इस एवेअरनेस के साथ जीते हैं कि, मैं यह हूं या मैं वह हूं। फिर हम लोगों से भी वही उम्मीद करते हैं कि, वे भी हमें उस पहचान से ही जानें और समझें। जब हम कहते हैं कि, उसने मेरे अहंकार को चोट पहुंचाई, तो वास्तव में हमारा मतलब होता है कि, उसने मेरी पहचान को नुकसान पहुंचाया है।
आइये देखें कि, आप इस एवेअरनेस के साथ; अहंकार पर कैसे विजय पा सकते हैं, कि आप वास्तव में कौन हैं। आपके पास कुछ हो या न भी हो, इससे पैदा होने वाले अहंकार को खत्म करने के लिए नीचे बताये गये स्वामानों को हर रोज दोहराएं। फिर आप देखेंगे कि, जैसे-जैसे आप अहंकार से विनम्रता की ओर बढ़ते हैं, आप लोगों से प्यार और सम्मान की चाहना रखना बंद कर देते हैं। और आप दूसरों को अपना प्यार देना और उन्हें स्वीकार करना शुरू कर देते हैं।
स्वामान –
मैं एक शुद्ध आत्मा हूँ…. मैं अपने ओरिजिनल स्वरूप को जानने वाली आत्मा हूं… मैं अपनी पहचान के प्रति जागरूक हूं… मैं एक आत्मा हूं… मैं कई भूमिकाएं निभाता हूं… मैं इस जीवनकाल में बहुत कुछ हासिल करता हूं… लेकिन मैं वह नहीं हूं जो मैं हासिल करता हूं… वे मेरे द्वारा हासिल किए गये हैं… लेकिन वे मैं नहीं हूं…. मैं एक शुद्ध, शक्तिशाली, प्रेमपूर्ण, प्रसन्न आत्मा; एक एनर्जी हूं… जिसने सब कुछ हासिल कर लिया है… मुझे पता है… कि मैं एक नाम नहीं हूं… शरीर भी नहीं हूं… रिश्ते – नाते, संबंध नहीं हूं… कोई डिग्री नहीं हूं… पद नहीं हूं… मैं सिर्फ मैं हूं… एक पवित्र आत्मा हूं… और ऐसा ही हर कोई है जिससे मैं मिलता हूं, बातचीत करता हूं…. मुझे कुछ भी खोने का डर नहीं है….. मेरे पास जो कुछ है, मैं उसका ट्रस्टी हूं… मैं उनकी देखभाल करता हूं… लेकिन मैं वह सब नहीं हूं …. मैं विनम्र रहता हूं… मैं हल्का और शुद्ध हूं… मैं किसी पद या प्रतिष्ठा के अहंकार में नहीं हूं…. कोई भी मुझसे छोटा नहीं है… कोई भी मुझसे श्रेष्ठ नहीं है… हर कोई समान है… हर कोई एक शुद्ध, शक्तिशाली आत्मा है… मुझे लोगों को अपने तरीके से चलाने की आवश्यकता नहीं है… वे अपने अनुसार चल सकते हैं… मैं अपने सही तरीके के अनुसार चलता हूं … मैं विनम्रता और शक्तियों से भरपूर हूं… मैं जानता हूं कि मैं कौन हूं… मैं किसी से तुलना नहीं करता… मैं प्रतिस्पर्धा नहीं करता… मैं अपनी यात्रा का आनंद लेता हूं… मेरे इमोशन्स मेरे हैं… लेकिन मैं उन पर निर्भर नहीं हूं…. मुझे कुछ नहीं चाहिए… मैं सबको … प्यार और खुशियाँ देता हूँ।
श्री गणेश का बड़ा पेट समाने की शक्ति को दर्शाता है, जिसका अभिप्राय है कि, हमें लोगों की कमजोरियों और उनके गलत कार्यों के बारे
कल हमने श्री गणेश जी के जन्म का सही अर्थ जाना कि, कैसे शंकर जी ने उनका सिर काटकर उनके धड़ पर हाथी का सिर
हम सभी “श्री गणेश” के आगमन और जन्म को बड़ी आस्था और उत्साह के साथ मनाते हैं, और उनसे अपने जीवन के विघ्नों को नष्ट
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