दूसरों की खुशियों का जश्न मनाएं
क्या आपका आत्म-सम्मान हार और जीत पर निर्भर करता है? इसे बदलें! खुद को आध्यात्मिक दृष्टिकोण से देखने का तरीका जानें, आत्मा की शक्ति को पहचानें, और हर कर्म को खुशी से करें।
जब हम कुछ करना चाहते हैं, तो हम अक्सर कहते हैं कि मैं कोशिश करूँगा बजाय इसके कि, मैं करूँगा। किसी चीज की कोशिश करना, कर्म करने से अलग है। कोशिश शब्द हमारे मन, शरीर और ब्रह्मांड में संदेह की एनर्जी रेडीएट करता है। यह हमें किसी भी कर्म में साधारण प्रयास करने, उसमें असफल होने और परिणाम की जिम्मेदारी न लेने के लिए तैयार करता है, यह शुरुआत में ही हार मान लेने जैसा है। चाहे आपकी आदत में बदलाव हो या फिर ऑफिस में कोई नया प्रोजेक्ट, क्या आप यह कहकर अपनी क्षमता व्यक्त करते हैं कि मुझे कोशिश करने दो? क्या आपको लगता है कि यह शब्द आपके प्रयासों पर पहले से ही एक सूक्ष्म न लगाने की कोशिश कर रहा है, और पहले से ही परिणाम को नेगेटिव दिशा की और ले जा रहा है? कोशिश करना और हां मैं करूँगा, दोनों शब्दों की एनर्जी पूरी तरह से अलग लेवेल पर काम करती है। कोशिश करना एक कम एनर्जी वाला शब्द है जो सफलता की गति को धीमा करता है या असफलता की संभावना को जन्म देता है और यह हमें अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन भी नहीं करने देता है। हमें चाहिए कि, हम प्रत्येक कार्य को एक मजबूत बुनियाद पर, इस विश्वास के साथ आरंभ करें कि – मैं करूँगा। इसके हाईएस्ट वाईब्रेशन हमारे लिए आशीर्वाद का काम करेंगे, ब्रह्मांड को भी पोजिटीव संदेश मिलेगा और यह सफलता को आकर्षित करेगा। तो आइए, अपनी शब्दावली से कोशिश/ प्रयास शब्द को हटा दें। जब हमारे शुरुआती विचार और शब्द शक्तिशाली रूप से पोजिटीव और एनर्जी से भरे होंगे, तो हमारे दृढ़ संकल्प और दृढ़ निश्चय से हर कर्म यथार्थ तरीके से होगा।
प्रतिदिन स्वयं को कई बार याद दिलाएं, कि आप एक शक्तिशाली प्राणी हैं। आप जो भी करने का निर्णय लें, वह जरूर करें। स्पष्ट लक्ष्य निर्धारित करें और सुनिश्चित करें, कि आप उन्हें कैसे प्राप्त करेंगे। आप उन पर काम करते हुए, अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करें। दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ अपने लक्ष्यों को पूरा करें। सोचें, फैसला करें और तुरंत इम्पलीमेंट करें, कभी भी उसे कल पर न टालें और कभी न कहें कि मुझे कोशिश करने दो। अपने लक्ष्यों और उनसे संबंधित उद्देश्यों के बारे में निश्चित रहें और सुनिश्चित करें कि, मुझे इसमें कोई संदेह या न हो पाने का भय तो नहीं है। हमेशा करने में विश्वास करें नाकि केवल इच्छा करें, कर्म पर फोकस करें, केवल कोशिश न करें। कर्म की जिम्मेदारी लें सिर्फ उम्मीद न रखें। जीवन के हर क्षेत्र में हमेशा उपलब्धि हासिल करने की दिशा में कर्म करें, केवल कोशिश न करें। सुनिश्चित करें, कि आपकी मन के अंदर की बातचीत पोजिटीव दिशा में ही हो, किसी भी कर्म को शुरू करने से पहले ही, अपने मन को सफलता के लिए प्रोग्राम करें। केवल हाई एनर्जी शब्दों का प्रयोग करें, जैसे कि मैं यह कर सकता हूँ… यह बहुत आसान है… मैं यह करूँगा। जैसे-जैसे हम अपने पोजिटीव वाईब्रेशन को बढ़ाएंगे, भय और शंकाएँ दूर होती जाएँगी और हमारी पोजिटीविटी से भरे वाईब्रेशन हमारी परिस्थितियों को भी पोजिटीव बनाकर, इवेंट और लोगों को आकर्षित करके, हमें सफलता की ओर ले जाएंगे।
क्या आपका आत्म-सम्मान हार और जीत पर निर्भर करता है? इसे बदलें! खुद को आध्यात्मिक दृष्टिकोण से देखने का तरीका जानें, आत्मा की शक्ति को पहचानें, और हर कर्म को खुशी से करें।
क्या आपका आत्म-सम्मान हार और जीत पर निर्भर करता है? इसे बदलें! खुद को आध्यात्मिक दृष्टिकोण से देखने का तरीका जानें, आत्मा की शक्ति को पहचानें, और हर कर्म को खुशी से करें।
क्या आपका आत्म-सम्मान हार और जीत पर निर्भर करता है? इसे बदलें! खुद को आध्यात्मिक दृष्टिकोण से देखने का तरीका जानें, आत्मा की शक्ति को पहचानें, और हर कर्म को खुशी से करें।
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