दूसरों की खुशियों का जश्न मनाएं
क्या आपका आत्म-सम्मान हार और जीत पर निर्भर करता है? इसे बदलें! खुद को आध्यात्मिक दृष्टिकोण से देखने का तरीका जानें, आत्मा की शक्ति को पहचानें, और हर कर्म को खुशी से करें।
January 31, 2024
क्या आप अपने टाइम शेड्यूल को; घर, ऑफिस, बच्चों की क्लास, शॉपिंग, फ्रेंडशिप और दूसरे कामों के बीच, अपने हिसाब से चलाना चाहते हैं। आप कैसा महसूस करते हैं, जब किसी चीज के लिए आपको इन्तज़ार करना पड़ता है। हम सभी एक ऐसे संसार में रहते हैं, जहां सब हमसे संतुष्ट होना चाहते हैं, तो ऐसे में हमारी धैर्यता की परीक्षा होती है। लेकिन हमारी अधीरता; समय की कमी न होने से ज्यादा, हमारा स्वयं पर नियंत्रण न होने की कमी को दर्शाती है। अक्सर हम सभी अपनी इच्छानुसार चीजों को करने के लिए अधीर हो जाते हैं, जो हमें लगातार एक के बाद दूसरा विचार, एक काम के बाद दूसरे काम के लिए भागदौड़ कराती रहती है और इससे हमारा तनाव, क्रोध और दर्द बढ़ जाता है। लेकिन यहां हमें ये ध्यान रखना होगा कि, अपने लक्ष्य के पीछे भागते हुए धैर्यता का दामन न छोड़ें। चीजों के लिए वेट करने की आदत डालें और विश्वास रखें कि, हर चीज एक्यूरेट है, और ठीक उसी समय पर हो रही है जब होनी चाहिए। जब हम खुद के साथ, लोगों और परिस्थितियों में धैर्यता रखते हैं, तो इससे हमारे जीवन में शांति आती है और हमारे अंदर प्यार और स्वीकार्यता का भाव पैदा होता है। साथ ही, इससे जीवन में आने वाली विपरित परिस्थितियों को हैंडल करने की ताकत भी मिलती है, क्योंकि अधीरता से हमारी एनर्जी कम हो जाती है। “धैर्यता” का अभ्यास करने से हम आत्मविश्वासी और लोकप्रिय बनते हैं और आवेग में आकर रिएक्ट करने की बजाय प्रतीक्षा करना; रॉयल्टी और सम्मान का प्रतीक है। इसके लिए स्वयं को याद दिलाएं – आज लाइफ में आने वाले हर सीन में धैर्यता को बनाए रखूंगा। न में खुद जल्दी करता हूँ न दूसरों को जल्दी करने के लिए कहता हूँ। मैं देरी को सहजता से हैंडल करता हूँ।
हमारे जीवन के अमूल्य गुणों में धैर्यता भी एक गुण है। तो आपने खुद को कितनी बार धैर्यवान महसूस किया है जब लोग आपके अनुसार कार्य नहीं करते? हम सभी के अंदर धैर्यता का गुण है, पर इसका लेवल अलग अलग है। यदि हम इसे प्रैक्टिस करना चाहते हैं तो सबसे पहले हमें इसके रास्ते में आने वाली रूकावटों जैसेकि: चिड़चिड़ापन, क्रोध, तनाव, डर वा संदेह को समाप्त करना होगा। और साथ ही, तुलना या प्रति-स्पर्धा करने से भी धैर्यता कम होती है। अक्सर हम ये बोलते हैं कि- मैं बिजी हूँ, मेरे पास आपकी बात सुनने के लिए समय नहीं है…मैं इस ट्रैफिक के क्लियर होने का इन्तज़ार नहीं कर सकता… मैं इस म्यूजिक को सहन नहीं कर सकता… तो अगर हम सुनेंगे नहीं, इन्तज़ार नहीं करेंगे तो इससे हमारी सहन करने की, स्वीकारने और समाने की शक्तियां कमजोर होती जाएंगी। अक्सर हमारा मन उन चीजों को नियंत्रित करने का प्रयास करता है, जिन्हें नियंत्रित नहीं किया जा सकता और इसी वजह से वो बेचैन हो जाता है और हमारे मन द्वारा अशांति की एनर्जी हमारे पूरे शरीर में रेडिएट होती है जिससे हमारे स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है और हमारे संबंध कमज़ोर होने लगते हैं। इसलिए हमें ये समझना होगा कि- लोग अपना बेस्ट दे रहे हैं और परिस्थितियां वैसी हैं जैसी होनी चाहिए। क्योंकि हमारी यह समझ संबंधों में प्यार, दया और सम्मानभाव जगाती है। तो आज से खुद को दिनभर में आने वाले हर सीन में धैर्यवान रहने के लिए तैयार करें।
क्या आपका आत्म-सम्मान हार और जीत पर निर्भर करता है? इसे बदलें! खुद को आध्यात्मिक दृष्टिकोण से देखने का तरीका जानें, आत्मा की शक्ति को पहचानें, और हर कर्म को खुशी से करें।
क्या आपका आत्म-सम्मान हार और जीत पर निर्भर करता है? इसे बदलें! खुद को आध्यात्मिक दृष्टिकोण से देखने का तरीका जानें, आत्मा की शक्ति को पहचानें, और हर कर्म को खुशी से करें।
क्या आपका आत्म-सम्मान हार और जीत पर निर्भर करता है? इसे बदलें! खुद को आध्यात्मिक दृष्टिकोण से देखने का तरीका जानें, आत्मा की शक्ति को पहचानें, और हर कर्म को खुशी से करें।
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