ब्रह्माकुमारीज का 7 दिवसीय कोर्स (भाग 4)
क्या आपका आत्म-सम्मान हार और जीत पर निर्भर करता है? इसे बदलें! खुद को आध्यात्मिक दृष्टिकोण से देखने का तरीका जानें, आत्मा की शक्ति को पहचानें, और हर कर्म को खुशी से करें।
January 9, 2024
हमने अपने समाज से सीखा है कि चीज़ें हमें खुशी देती हैं…और जितनी अधिक चीजें, जीवन में उतनी ही अधिक खुशी। आजकल जो भी प्रोडक्ट्स हम इस्तेमाल करते हैं या जो भी सर्विसेज हम लेते हैं वे सभी हमें खुशियां देने का वादा करती हैं। अपनी इन्हीं खुशियों के लिए हमने घर, गाड़ी, गैजेट, महंगी घड़ियां, ब्रांडेड कपड़े आदि खरीदना शुरू कर दिया…लेकिन धीरे-धीरे हमें यह अहसास हुआ कि, ये सब चीजें हमें स्थाई खुशियां नहीं दे सकती हैं। हम कुछ समय के लिए तो इनसे खुश हो सकते हैं पर जब उनसे भी ज्यादा क्वालिटी चीजें आ जाती हैं तो हम उन्हें पाने की चाहत रखने लगते हैं फिर जब वो पूरी हो जाती है तो हम फिर से और बेहतर पाने के लिए उदास हो जाते हैं। लेकिन सच तो यह है कि, खुशियां चीजों से नहीं बल्कि सही सोच से आती हैं। उदाहरण के लिए: फोन खरीदते समय हम सोचते हैं; अरे वाह! अब मेरे पास वह फोन है जो में हमेशा से लेना चाहता था, यह बेस्ट वर्जन है। लेकिन क्या हम ये जानते हैं कि, हमारे ये अच्छे विचार या सोच खुशी पैदा करते हैं नाकि फोन। हो सकता है कि, जिस व्यक्ति के पास बेसिक फीचर वाला फोन हो, वो भी अपनी अच्छी सोच के कारण खुश हो सकता है। वहीं दूसरी ओर, जिसके पास बेस्ट और सबसे महंगा फोन है जरूरी नहीं कि वो खुश ही हो, वह भी दुखी हो सकता है अगर उसकी सोच में तनाव, ईर्ष्या या क्रोध है। इसकी वजह है सही सोच हमें सुखद एहसास और खुशी देती है। इस प्रकार जीवन की हर परिस्थिति में; सही सोचने से हमारी खुशी हमेशा के लिए एक सुखद एहसास बन जाती है।
आजकल हमारी सोच बन गई है कि हम जो चाहते हैं, वो मिलने से ही हम खुश होंगे। लेकिन हमें यह याद रखना चाहिए कि, वस्तुएं भौतिक हैं जो हमारे भौतिक आराम के लिए जरूरी हैं पर ये हमारी खुशी का आधार नहीं हो सकतीं। तो आइए, आज स्वयं को भावनात्मक रूप से सहज होने के लिए तैयार करें। अपनी उपयोग की जाने वाली चीजों से खुद को फ्री महसूस करते हुए, खुश होने की कल्पना करें। घर, फोन, गाड़ी आदि हम जो कुछ भी यूज़ करते हैं उन सबकी बहुत लंबी लिस्ट है। आज से इस बात का ध्यान रखें कि- हमारी भावनात्मक सुख-सुविधा, भौतिक सुख सुविधा की वस्तुओं पर निर्भर न हों। वस्तुओं का उपयोग करते हुए भी स्थिर और शांत रहें। याद रखें कि – हम चीजों को नियंत्रित करते हैं, नाकि वे हमारे मन को नियंत्रित करती हैं। कुछ समय रुककर ये एफर्मेशन दोहराएं कि– मेरे पास जो कुछ भी है उसका उपयोग करते हुए मैं खुश हूं, स्थिर हूं।
क्या आपका आत्म-सम्मान हार और जीत पर निर्भर करता है? इसे बदलें! खुद को आध्यात्मिक दृष्टिकोण से देखने का तरीका जानें, आत्मा की शक्ति को पहचानें, और हर कर्म को खुशी से करें।
क्या आपका आत्म-सम्मान हार और जीत पर निर्भर करता है? इसे बदलें! खुद को आध्यात्मिक दृष्टिकोण से देखने का तरीका जानें, आत्मा की शक्ति को पहचानें, और हर कर्म को खुशी से करें।
क्या आपका आत्म-सम्मान हार और जीत पर निर्भर करता है? इसे बदलें! खुद को आध्यात्मिक दृष्टिकोण से देखने का तरीका जानें, आत्मा की शक्ति को पहचानें, और हर कर्म को खुशी से करें।
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