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प्रजापिता ब्रह्माकुमारीज़ ईश्वरीय विश्व विद्यालय

इस संस्था की स्थापना प्रजापिता ब्रह्मा, जो दादा लेखराज के नाम से जाने जाते थे, द्वारा सन् 1936 में अविभाजित भारत के हैदराबाद, सिंध प्रांत में की गई थी, जोकि बाद में सन् 1950 में, माउंट आबू, राजस्थान, भारत में स्थानांतरित कर दिया गया। आज अपने ही तरह का यह अनूठा आध्यात्मिक संगठन; पूरी दुनिया के 5 महाद्वीपों और 110 से अधिक देशों में अपनी पहचान और सफलता का परचम लहरा रहा है और समाज के लगभग सभी वर्गों पर इसका व्यापक प्रभाव पड़ा है। इस संगठन के आध्यात्मिक ज्ञान की यात्रा माउंट आबू से शुरू होकर धीरे-धीरे देश के विभिन्न हिस्सों में कईं शाखाओ के रूप में फैल गईं। इसके बाद सन् 1971 में, इस संस्था के राजयोग का आध्यात्मिक ज्ञान का अभ्यास विदेशों तक भी पहुंच गया, और ब्रह्माकुमारीज़ का पहला सेंटर लंदन में शुरु हुआ।

संस्था के संस्थापक प्रजापिता ब्रह्मा परमात्मा द्वारा विश्व में शांति, पवित्रता और संपन्नता को पुनः स्थापित करने के कार्य में सदा आगे रहे और तन, मन, धन से इस ईश्वरीय कार्य के प्रति समर्पित रहे। इस संस्था का मूल उद्देश्य; सम्पूर्ण मानव प्रजाति को अज्ञानता, दुख तथा नैतिक पतन से ऊपर उठाने और ईश्वर द्वारा प्राप्त आध्यात्मिक ज्ञान संदेशों के माध्यम से जागृति लाने हेतु स्थापित किया गया था। क्योंकि हमारे स्वयं के परिवर्तन से ही विश्व परिवर्तन संभव है। 

साथ ही विश्व की एकमात्र महिला नेतृत्व वाली यह संस्था “यूनाइटेड नेशंस डिपार्टमेंट ऑफ पब्लिक रिलेशन से संबद्ध एक अन्तर्राष्ट्रीय गैर सरकारी संगठन के रूप में काम कर रही है जो प्रत्येक व्यक्ति को उसकी श्रेष्ठ वास्तविक पहचान; शांति और गरिमा के आधार पर स्वयं के मूल स्वरूप को पहचानने और बदलने के प्रति समर्थन करती है। 

ब्रह्माकुमारीज़ विश्व का एकमात्र महिलाओं के नेतृत्व वाला संगठन है। यद्यपि इसके संस्थापक प्रजापिता ब्रह्मा थे, परंतु इस महिला संगठन की पहली प्रशासनिक प्रमुख “मातेश्वरी जगदम्बा” थीं, जिन्हें प्यार से सभी “मम्मा” कहकर बुलाते थे।

1965 में मातेश्वरी जगदम्बा और 1969 में प्रजापिता ब्रह्मा के शरीर त्यागने और अव्यक्त रूप में स्थित होने के बाद, राजयोगिनी दादी प्रकाशमणि जी को संस्था का अगला प्रशासनिक प्रमुख नियुक्त किया गया, जिन्होंने इस संगठन की सेवाओं का विस्तार पूरे भारत वर्ष और विश्व के 136 देशों में अति गौरवपूर्ण और प्रभावशाली तरीके से किया। 

और जब 2007 में राजयोगिनी दादी प्रकाशमणि जी ने अपने नश्वर शरीर का त्याग किया तब राजयोगिनी दादी जानकी जी को मुख्य प्रशासनिक प्रमुख बनाया गया, जिन्होंने विश्व के लगभग सभी देशों में परमात्म संदेश फैलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। दादी जानकी जी ने अपनी अथक मेहनत और समर्पण के साथ इस संस्था का सफलतापूर्वक नेतृत्व किया और वर्ष 2020 में 104 वर्ष की आयु में अव्यक्त अवस्था को प्राप्त किया।

बाद में, दादी हृदयमोहिनी जी जिनको प्यार से सभी दादी गुलजार कहकर बुलाते थे, को ब्रह्माकुमारीज़ का मुख्य प्रशासनिक प्रमुख नियुक्त किया गया। दादी गुलजार जी को स्वयं परमात्मा ने अपने संदेशवाहक के रूप में चुना था। परमातम ज्ञान और शिक्षाओं को अति सुंदर रूप में और प्रसन्नचित अवस्था में स्थित होकर अपनी सेवाओं का निर्वहन करते हुए दादी गुलजार ने वर्ष 2021 में शरीर त्यागा।

उनके पश्चात् दादी रतनमोहिनी जी को मुख्य प्रशासनिक प्रमुख बनाया गया, जो 98 साल की उम्र में भी अथक परिश्रम के साथ संगठन की जिम्मेदारियों और सेवाओं को सफलतापूर्वक संपन्न कर रही हैं।

ब्रह्माकुमारीज़ संस्था का वृहद वृक्ष और शाखाएँ

ब्रह्माकुमारीज़ संस्था एक विशेष उद्देश्य के साथ गठित कुछ सहयोगी संस्थानों की मदद से, अपनी विभिन्न सामाजिक-आध्यात्मिक भूमिकाएँ और जिम्मेदारियाँ निभाती है। हालाँकि इन सभी संस्थानों का एकमात्र लक्ष्य राजयोग के माध्यम से आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करना है, परंतु इस विशाल वृक्ष की प्रत्येक कार्यकारिणी शाखा इसी उद्देश्य को केंद्र में रखकर, अपने उपसंस्थान द्वारा निर्धारित गाइडलाइन्स के अनुसार कार्य क्रियान्वित करती है। आइए ब्रह्माकुमारीज़ के प्रमुख सहयोगी संस्थानो के बारे में जानते हैं:

World renewal spiritual trust

विश्व नवीकरण आध्यात्मिक ट्रस्ट (डब्लू आर एस टी)

यह संस्था सन् 1968 में एक धर्मार्थ ट्रस्ट के रूप में रजिस्टर की गई थी, जिसका मुख्य कार्यालय मुंबई में है। इस उप संस्थान के उद्देश्य व लक्ष्य थे:

उपरोक्त उद्देश्य के अलावा, यह उप संस्थान अध्ययन और शिक्षण के साथ-साथ संस्थानों की स्थापना और उनके समुचित प्रबंधन के लिए प्रावधान भी करता है।

Rajyoga education & research foundation

राजयोग एजुकेशन एंड रिसर्च फाउंडेशन (आर आर एफ)

इस संस्थान को 11 अगस्त 1982 में, एक शैक्षिक और धर्मार्थ सोसायटी के रूप में सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, XXI के तहत पंजीकृत किया गया था। यह अपने 20 संघटक विंग्स की मदद से कई प्रकार की जिम्मेदारियां निभाती है। यह सभी विंग हमारे समाज के विशिष्ट वर्गों की सेवा के लिए समर्पित हैं। इसके मुख्य उद्देश्य हैं:

The brahma kumaris education society

ब्रह्माकुमारीज़ एजुकेशन सोसायटी (बी के एस)

यह संस्थान दिनांक 18-11-1996 को बॉम्बे पब्लिक ट्रस्ट अधिनियम, 1950 (1950 का अधिनियम संख्या 29) के प्रावधानों के तहत एक शैक्षिक और धर्मार्थ समाज के रूप में पंजीकृत है, जिसका मुख्य कार्यालय मुंबई में स्थित है। संस्थान के मुख्य उद्देश्य हैं:

The radio madhuban community society

रेडियो मधुबन कम्युनिटी सोसाइटी (आर एम सी एस)

यह संस्थान अप्रैल 2013 में, एक शैक्षिक और धर्मार्थ सोसाइटी के रूप में दिल्ली में पंजीकृत किया गया था। इसके लक्ष्य और उद्देश्य हैं:

संयुक्त राष्ट्र में ब्रह्माकुमारीज़ की भूमिका

ब्रह्माकुमारीज़ संयुक्त राष्ट्र का एक अन्तर्राष्ट्रीय गैर-सरकारी संगठन है। यह संगठन 137 देशों में अपने अन्तर्राष्ट्रीय केंद्रों के नेटवर्क के माध्यम से, लोगों को उनके दैनिक जीवन को प्रभावित करने वाले महत्वपूर्ण मामलों पर अपनी राय व्यक्त करने के अवसर प्रदान करती है और सुनिश्चित करती है कि उनके द्वारा लिखित और मौखिक संदेश बयानों या फिर अन्य किसी पब्लिकेशन के माध्यम से संयुक्त राष्ट्र सम्मेलनों और बैठकों में प्रस्तुत किए जाएं। 

ब्रह्माकुमारीज़ के सिद्धांत, विशेष रूप से संयुक्त राष्ट्र के चार्टर की प्रस्तावना में निहित सिद्धातों के अनुसार हैं जिनके अनुसार “…मानव जाति की गरिमा और वैल्यूज को बनाए रखने के लिए मौलिक अधिकारों में विश्वास को पुख्ता करना…।” और… “संयुक्त राष्ट्र के उद्देश्यों और सिद्धांतों को उजागर करने हेतु जागरूकता को बढ़ावा देना…”।

Un 1

सन् 1984 में दादी प्रकाशमणि जी को यू.एन की तरफ़ से शांति पदक से नवाज़ा गया 

Un 2

1987 में यूनाइटेड नेशंस के “शांति वर्ष” के उपलक्ष्य में ब्रह्मकुमारीज के महत्वपूर्ण योगदान के लिए, 7 शांति दूत पुरस्कार से सम्मानित किया गया

Un 3

यूनाइटेड नेशंस ने शांति की संस्कृति (2000) को बढ़ावा देने के लिए “मेनिफेस्टो 2000” के अंतर्गत ब्रह्मा कुमारिज मैसेंजर को नामित किया।

यूनाइटेड नेशंस (संयुक्त राष्ट्र) के साथ ब्रह्माकुमारीज का जुड़ाव

Dpi ngo

1980 से

डिपार्टमेंट ऑफ पब्लिक इनफॉर्मेशन (डीपीआई) की सहयोगी संस्था

Ecosoc

1983 से

इकनॉमिक एंड सोशल काउंसिल (ईसीओएसओसी) के साथ जनरल परामर्शदात्री संस्था

Unicef1

1987 से

यूनाइटेड नेशंस चिल्ड्रेंस एजुकेशन फंड (यूनिसेफ) के साथ परामर्शदात्री संस्था

Fiat panis

2007 से

ग्रामीण लोगों के लिए शिक्षा, खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) की प्रमुख सदस्य

Unfccc

2009 से

जलवायु परिवर्तन पर यूनाइटेड नेशंस फ्रेमवर्क कन्वेंशन का पर्यवेक्षक संगठन (यूएनएफसीसीसी)

Unep

2014 से

यूनाइटेड नेशंस एनवायरनमेंट एसेंबली में पर्यवेक्षक संगठन (यूएनईपी)

साथ ही ब्रह्माकुमारीज़ संगठन, संयुक्त राष्ट्र के उद्देश्यों और सिद्धांतों को बढ़ावा देते हुए; संयुक्त राष्ट्र चार्टर के कार्यक्रमों- जागरूकता, दृष्टिकोण, विजन, मिलेनियम डेवलपमेंट गोल के लक्ष्यों को प्राप्त करने हेतु कार्रवाई करना, जलवायु परिवर्तन, खाद्य संकट, जेंडर इक्वालिटी, समानता, वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य, मानवीय आपात स्थितियाँ, मानवाधिकार, महिलाएँ, बच्चे, युवा, अन्तर्राष्ट्रीय दशक, दिन आदि में योगदान देती है।

इसके साथ ब्रह्माकुमारी संयुक्त राष्ट्र सम्मेलनों, तैयारी समिति की बैठकों, मौखिक और लिखित बयान प्रस्तुत करने वाले आयोगों का हिस्सा होने के साथ साथ, पैरालेल इवेंट्स की मेजबानी करना; एनजीओ समितियों और कॉकस के साथ काम करना, आदि में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।