सहज राजयोग
आध्यात्मिक समझ के समृद्ध, प्रामाणिक परंतु सरल स्रोत द्वारा स्वयं के बारे में, सर्वोच्च सत्ता- परमपिता परमात्मा, समय, स्थान, जीवन से जुड़े रहस्यों को जानने का एक सुंदर माध्यम
आध्यात्मिक समझ के समृद्ध, प्रामाणिक परंतु सरल स्रोत द्वारा स्वयं के बारे में, सर्वोच्च सत्ता- परमपिता परमात्मा, समय, स्थान, जीवन से जुड़े रहस्यों को जानने का एक सुंदर माध्यम
स्वयं की पहचान
राजयोग साप्ताहिक पाठ्यक्रम के पहले दिन में आपका स्वागत है। आज आप अपने भौतिक रूप और अपने आंतरिक स्वरूप के बीच का अंतर महसूस करेंगे। आप स्वयं को ऊर्जा के रूप में, एक आध्यात्मिक चेतना के रूप में, एक अत्यंत सूक्ष्म ज्योति के रूप में, एक शाश्वत प्रकाश बिंदु – आत्मा के रूप में पहचानेंगे। आप अपनी सहज प्रकृति को भी समझेंगे, और यह भी जानेंगे कि कैसे आत्मा शरीर के साथ मिलकर जीवन का अनुभव प्रदान करती है।
परमपिता की पहचान
आज के सत्र में स्वयं के वास्तविक स्वरूप को जानने के साथ-साथ आप परमात्मा; सर्वोच्च सत्ता के बारे में भी समझेंगे, जो गुणों और शक्तियों के सागर, अनंत भंडार हैं। आपको परमात्मा के एक ऐसे दिव्य प्रकाश बिंदु के रूप को अनुभव करने के लिए आमंत्रित किया जाता है जो सदैव निराकारी हैं और कभी शरीर धारण नहीं करते हैं। आप उनके यथार्थ नाम, रूप, घर, गुण, कर्तव्य और हमारे जीवन में उनकी भूमिका के बारे में भी जानेंगे।
राजयोग मेडिटेशन एक सरल अभ्यास है, जो कहीं भी, किसी भी समय और खुली आँखों के साथ किया जा सकता है। इस अभ्यास के द्वारा आप परमात्मा से जुड़कर सर्व संबंधों की अनुभूति कर सकते हैं। इसके लिए स्वयं को आत्मिक स्वरूप में स्थिर करें और परमात्मा के साथ कनेक्ट करें। साथ ही, आप गाईडेड कमेंट्री के द्वारा भी सहज राजयोग मेडिटेशन का अनुभव कर सकते हैं।
स्वयं की खोज की इस अनोखी यात्रा के चौथे दिन, आप राजयोग मेडिटेशन के द्वारा आत्मा की 8 शक्तियों और उनकी विशेषता के बारे में जानेंगे कि, जीवन की किसी भी परिस्थिति में कैसे इन शक्तियों का उपयोग करके, शांति और स्थिरता का जीवन जिया जा सकता है। यह अष्ट शक्तियां हैं: समेटने की शक्ति, संकीर्णता की शक्ति, समाने की शक्ति, सहन करने की शक्ति, परखने की शक्ति, निर्णय लेने की शक्ति, सामना करने की शक्ति और सहयोग देने की शक्ति।
आज के सत्र में आप विश्व के इतिहास या मानव-विश्व नाटकमंच के समयचक्र को गहराई से समझेंगे जोकि 4 युगों; सतयुग, त्रेता युग, द्वापर युग और कलयुग से मिलकर बनता है। और कैसे आज हम सभी कलयुग के अन्तिम चरण पर पहुंच चुके हैं और पुनः सतयुग का आह्वाहन करते हुए विश्व नवीकरण की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। साथ ही, आप यह भी समझेंगे कि, कैसे अपने रहन-सहन के तरीकों में बदलाव लाकर आप अपने आस-पास के वातावरण में भी श्रेष्ठ बदलाव ला सकते हैं।
आज छठे दिन के सत्र में, आप मानवता के वृक्ष या कल्पवृक्ष की आदि से अंत तक के गहन रहस्यों के बारे में जानेंगे; कि कैसे दुनिया एक धर्म, एक राज्य से शुरू होकर, कई धर्मों और शाखाओं, उप-शाखाओं में बंट गई। और कैसे सहज राजयोग के द्वारा हम सभी परमात्मा की श्रेष्ठ मत पर चलकर स्व परिवर्तन द्वारा विश्व परिवर्तन ला सकते हैं।
आज हम सबसे अधिक शक्तिशाली आध्यात्मिक लॉ के बारे में जानेंगे जो हर पल हमारे जीवन को नियंत्रित करता है। हम कर्मों की गुह्य गति, उसकी सूक्ष्म कार्यप्रणाली, उसके घटकों और परिणामों का भी पता लगाएंगे। और राजयोग मेडिटेशन के माध्यम से कर्मों की गहन गति को समझकर, कैसे श्रेष्ठ परिणाम प्राप्त किए जा सकते हैं। इस अभ्यास की सबसे महत्त्वपूर्ण बात है कि कैसे आप परमात्म ज्ञान और राजयोगी जीवनशैली अपनाकर अपने कर्मों को श्रेष्ठ बनाकर, जीवन में खुशी, स्वास्थ्य, सद्भाव ला सकते हैं जिससे धरती पर पुनः स्वर्ग स्थापित कर सकते हैं।
राजयोग के नियमित अभ्यास द्वारा दुनिया भर में शांति के प्रकंपन फैलाने हेतु, ब्रह्माकुमारीज संगठन विश्व के 110 से अधिक देशों में कार्यरत है, जिसका अंतरराष्ट्रीय मुख्यालय माउंट आबू की आकर्षक अरावली पहाड़ियों में स्थित है।
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