स्वीकार्यता और समझ के साथ सहन करें
जब परिस्थितियां और लोग हमारे अनुकूल नहीं होते, तब सहन करने की शक्ति हमारी आंतरिक क्षमता को दर्शाती है। इस शक्ति के द्वारा हम खुलेपन
April 23, 2024
किसी भी परिस्थिति से, खुद को बाहर निकालने की हमारी क्षमता को हम कछुए के व्यवहार से कोरिलेट कर सकते हैं। जब भी कोई बाहरी खतरे का आभास होता है तो कछुआ खुद को तुरंत अपने सख्त शेल या कवच में समेट लेता है। ऐसे ही जब हम खुद का आत्म-निरीक्षण करते हैं तो इसका अर्थ होता है; स्वयं के अंदर जाकर अपने को जानना। जब हम स्वयं के अंदर गहराई में जाते हैं और खुद पर एकाग्र होते हैं, तब हम परमात्मा के करीब पहुंचते हैं और हमें उनकी प्योर एनर्जी का करंट मिलता है जिससे हमारे नेगेटिव संस्कार समाप्त होते हैं। नियमित रूप से, हर घंटे एक मिनट का ये अभ्यास हमें हमारी गलत आदतों को समाप्त करने में मदद करता है। एक बार जब हम खुद से और परमात्मा से कनेक्ट होने की ये आदत बना लेते हैं, तो हम ऐसा किसी भी परिस्थिति के बीच में भी कर सकते हैं। अपनी इस क्षमता के द्वारा हम लोगों के साथ जुड़े रहते हैं और चुनौतियों के बीच भी सॉलिड रूप से खड़े रहते हैं क्योंकि हम आंतरिक रूप से उस परिस्थिति की एनर्जी से खुद को समेट लेते हैं। इसके साथ ही, हम अपनी भावनाओं से पीछे हटते हैं, डिटेच रहते हैं और देखते हैं कि, हम किसी तरह की अशांति तो पैदा नहीं कर रहे हैं। और अगर ऐसा है, तो हम समझ जाते हैं कि हमारी इगो ही हमारे दर्द का कारण है और खुद को याद दिलाते हैं कि हमें आंतरिक शांति की जरूरत है, जिससे शांति के संकल्प इमर्ज होते हैं।
विथड्रॉ करने वा साक्षी भाव के द्वारा हम किसी भी स्थिति के, हर एक पहलू को देख सकते हैं। इससे हमारे अंदर स्पष्टता आती है और हम सही तरह से रिस्पॉन्स करते हैं। इसके अलावा, हम अपने पुराने तौर तरीकों के अनुसार आवेग में आकर रिएक्ट नहीं करते। साथ ही, हम अपने चारों तरफ की ऊर्जाओं से प्रभावित नहीं होते हैं। जब हम बाहरी केओस और आंतरिक भावनाओं से खुद को समेट लेते हैं तो हम स्वयं से कनेक्ट होते हैं और असीम शांति का अनुभव करते हैं। इसी आंतरिक शांति में, हम हमारी समस्याओं के रचनात्मक हल ढूँढ पाते हैं। लोगों के साथ होना और खुद को उनकी एनर्जी से बचाने की हमारी क्षमता ही हमारा बचाव करती है। इस प्रकार से शांति की ऊर्जा के साथ जब हम रिस्पॉन्ड करते हैं तो दूसरे लोग भी सशक्त होते हैं।
तो आज एक दिन के लिए अपनी अंदरूनी शेल में चले जाएं और खुद से पूछें- क्या मेरे अन्दर कोई ऐसी आदत है जिसका नकारात्मक प्रभाव मेरे हर रोज के बिहेवियर को प्रभावित करता है? मैं किस प्रकार इस आदत को बदल या खत्म कर सकता हूँ?
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