रिश्तों में माफ़ करना और भूल जाना

May 15, 2024

रिश्तों में माफ़ करना और भूल जाना

रिश्तों में हल्के और स्टेबल रहने का एक ही मुख्य सिद्धांत है- माफ़/क्षमा करना और भूल जाना। ये एक अहम सिद्धांत है, जिसका अभ्यास करना, कभी-कभी हम लोगों को मुश्किल लगता है। इस सिद्धांत में, भूलने को माफ़ करने (फॉरगेट टू फॉर्गिव) में बदला जा सकता है। कभी-कभी किसी एक व्यक्ति विशेष के लिए हमारे अंदर इतनी ज्यादा कड़वाहट होती है कि हम उसी कड़वाहट के साथ कई साल बिता देते हैं और जिसने हमें हर्ट किया है उसके लिए हमारे मन में एक अंदरूनी युद्ध चलता रहता है और कहीं न कहीं हम चाहते हैं कि वे इसकी कीमत चुकाएं (बदले की भावना)। अक्सर आप हर्ट होने के समय, तुरंत जवाब नहीं देते हैं फिर भी इस गिल्ट कार्ड को अपने पास रखते हैं, ताकि उसे बाद में बाहर निकाल सकें। उदाहरण के लिए, हां आपने उस समय तो ये कहा था आदि…. क्योंकि हमने उन्हें माफ न करके, इस कड़वाहट को अपने अंदर रख रखा था। इससे परिस्थिति का समाधान तो हुआ नहीं बल्कि हमारा दर्द और बढ़ गया, हम भावनात्मक तौर पर भारी होकर अशांत हो गए। ऐसा इसलिए है क्योंकि जब तक हम माफ़ नहीं करते, तब तक हम बातों को भूल नहीं सकते। जब कोई हमें ठेस पहुंचाता है या हमारा अपमान करता है, तो हम उन बातों को लेट गो नहीं कर पाते हैं। इसके विपरित, अगर हमारी इच्छा एक स्वस्थ और स्थाई संबंध बनाने की है तो हमें बातों को लेट गो करना होगा।

 

कभी-कभी, जब प्रश्न किसी भी प्रकार के टूटे हुए सम्बंध का होता है, तो बात सिर्फ दूसरे को ही क्षमा या माफ़ करने की नहीं होती, बल्कि हमें खुद को भी इस बात के लिए माफ़ करना होता है कि, हमने खुद को उस अनुभव में बहने दिया था। अगर हमने ये कदम नहीं उठाया होता, तो हमें वो अनुभव भी नहीं होता। जब हमने उस चुनौती, उस रिश्ते को स्वीकारा और उसमें जो भी हुआ हो-उस संबंध में जाने से पहले ही हम सभी सम्भावनाओं से परिचित थे। इसलिए जरूरी है कि, दूसरों को माफ़ करने के साथ साथ हमें खुद को भी ऐसी परिस्थितियों के लिए माफ़ करना सीखना होगा, तब ही हम बातों को भूलकर आगे बढ़ पाएंगे।

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