स्वीकार्यता और समझ के साथ सहन करें
जब परिस्थितियां और लोग हमारे अनुकूल नहीं होते, तब सहन करने की शक्ति हमारी आंतरिक क्षमता को दर्शाती है। इस शक्ति के द्वारा हम खुलेपन
April 25, 2024
परमात्मा हमारे आध्यात्मिक माता-पिता हैं और वे इस ब्रह्मांड की सर्वोच्च आध्यात्मिक ऊर्जा हैं। कई सदियों से, विश्व के लाखों लोग परमात्मा से प्यार करते आ रहे हैं और उन्हें सम्मान देते आ रहे हैं। फिर भी, कुछ लोगों का कहना है कि- परमात्मा मनुष्य की रचना है और उसकी कल्पना है। क्या आपको कभी आश्चर्य हुआ है कि, आप एक आध्यात्मिक ऊर्जा हैं और दुनिया मे हर एक ऐसा ही है? अपने कार्यों के अनुसार हमारे व्यक्तित्व में बदलाव आता है। क्या हम इस बात से परिचित हैं कि, हमें एक आध्यात्मिक माता-पिता की आवश्यकता है जो गलत होने पर हमें सुधार सके और हमारे व्यक्तित्व को दोबारा पॉजिटिव और प्योर बना सके? इस ब्रह्मांड में परमात्मा का यही रोल है; हमें सही करना और दोबारा सुंदर बनाना। अगर उनका अस्तित्व न होता, तो हम अपने गुणों और शक्तियों में नीचे गिरते ही जाते। तो क्या परमात्मा के अस्तित्व पर प्रश्न चिन्ह लगाना गलत नहीं है? वे अनादि हैं और हम भी और साथ ही, हमारा उनसे रिश्ता भी अनादि है।
कुछ लोगों का मानना है कि परमात्मा; मनुष्य की संकल्पना है ताकि कोई तो ऐसा हो जिससे वे डरें और इसके चलते वे कोई भी गलत कार्य न करें। परंतु परमात्मा तो दया के सागर हैं, न कि कोई ऐसा जिससे डरा जाए। कुछ लोगों की राय है कि संसार की रचना पूरी तरह से एक भौतिक प्रक्रिया है, जिसमें परमात्मा का कोई भी रोल नहीं है। वहीं दूसरी तरफ, कुछ लोगों का मानना है कि, परमात्मा ने ही सृष्टि और मनुष्यों की रचना की है। कुछ लोगों को दूसरी राय में विश्वास करना मुश्किल होता है, इसलिए वे पहली राय में अपना विश्वास जताते हैं। परमात्मा द्वारा दिए गए आध्यात्मिक ज्ञान के आधार पर, ये दोनों ही मान्यताएं सही नहीं हैं। परमात्मा ने इस सत्य को उजागर किया है कि, इस ब्रह्मांड में तीन सत्ताएं शाश्वत या अनादि हैं- परमात्मा, आत्माएं और प्रकृति और ये तीनों न कभी बनें हैं और न ही कभी नष्ट होंगे। इन तीनों में से, आत्माओं और प्रकृति के गुणों में सकारात्मकता से नकारात्मकता और नकारात्मकता से सकारात्मकता आती है, पर परमात्मा अपने गुणों में सदा ही सतत या स्थिर हैं और वे आत्माओं और प्रकृति को समय की प्रक्रिया में; जब भी वे नेगेटिव होते हैं उन्हें नेगेटिव से पॉजिटिव बनाते हैं। यह प्रक्रिया आध्यात्मिक सृजन या आध्यात्मिक कायाकल्प है जिसके द्वारा परमात्मा दोबारा पुराने को नया बनाते हैं। ये जीवन का एक नाटक है जिसे हमें गहराई से समझने और परमात्मा की उपस्थिति को महसूस करने और उनके अस्तित्व पर सवाल उठाने के बजाय, उनसे जुड़कर खुद को बदलने की जरूरत है।
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