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मन को कंट्रोल करना (भाग 1)

April 26, 2024

मन को कंट्रोल करना (भाग 1)

हमारे जीवन का एक बहुत ही महत्त्वपूर्ण और चुनौतीपूर्ण पार्ट है; अपने विचारों और भावनाओं को जैसे हम चलाना चाहते हैं वैसे चलाना। अधिकतर, हमारा मन बिखरे हुए विचारों से भरा हुआ होता है जिन्हें हम कम करना चाहते हैं ताकि हम अपने कार्य एकाग्रचित्त होकर कर सकें। ऐसा इसलिए है क्यूँकि जब भी हम कोई विशेष कार्य कर रहे होते हैं तब हमें सिर्फ कुछ विचारों की ही आवश्यकता होती है जोकि उस विशेष कार्य से संबंधित होते हैं। कभी-कभी इन विचारों के साथ, अतीत के विचार या भविष्य में करने वाले कार्यों के विचार या दूसरे लोगों और उनके शब्दों और कार्यों के विचार भी हमारे मन में चलते हैं। इसके चलते हम उस कार्य को करने के लिए ज्यादा समय ले लेते हैं। साथ ही, ये भी देखा गया है कि, इसी वजह से कार्यस्थलों या ऑफिस में कार्यक्षमता बहुत ज्यादा कम हो जाती है। ऐसा कहा जाता है कि, यदि एक व्यक्ति एक दिन में 8-10 घंटे काम करता है, तो कार्य को दिया गया वास्तविक समय 100% से कम होता है। इसके कारण, मेडिटेशन और मन को आराम देने की तकनीकों की बहुत ज्यादा जरूरत होती है, जो विचारों की स्पीड को कम करने में कारगर साबित होती हैं और इसके परिणामस्वरूप विचारों की संख्या भी कम हो जाती है।

 

आज के समय में, हम सभी तकनीकों से बहुत अधिक परिचित हैं। जितना अधिक ये विकास हो रहा है और ज्यादा से ज्यादा अलग-अलग प्रकार की मीडिया हमारे मन को छू रही है, उतना ही अधिक हमारा मन बहुत ज्यादा विचारों से भरता जा रहा है। कभी-कभी हममें से कई लोगों के लिए इन विचारों को रोकना बहुत मुश्किल हो जाता है। इसलिए, जरूरी है कि, हम दिनभर में एक नियमित अंतराल में आध्यात्मिक ऊर्जा के शांति के स्रोत से जुड़ें। ऐसा कहा जाता है कि, आज के समय में हम दो स्रोतों से अलग हो गए हैं। जिसमें से पहला स्रोत हमारे अंदर है जो है हमारा स्पिरिचुअल सेल्फ और दूसरा स्रोत है परमात्मा वा ईश्वर। वास्तव में हमारा स्पिरिचुअल सेल्फ; शांति से भरपूर है और उसे याद करने से, हमें शांति का अनुभव होता है और परमात्मा जोकि शांति के सागर हैं, उनसे जुड़ने में मदद मिलती है। 

(कल जारी रहेगा…)

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