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कंट्रोल को कंसर्न में शिफ्ट करें

April 13, 2024

कंट्रोल को कंसर्न में शिफ्ट करें

जब लोगों को इस बात का अहसास होता है कि हम उनकी परवाह करते हैं, तब वे हमारे करीब आते हैं। उसके विपरीत जब वे महसूस करते हैं  कि, हम उन्हें कंट्रोल करने की कोशिश कर रहे हैं तो वे हम से दूर चले जाते हैं। हम लोगों का भला चाहते हैं और इस इरादे से कि वे कैसे बदल सकते हैं और उन्हें स्वयं में क्या बदलाव लाने चाहिए इसके लिए उन्हें इशारा देते हैं, पर कभी-कभी हमारी उनके लिए ये फिक्र या परवाह, नियंत्रण में बदल जाती है।

 

1.लोग अपनी क्षमता के अनुसार एक्ट करते हैं। हमें उनके लिए प्यार और करूणा के सही थॉट क्रिएट करने चाहिए। जब हम स्थिर रहकर उनके साथ ये साझा करते हैं कि, उन्हें खुद में क्या और क्यों बदलाव लाने हैं और ये सिर्फ और सिर्फ उनकी भलाई के लिए है न कि हमारी खुशियों के लिए, तब वे हमारे कंसर्न को समझ सकेंगे।

 

2.जब हम उनकी परवाह करते हैं और इसे एक्सप्रेस करते हैं, तब हमें अपनी उस एनर्जी से, कि मेरा तरीका सही है आपको इसे मानना ही होगा हटाना होगा। हमें इस बात को स्वीकार करना होगा कि, हमारा और उनका तरीका अलग-अलग है, ऐसा करने पर ही वे हमारी बात मानेंगे और हमारे द्वारा बताए गए तरीके को अपनाने का प्रयास करेंगे।

 

3.हालांकि, हम लोगों से नाराज़ न भी हों, पर जब हम उनके लिए ये थॉट क्रिएट करते हैं कि वे गलत हैं; ऐसे में ये एनर्जी उन तक पहुंचती है कि हम उन्हें नियंत्रित कर रहे हैं। और इस सिचुएशन में वे हमसे दूर जाना चाहेंगे क्योंकि कोई भी व्यक्ति अपने ऊपर किसी का नियंत्रण नहीं चाहता है। तो एक भी बार जब ऐसी एनर्जी उन तक पहुंचती है, तब हम चाहे कितना भी ये समझाएं कि, हम उनकी चिंता या परवाह करते हैं, वे स्वयं को डिफेंड करने का ही प्रयास करेंगें।

 

4.किसी की परवाह करना सोल्यूशन ओरिएंटेड है जबकि कंट्रोल करना प्रॉब्लम ओरिएंटेड। जब हम किसी को कंट्रोल करने की कोशिश करते हैं, तो हम उनकी आदतों या व्यवहार पर जैसे प्रश्न उठाते हैं और इसके बदले में वे भी हमारे साथ वैसा ही करते हैं। हमारे लॉजिक को वे अपने लॉजिक से अपोज करते हैं, जिसकी वजह से ही आपसी बहस छिड़ जाती है।

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