दुआएं दें, दुआएं लें
दुआएं; पॉजिटिव एनर्जी के वायब्रेशन हैं जिन्हें हम एक दूसरे के साथ साझा करते हैं और ये संबंधों को बेहतर बनाने का कार्य करती हैं।
अब तक हम जान चुके हैं कि हम सभी आध्यात्मिक ऊर्जाएं (spiritual energies) या आत्माएं हैं जो वर्ल्ड ड्रामा की स्टेज पर विभिन्न प्रकार के पार्ट बजाते हैं। इस वर्ल्ड ड्रामा में हम सबने ने बहुत अच्छे कर्म किए हैं और देह भान के प्रभाव में कुछ नकारात्मक कर्म भी किए हैं। हममें से कुछ अपने कार्यों के बारे में अधिक जागरूक हैं और कुछ कम जागरूक हैं। आये जानें कि ऐसा क्यूँ होता है? जैसे-जैसे हम वर्ल्ड ड्रामा में, अपने अलग-अलग जन्मों में आगे बढ़ते जाते हैं, हम विभिन्न प्रकार के अनुभवों से भी गुजरते हैं, जोकि न केवल हमारे संस्कारों को बल्कि हमारे मन और बुद्धि को भी प्रभावित करते हैं। परिणामस्वरूप, समय के साथ-साथ, जीवन के बारे में हमारी मान्यताएँ, जीवन की परिस्थितियाँ, पोजिटीविटी, प्यूरीटी, अच्छाई, आत्मा की अनुभूति और परमात्मा का ज्ञान बदल जाते हैं। साथ ही, हम सभी अपने अलग-अलग जन्मों में, अलग-अलग तरह की सूचनाओं, अलग-अलग रिश्तों, जीवन के अलग-अलग दृश्यों से अवगत होते रहे हैं जिन्होंने हमारी आत्म शक्ति को भी अलग-अलग तरह से प्रभावित किया है और आज हमारे विचार, विश्वास और मान्यताएं भी उसी का दर्पण हैं। यही कारण है कि आज कुछ लोग अपने प्रत्येक कार्य के प्रति अधिक सावधान रहते हैं और कुछ कम। लेकिन कार्मिक सिद्धांत एकदम स्पष्ट है और बताता है कि आत्म-चेतना (soul- consciousness) के प्रभाव में किए गए कर्म; शांति, आनंद, प्रेम, आनंद, पवित्रता, शक्ति और ज्ञान जैसे दिव्य गुण हमें अधिक खुशी देते हैं और हमारे जीवन में बेहतर और अधिक पोजिटीव परिस्थितियों को आकर्षित करते हैं लेकिन शरीर की चेतना (body consciousness) के प्रभाव में किए गए कर्म; काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार, ईर्ष्या, घृणा और छल जैसे विकार हमें दुख देते हैं और हमारे जीवन में अधिक नेगेटीव परिस्थितियों को आकर्षित करते हैं।
परंतु इसके विपरीत, वर्ल्ड ड्रामा में पार्ट बजाने वाले परमात्मा; सिर्फ एक वो ही है जो पार्ट बजाते हुए हमेशा देही-अभिमानी रहते हैं। उन्हें अपने कर्मों का फल मनुष्य आत्माओं की तरह नहीं मिलता क्योंकि वह सदा ही ज्ञान, गुणों और शक्तियों का अखंड सागर है और वर्ल्ड ड्रामा में सदा एक समान रहते हैं। वह सदा भरपूर हैं और मनुष्य आत्माओं और प्रकृति को निरंतर देने वाले हैं और कभी भी किसी से या प्रकृति से कुछ भी नहीं लेते हैं। तो वर्ल्ड ड्रामा जब सतयुग और त्रेता की स्टेज में होता है तब मनुष्य आत्माएं देही-अभिमानी होती हैं और वर्ल्ड ड्रामा जब द्वापर-कलियुग में होता है तब देह-अभिमानी होती हैं। इसलिए पहले दो युगों में दु:ख नहीं होता और जब वर्ल्ड-ड्रामा, द्वापर से होकर कलियुग के अंत में आता है, दुख शुरू होकर बढ़ता जाता है।
दुआएं; पॉजिटिव एनर्जी के वायब्रेशन हैं जिन्हें हम एक दूसरे के साथ साझा करते हैं और ये संबंधों को बेहतर बनाने का कार्य करती हैं।
सामना करने की क्षमता से हमारे अंदर किसी भी समस्या के समाधान पर फोकस करने और हर हालत में उसका समाधान खोजने की क्षमता का
चाहे आपका जीवनसाथी हो, बच्चा हो, दोस्त हों या ऑफिस के सहकर्मी हों, हम चाहते हैं कि हमारे आस-पास के लोग परिपूर्ण यानि कि परफेक्ट
अपने दिन को बेहतर और तनाव मुक्त बनाने के लिए धारण करें सकारात्मक विचारों की अपनी दैनिक खुराक, सुंदर विचार और आत्म शक्ति का जवाब है आत्मा सशक्तिकरण ।
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