प्रशंसा/ सराहना के दौरान स्टेबल कैसे रहें

प्रशंसा/ सराहना के दौरान स्टेबल कैसे रहें

जब लोग हमारी प्रशंसा या सराहना करते हैं कि, हम कैसे हैं या हम क्या करते हैं, तो जो कुछ भी वो हमारे बारे में कहते हैं – वास्तव में वह हमारे बारे में नहीं होता है, बल्की ये उनकी अपनी क़्वालिटी दर्शता है कि, वे हममें अच्छाई देखते हैं। यह हमारे बारे में उनकी राय है, उनका दृष्टिकोण है, और ये परिवर्तनशील है। तो, हमें उनके इस जेस्चर के लिए उन्हें धन्यवाद देना चाहिए, लेकिन उस क्षण में कभी भी बहके नहीं या प्रशंसा के आदी न हो जाएं। हो सकता है कि, आपकी सोशल मीडिया पोस्ट को बहुत कम लाइक्स मिले हों, किसी प्रोजेक्ट- वर्क में, आपके द्वारा किए गए प्रयासों के बाद भी, आपको आपके बॉस से रिकगनिशन न मिलना, आपके परिवार द्वारा शायद ही कभी आपकी देखभाल और प्यार को ऐकनोलेज किया जाना। तो, क्या आप इन कारणों के द्वारा डीमोटीवेटेड फील करते हैं? और क्या आपको सराहना/ प्रशंसा की सूक्ष्म ही सही, लेकिन आवश्यकता महसूस होती है? क्या आप जानते हैं कि प्रशंसा मिलना एक बात है, लेकीन उसके पीछे भागना, बिल्कुल अलग बात है। प्रशंसा व्यक्ति विशेष के ऊपर निर्भर है, एक व्यक्ति हमारी प्रशंसा कर सकता है, जबकि वहीं दूसरा व्यक्ति हमें नीचा दिखा सकता है। प्रशंसा पाने की इच्छा रखने से, हमारे जीवन के फैसले प्रभावित हो सकते हैं, और हम लोगों को प्रभावित करने के लिए लगातार काम करेंगे। जब कोई हमारी सराहना करता है, तो यह उस व्यक्ति के सुंदर व्यक्तित्व को दर्शाता है कि उसने हममें अच्छाई देखीं, इसलिए वे सराहना योग्य हैं, हम नहीं। यही समझ, हमें स्टेबल और विनम्र बने रहने में मदद करती है और हमारी ईगो को कंट्रोल करती है। प्रशंसा को ग्रहण न करें, इसके बजाय, परमात्मा को धन्यवाद कहते हुए, उन्हें समर्पित कर दें। साथ ही, उस व्यक्ति का भी विनम्रतापूर्वक धन्यवाद करें, जिन्होनें आपकी प्रशंसा की।

हमेशा स्वयं को याद दिलाते रहें कि, आप विनम्र हैं, और उसी के अवतार बनें। सभी के लिए प्यार और देखभाल का प्रदर्शन करें। अपने रोल और जिम्मेदारियों को ईमानदारी से निभाएं। जब लोग आपके गुणों और प्रतिभा से खुश होकर आपकी सराहना करते हैं, लेकिन आप बिना प्रभावित या उत्साहित हुए, हर कर्म निस्वार्थ भाव से करते हैं, किसी भी प्रकार की चाहना या मान- शान की इच्छा के बगैर, अपने ऑथेनटिक स्व में बने रहते हैं। जब भी आपकी सराहना की जाए, तुरंत अपने मन में दोहराएं, कि आप परमात्मा का साधनमात्र हैं, आपको इस कर्म को करने के लिए चुना गया था, और लोगों का आपके द्वारा लाभान्वित होना फिक्स था, और आप भाग्यशाली हैं कि उस सीन का हिस्सा बने। आप अपनी हर सराहना के लिए परमात्मा का धन्यवाद कर, उन्हें समर्पित कर दें और जिन्होने भी इसका अवसर दिया, उन्हें धन्यवाद दें और लोगों को स्वीकार कराएं कि, उनके द्वारा की गई प्रशंसा, उनकी स्वयं की अच्छाई का प्रतिबिंब है और यह दूसरों में अच्छाई देखने के उनके सुंदर गुण को दर्शाता है । हर मिलने वाली प्रशंसा में स्टेबल रहें, इसकी इच्छा न रखें और नाहि इसे स्वीकार करें, और सुनिश्चित करें कि, आप पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ता। विनम्रता, ही आपके जीवन जीने का स्वाभाविक तरीका है।

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