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सफलता की राह पर 8 कदम (भाग 3)

April 19, 2024

सफलता की राह पर 8 कदम (भाग 3)

सफलता की राह बड़े बदलावों से भरी हुई होती है, जिनका हमें एक यात्री की तरह सामना करना होता है, उनके अनुसार स्वयं को अडैप्ट करना होता है, ताकि उनका नकारात्मक प्रभाव हम पर न पड़ सके। लेकिन कुछ ऐसे लोग भी होते हैं जो जीवन में आए बदलावों के अनुसार स्वयं को ढाल पाने में बहुत कमज़ोर होते हैं, क्योंकि उनमें आध्यात्मिक शक्ति की कमी होने के कारण इन बदलावों को नेगेटिव रूप में लेने की प्रवृत्ति होती है। हमारे यहां ब्रह्माकुमारीज में कहा जाता है कि, जो खुद को मोल्ड करता है वो ही रियल गोल्ड बनता है या कीमती बनता है या फिर दूसरे शब्दों में आध्यात्मिक रूप से पवित्र और शक्तिशाली बनता है। इसलिए सफलता की राह पर जो कई तरह के मील के पत्थर किसी भी व्यक्ति को दिखाई देते हैं उसमें खुद को ढालने या बदलने की क्षमता एक तरह की आध्यात्मिक शक्ति है और हमें इस शक्ति से स्वयं को भरपूर करना होता है। साथ ही, सफलता की राह पर पर हमें रुकने या ठहरने की भी जरूरत है जैसे कि ट्रैफिक सिग्नल पर कुछ साइन पोस्ट देखकर हम रुकते हैं। ये सभी साइनपोस्ट हमें ये संदेश देते हैं कि, अगर उस मोमेंट पर, जिस स्पीड से हम उस साइन पोस्ट को बिना रुके क्रॉस करते हैं तो इससे किसी दुर्घटना होने की आशंका या तो एक बीमार शरीर या किसी फिर टूटे हुए संबंध के रूप में दुर्घटना हो सकती है। साथ ही, इससे एक तनावयुक्त मन या प्रोफेशनल या पर्सनल रोल में कोई नुकसान पहुंच सकता है, जिसका प्रयोग कर हम जीवन के किसी भी क्षेत्र में सफलता हासिल करना चाहते हैं। और इससे सफलता की यात्रा में ठहराव या रुकावट भी आ सकती है।

 

दूसरी आध्यात्मिक क्षमता है- सफलता की राह पर जो भी साइड सीन हैं उनके हिसाब से नए क्रिएटिव संस्कारों को मन में बिठाने की क्षमता। ये साइड सीन कई लोगों के लिए आश्चर्यजनक हो सकते हैं। जिन संस्कारों को उस क्षण मन में बिठाने की जरूरत होती है; वे बहुत साधारण होते हैं जैसेकि, इगोलैस होना या सभी के साथ समान रूप से प्रेम करना। इसके अलावा, किसी व्यक्ति की नेगेटिविटी को अवॉइड करना और उसे इधर उधर न फैलाना, इरीटेट न होना, धैर्य बनाए रखना, किसी भी तरह की असफलता के संकल्प क्रिएट न करना और हर किसी के रोल को सहजता के साथ स्वीकार कर लेना। इसके साथ ही, कुछ दूसरे संस्कार भी इमर्ज होते हैं जैसेकि सही और गलत को परखने की शक्ति का होना या फिर धन, समय और एनर्जी जैसे संसाधनों में इकनॉमिकल रहना। इन सबके साथ-साथ, किसी भी यात्रा की तरह ये भी आवश्यक है कि, हम किसी भी साइड सीन में नहीं फंसे। इन्हें इग्नोर करना या लेट गो करना है और सफलता की राह पर दृढ़ता के साथ अपना पूरा फोकस सफलता पर बनाए रखना है जिसके लिए हमारी पूरी यात्रा समर्पित है।

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