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आत्मा के लिए जरूरी 7 विटामिन

April 29, 2024

आत्मा के लिए जरूरी 7 विटामिन

हम सभी जानते हैं कि, विटामिन हमारी फिजिकल बॉडी के लिए नरिशमेंट का सोर्स के हैं जो इसे ताकत प्रदान करते हैं। हम भोजन के विभिन्न स्रोतों से विटामिन ग्रहण करते हैं। आइए, आज उन 7 आध्यात्मिक विटामिन के बारे में जानें जोकि परमात्मा द्वारा दिए गए आध्यात्मिक ज्ञान और योग के माध्यम से आत्मा को पोषण देते हैं –

 

  1. शांति – गहरी शांति का अनुभव वहां होता है; जहां कोई प्रश्न नहीं पूछा जाता, हर किसी और हर चीज की गहरी संतुष्टि और सूक्ष्म लेवल पर स्वीकृति होती है। शांति के लिए सुंदर विचार क्रिएट करें- मैं शांति से भरपूर आत्मा हूं… मैं शांति को महसूस करती हूं, अनुभव करती हूं और शांति के वायब्रेशन रेडिएट करती हूं।

 

  1. खुशी – माना हल्केपन और छलकते हुए उत्साह का अनुभव, जहां स्वयं, दूसरों के साथ और प्रकृति के गुणों के साथ गहराई से जुड़ने की भावना होती है। आनंद के विचार क्रिएट करें- मैं आत्मा आनंदित और हल्की हूं… मैं अपनी इनर पॉजिटिव एनर्जी से सभी के मन को स्पर्श करती हूं।

 

  1. प्यार – स्वयं के लिए, परमात्मा के लिए और हर किसी के लिए और अपने आसपास की हर चीज के लिए, अच्छाई की गहरी भावना; जहां दिल को सदा भरपूरता और संतुष्टि की अनुभूति होती है। प्यार का एक गहरा रिफ्लेक्शन है- मैं प्यार का फरिश्ता हूं… मैं दूसरों की भलाई के लिए स्वयं की बहुत परवाह करता हूं, दूसरों के साथ शेयर करता हूं और स्वयं को एक्सप्रेस करता हूं।

 

  1. आनंद – एक खूबसूरत एहसास, जहां व्यक्ति को लगता है कि उसे वह सब कुछ मिल गया है जो उसका दिल चाहता है और उसे किसी और चीज की जरूरत नहीं है। आनंद की एक बहुत गहरी अनुभूति इस प्रकार व्यक्त की जाती है– मैं एक आनंदमय आत्मा हूं… मैं परमात्मा से जुड़कर उनकी हर चीज से स्वयं को भरपूर करता हूं।

 

  1. पवित्रता – स्वच्छता का एक गहरा अनुभव, जहां आत्मा अपनी सारी नकारात्मकता मिटाकर परिपूर्ण हो गई है। प्यूरिटी के लिए पॉजिटिव एफरमेशन क्रिएट करें- मैं एक शुद्ध आध्यात्मिक शक्ति हूं… मैं अपने सभी गलत कामों और गलतियों को सुधारने के लिए, परमात्म ज्ञान द्वारा अपनी बुद्धि को स्वच्छ बनाती  हूं और वही अनुभव करती हूं।

 

  1. शक्ति – शक्ति और स्थिरता की भावना, जहां आत्मा ने डरना बंद कर दिया है और साथ ही वह सहनशील है। शक्ति का एक सकारात्मक रिफ्लेक्शन हैमैं आत्म-अभिमानी हूं और देह-अभिमान से पूर्णतः मुक्त हूं… कोई भी परिस्थिति मुझे हिला नहीं सकती और मेरी आंतरिक शक्ति को छू नहीं सकती।

 

  1. सत्य – आत्मा और परमात्मा के ज्ञान का स्वरूप बनने और उनके द्वारा दिए गए ज्ञान को हर विचार, शब्द और कार्य में अनुभव करने की भावना ही सत्यता है। सत्य का एक गहन विचार है- मैं परमात्मा द्वारा बताए गए सभी सत्य से परिचित हूं और उसी स्वमान में रहता हूं… परंतु साथ ही मैं अति विनम्र भी हूं।

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