
अपने शरीर का सम्मान करने की कला
हमारा शरीर; जो हम सभी के लिए हमारी शारीरिक पोशाक है, अक्सर हमारे स्वयं या दूसरों के द्वारा परखा जाता है, कभी कभी आलोचना या
दुनिया की खबरों को कैसे देखें?
जब हम अखबार में किसी व्यक्ति या स्थान के बारे में पढ़ते हैं, या फिर टी. वी./ सोशल मीडिया में समाचार देखते हैं तो हम अपने अंदर वैसे ही भावनाएं पैदा करने लगते हैं। यदि हम किसी प्राकृतिक आपदा, आतंकवादी हमले, दुर्घटना, बीमारी, आर्थिक संकट की खबरें देख रहे हों तो, दुःख, भय, गुस्सा और नफरत आना स्वाभाविक लगता है। लेकिन जब हम ये भावनाएँ पैदा करते हैं, तो फिर यह बाहरी दुनिया की खबर न रहकर हमारी आंतरिक दुनिया का भाग बन जाता है। क्या आप जानते हैं कि किसी घटना के बारे में नकारात्मक भावनाएं पैदा करके, हम उसमें शामिल लोगों और उस स्थान पर भी दुख और भय के वाईब्रेशन रेडीएट करके, उनके दर्द को और अधिक बढा रहे होते हैं। जबकि हम समझते हैं कि पीड़ित के समान दर्द महसूस करना करुणा है। लेकिन हमें इस पर विचार करने की जरुरत है कि, क्या हम उन्हें और अधिक पीड़ा व दर्द पहुँचाना चाहते हैं या फिर हम उन्हें हीलिंग एनर्जी भेजना चाहते हैं। करुणा (कम्पेशन) का रिअल अर्थ है कि, उन्हें समझना और वह देना जो उन्हें चाहिए। अगर गुस्सा और नफरत का माहौल है तो हमें प्यार भेजना होगा। अगर दहशत और भय है, तो हमें शांति भेजने की जरूरत है। अतः समाचार देखते समय… स्वयं को उस सिचुएशन से अलग करके पोजीटिव वाईब्रेशन भेजें, जिनकी उन्हें ज़रूरत है… नाकि वे वाईब्रेशन जो वहां पहले से मौजूद हैं।
अगर हम सभी दुनिया में जो कुछ भी घटित हो रहा है, वैसे ही वाईब्रेषन क्रिएट करके रेडीएट करेंगे तो, दुनिया में वैसी ही घटनाएं और भी अधिक घटित होगी। ऐसे ही, यदि हम किसी आतंकी हमले के बारे में सुनते हैं और नफरत का भाव पैदा करते हैं, तो हम इस दुनिया में और भी अधिक नफरत फैलाते हैं। और नफरत के वाईब्रेशन पूरी दुनिया में फैलने लगेंगे और हिंसा बढ़ जाएगी। ऐसे समय में उन्हें हीलिंग एनर्जी भेजना और दुनिया में फैली नेगेटिव एनर्जी को प्रेम और शांति की पोजीटिव एनर्जी में बदलने के लिए, हमें हिंसा व नफरत देखते समय भी वही पोजीटिव भावनाएं पैदा करके रेडीएट करनी होंगी। साक्षी भाव का अर्थ ही है कि, जीवन में चलने वाले सीन को देखते हुए अलग और पोजीटिव भाव क्रिएट करना। आज पूरे संसार को एकता, करुणा, सम्मान, प्रेम और शांति के वाईब्रेशन की आवश्यकता है। तो आइए, हम सभी ऐसे वाईब्रेशन क्रिएट करते रहें। दुनिया में जीने का एक तरीका है- संसार के वाईब्रेशन से प्रभावित हो जाना और दूसरा तरीका है- अपने वाईब्रेशन से उसे प्रभावित करना।
(कल भी जारी रहेगा…)
हमारा शरीर; जो हम सभी के लिए हमारी शारीरिक पोशाक है, अक्सर हमारे स्वयं या दूसरों के द्वारा परखा जाता है, कभी कभी आलोचना या
क्या मैं स्वयं से संतुष्ट हूँ – जीवन में आगे बढ़ने के लिए स्वयं से, अपने संस्कारों से, अपने विचारों, शब्दों और कार्यों से तथा
वर्ल्ड ड्रामा एक ऐसा नाटक है जिसे सभी आत्माएं पृथ्वी ग्रह पर अवतरित होकर खेलती हैं और जिसके चार चरण वा युग होते हैं –
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