अपनी आसक्तियों / लगाव के बारे में जानना (भाग 2)

अपनी आसक्तियों / लगाव के बारे में जानना (भाग 2)

हम सभी ने कल बाहरी आसक्तियों/ लगाव के कुछ सामान्य उदाहरणों के बारे में जाना, आइये आज के संदेश में आंतरिक लगाव को कुछ उदाहरणों के द्वारा समझें:

– आपके सुझाव,

– आपकी मान्यताएं,

– आपकी राय या दृष्टिकोण,

– आपकी निर्णय लेने की शक्ति,

– आपकी मेमोरीज,

– आपके सोचने का एक निश्चित तरीका,

– आपका कोई विशेष गुण या विशेषता,

– आपकी एक विशेष शक्ति,

– एक विशेष संस्कार: चाहे पोजिटीव या नेगेटीव,

– हमारे जीवन में विभिन्न प्रकार के ज्ञान व विवेक का होना व अन्य 

यहां आंतरिक लगाव से संबंधित, कुछ उदाहरणों को बताने का गंभीर प्रयास किया गया है। ये जानना जरुरी है कि, आप किसी भी चीज से, चाहे बाहरी या आंतरिक रीति से जुड़े हों, लेकिन लगाव का संस्कार हमेशा आंतरिक होता है। उदाहरण के लिए, यदि आप नौकरी करते है, तो आप कहेंगे कि मेरा काम है, जबकि आपका जॉब बाहरी चीज है, लेकिन आप इसे अपनी चेतना के अंदर समझते हुए ऐसा कहते हैं। इसी तरह अगर आपको अपने बच्चे से लगाव है, तो आप कहेंगे कि, मेरा बच्चा है। आपका बच्चा आपकी बाहर की दुनिया में मौजूद है, लेकिन आप अपनी चेतना में उससे जुड़े हुए हैं। और मान लें कि, आपमें विनम्रता और दयालुपन का बहुत अच्छा गुण है, लेकिन आप कहेंगे, कि मेरा संस्कार है, जबकि यह आपकी चेतना के अंदर है और जब इन गुणों के लिए आपकी प्रशंसा की जाती है, तो आपमें अहंकार की भावना आ जाती है या फिर उस गुण पर अपना अधिकार महसूस करते हैं। तो, इस प्रकार से, यह इसके साथ लगाव का संकेत है, और ये लगाव आपकी चेतना में या आंतरिक रूप से मौजूद है।

(कल जारी रहेगा…)

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