विचारों पर नकारात्मक प्रभाव से ऊपर उठना (भाग 1)
हमारे मन द्वारा कई प्रकार के विचार उत्पन्न किए जाते हैं, जिनकी तीव्रता, जागते या सोते समय उनकी संख्या अलग-अलग होती है, या फिर किसी
जब भी हम किसी प्रकार का बाहरी या आंतरिक लगाव रखते हैं, तो वह हमारे जीवन में भय या डर का कारण बनता है, क्योकि हम जिनसे जुडे होते हैं- लगाव व आसक्ति रखते हैं, उनके खोने का डर भी उतना ही अधिक होता है। तो हम देखते हैं कि, लगाव न केवल भय को जन्म देता है बल्कि अपने साथ क्रोध, अहंकार, उदासी, ईर्ष्या, लोभ, दूसरे के साथ तुलना, घृणा आदि भावनाओं को भी जन्म देता है। और इन सभी भावनाओं की जड़ें आसक्ति या लगाव में ही होती हैं, जो हमारे अंदर असुरक्षा व असंतोष की भावना को जन्म देती हैं।
लगाव व आसक्ति एक संस्कार है जो हमारी एवेअरनेस में इतनी गहराई में समाया है कि हम इसे सामान्य समझते है। देखा जाए, तो यह सिर्फ एक संस्कार है लेकिन ये हमें भावनात्मक और आध्यात्मिक रूप से कैद करने में सक्षम है और ये हमें अंदर ही अंदर बंदी बना लेता है, और हमें इसका एहसास भी नहीं होता। इस तरह के लगाव से जुड़ी हमारी नेगेटिव इमोशनल स्टेट, हमारे अंदर मेंटल प्रेशर व खालीपन की स्थिति पैदा करती है, और हमें कई बार बिल्कुल असहाय और भावनात्मक रूप से कमजोर महसूस कराकर, हमारी एवेअरनेस को भी नेगेटिव तरीके से नुकसान पहुँचाती है। कई जन्मों के चक्र में आते-आते, हम लगाव और उसके द्वारा होने वाले कष्टों के इतने आदी हो गए हैं कि, हम यह मानते हैं कि, यह नेचुरल मानव व्यक्तित्व और मानव जीवन का अभिन्न अंग है, और इसलिए हम अपने इस संस्कार के साथ जीवन जीते रहते हैं और कभी भी इससे छुटकारा पाने के बारे में न सोचकर, उसे मजबूत करते रहते हैं। और हम बिना जाने- समझे, इस संस्कार को अपने भीतर तनाव और अप्रसन्नता के साथ जोडे रहते हैं, जबकि ये हमारे स्वास्थ्य, कार्य और संबंधों पर भी नेगेटिव प्रभाव डालता है। नेचुरल तौर पर, हमारी एवेअरनेस सब चीजों से स्वतंत्र है, और उसका किसी भी चीज से कोई जुडाव नहीं है। हमारे लगाव, चाहे वो बाहरी हों या आंतरिक, वे शुरुआत से हमारे नहीं थे, बल्की जन्म-पुनर्जन्म के चक्र में आते-आते, हमने उन्हें अपना संस्कार बना लिया है। पिछले दो दिनों के संदेशों में बताई गई सभी बातें शुरू से ही हमारी एवेअरनेस का पार्ट रही हैं लेकिन उनसे लगाव ये उन सबसे अलग, एक नया संस्कार है और उसके द्वारा होने वाला दुख व तकलीफ इस बात का संकेत है कि लगाव नेचुरल न होकर, असामान्य है।
हमारे मन द्वारा कई प्रकार के विचार उत्पन्न किए जाते हैं, जिनकी तीव्रता, जागते या सोते समय उनकी संख्या अलग-अलग होती है, या फिर किसी
जीवन की महत्वपूर्ण सीख में से एक सीख यह है कि हम कभी-कभी असफल भी हो सकते हैं, चाहे हम कितनी भी मेहनत करें। हमें
हमारी ज़िंदगी में अलग-अलग प्रकार की परिस्थितियां आती रहती हैं। अक्सर हम खुद को नकारात्मक परिस्थितियों से प्रभावित होते हुए पाते हैं और हमारी आंतरिक
अपने दिन को बेहतर और तनाव मुक्त बनाने के लिए धारण करें सकारात्मक विचारों की अपनी दैनिक खुराक, सुंदर विचार और आत्म शक्ति का जवाब है आत्मा सशक्तिकरण ।
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