
हमेशा कहें मैं करूँगा नाकि……..मैं कोशिश करूँगा
‘मैं करूँगा’ कहें, ‘मैं कोशिश करूँगा’ नहीं। सोच और शब्दों की पॉजिटिव एनर्जी सफलता को आकर्षित करती है। आज से अपने शब्द बदलें।
कभी-कभी हम कुछ बच्चों में रचनात्मक (क्रिएटिव) या विद्वतापूर्ण (स्कॉलर) योग्यताओं को देखते हैं, जिन्हें हम बाल प्रतिभा का नाम देते हैं। वे किसी न किसी टैलेंट में माहिर होते हैं। उदाहरण के लिए; एक 4 साल का बच्चा कुशलता से पियानो पर लंबे लंबे नोट्स बजाता है, एक 7 साल का बच्चा डिफिकल्ट सॉफ्टवेयर कोड बनाता है जबकि कोई दूसरा बच्चा 5 साल की उम्र में शास्त्रों से श्लोक पढ़ लेता है। तो, उन्होंने ये सब स्किल्स कब और किससे सीखे, खासकर जब उनके परिवार में कोई भी उस विशेष स्किल में न तो ट्रेंड था नाही इंटरेस्टेड। इसके अलावा, बहुत से प्रसिद्ध कलाकार, संगीतकार, इंजीनियर, खिलाड़ी आदि अक्सर ही बहुत कम उम्र में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करते हैं, और उनमें से अधिकांश को यह टैलेंट अपने माता-पिता या परिवार से विरासत में नहीं मिलता।
इसके पीछे का आध्यात्मिक ज्ञान हमें यह बताता है कि, फिजिकल शरीर धारण करने के बाद, आत्मा द्वारा किया गया प्रत्येक कार्य, आत्मा में एक संस्कार या आदत के रूप में रजिस्टर हो जाता है। हमारा नेचर, हमारा टैलेंट और किसी विशेष स्किल के प्रति हमारे झुकाव से ही, हमारे संस्कार बनते हैं। फिर ये सभी संस्कार, अगले जन्मों में हमारी आत्मा के साथ जाकर कर्म में आते हैं। अब ये समझा जाता है कि, किसी जीनियस में वो विशेष टैलेंट, उनके द्वारा पिछले जन्मों में सीखा गया होगा, नर्चर किया गया होगा और उसमें महारत हासिल की गई होगी। फिर ये विशेष टैलेंट आत्मा पर रजिस्टर हो, उसके अगले जन्म में फॉरवर्ड हो जाते हैं। इसलिए, आत्मा इस नए जन्म में, कुछ मामलों में बचपन में ही उस टैलेंट को दोहराती है। संक्षेप में, जीनियस होना एक अनुभव है। लेकिन हम सोचते हैं कि, यह एक उपहार या टैलेंट है जबकि असल में यह कई जन्मों के गहरे और लंबे अनुभव का फल है। हममें से कुछ दूसरों की तुलना में पुरानी आत्माएं हैं क्योंकि, हमने लंबे समय तक वर्ल्ड स्टेज पर पार्ट बजाया है और इसलिए अधिक जन्मों की यात्रा को जिया है। ऐसी आत्माएं, उन अनुभवों को आगे ले जाती हैं, जो दूसरों की तुलना में कहीं अधिक गहरे और लंबे होते हैं। यह समझ माता-पिता को बच्चों में, निहित प्रतिभा को प्रोत्साहित करने में मदद करती है बजाय इसके कि, बच्चे उनकी आकांक्षाओं और अपेक्षाओं के अनुसार कैरियर चुनें।
‘मैं करूँगा’ कहें, ‘मैं कोशिश करूँगा’ नहीं। सोच और शब्दों की पॉजिटिव एनर्जी सफलता को आकर्षित करती है। आज से अपने शब्द बदलें।
हम हर दिन ऊर्जा का लेन‑देन करते हैं—विचार, भावनाएँ, कर्म। अगर इसमें आध्यात्मिक समझ और प्रेम शामिल करें, तो रिश्तों की गुणवत्ता सुधरती है। लेकिन अधिक लगाव से अपेक्षाएं बनती हैं, जो दुख और तनाव लाती हैं। सीखें संतुलन से जुड़े रहना।
अच्छी ऊर्जा पाने के लिए खुद को बदलना जरूरी है। जानिए कैसे आत्म-सुधार और सहानुभूति रिश्तों में सकारात्मकता लाती है।
अपने दिन को बेहतर और तनाव मुक्त बनाने के लिए धारण करें सकारात्मक विचारों की अपनी दैनिक खुराक, सुंदर विचार और आत्म शक्ति का जवाब है आत्मा सशक्तिकरण ।
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