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सच्ची सफलता के मूल सिद्धांत

सच्ची सफलता के मूल सिद्धांत

कभी-कभी, जब हम अपने लक्ष्यों को प्राप्त नहीं कर पाते, तो हम कहते हैं – मैं सफल नहीं हुआ, मैं असफल रहा। लेकिन क्या आप जानते हैं कि, स्वयं को असफल कहना, अपने आप के साथ अन्याय करने जैसा है। हमेशा अपने आप को सफल देखना शुरू करें। जब हम किसी चीज की योजना बनाते हैं लेकिन उसे हासिल नहीं कर पाते, तो स्वयं को असफल करार कर देते हैं। इसलिये, हमें सफलता का सार समझने की जरूरत है, तो आइये उसके बारे में जानें:

  1. सफलता यह नहीं है कि आप क्या करते हैं, बल्की सफलता यह है कि आप कौन हैं? यह मैं- उस अस्तित्व/ बीइंग के बारे में है – जो सोचती है, महसूस करती है, बोलती है, व्यवहार करती है, कर्म में आती है और लक्ष्यों को प्राप्त करती है। तो, सफलता की शुरुआत- मैं यानि बीइंग से होती है, डूइंग से नहीं।
  2. अगर आप अंदर से दुखी, परेशान, गुस्से या अहंकारवश हैं, और फिर भी आप बाहरी दुनिया में, अपनी इच्छाओं को पूरा करने में लगे रहते हैं, तो क्या आप अपने आप को सफल कह सकते हैं- नहीं, यह संभव नहीं हो सकता क्योंकि, आप अपने स्वयं से खुश नहीं हैं।
  3. हमेशा याद रखें कि, आप तभी सफल होंगे- जब आप दूसरों को खुश रखने वाले, उनकी देखभाल करने वाले और दयालु होंगे। आप सफल तभी हैं, जब आप लोगों से उनकी उपलब्धियों, पद-प्रतिष्ठा या उम्र के बावजूद क्नेकट होते हैं। और आपकी सफलता; दूसरों के साथ सहयोग करने और आपकी नॉलेज को शेअर करने में निहित है।
  4. आपके स्व/ बीइंग के सफल होने से और फिर बाहरी दुनिया में काम करने से आप अपनी उपलब्धियों का आनंद ले पाते हैं। और यदि जो आप चाहते थे, वो आपको नहीं मिलता, तो याद रखें कि, आप फिर भी सफल हैं, बस वह उपलब्धि मिलनी अभी बाकी है। और आपमें उस उपलब्धि को, पुन: प्रयास करके हासिल करने की एनर्जी है।

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