ईज़ी रहें, बिजी नहीं

ईज़ी रहें, बिजी नहीं

हम सभी नियमित रूप से ‘मैं बहुत व्यस्त हूं…मेरे पास समय नहीं है’, ऐसी शब्दावली का हर दिन उपयोग करते हैं और यह मानसिकता हमें समयानुसार काम करने या फिर काम को मेनेज करने नहीं देती है। हम जीवन के हर क्षेत्र में जरूरत से ज्यादा कमिटमेन्ट शो करते हैं, लेकिन उसके अनुसार काम कम करते हैं। बिजी/ व्यस्त शब्द एक कमजोर एनर्जी है और ये बताती है कि, हम जीवन के सुंदर क्षणों का आनंद लेने में अपनी असमर्थता जताते हैं। यही व्यस्तता हमें समय बचाने, समय बर्बाद करने और लगातार कार्य में लगे रहने को लेकर तनावग्रस्त कर देती है। केवल व्यस्त..व्यस्त..व्यस्त… कहने मात्र से; भले ही हमारा शेड्यूल हमें कुछ घंटों की फुर्सत की अनुमति देता हो, लेकिन हम इसका उपयोग अपनी या दूसरों की देखभाल के लिए नहीं कर पाते  हैं। हम लोगों को बुलाते हैं- पर उनसे मिलते नहीं, हम बोलते हैं- पर उनकी सुनते नहीं, हम संपर्क में रहते हैं- पर जुड़ना नहीं चाहते संपर्क में रहते हैं। आज हम सभी के ऊपर बहुत सी जिम्मेदारियां, प्रेशर व अपेक्षाएं हैं। लेकिन इसका मतलब हम हमेशा व्यस्त रहें, ये जरूरी नहीं है। हम शांत और प्रसन्न रहकर भी प्रतिदिन 16 घंटे काम कर सकते हैं। तो आइए, यह कहना शुरू करें कि, मैं ईज़ी हूं, मेरे पास हर चीज के लिए समय है। ईज़ी शब्द की पोजीटिव और कम्फर्टींग एनर्जी हमें शांत, फोकस्ड और कार्य कुशल बनाए रखती है। तब हमें समय नहीं चाहिए होगा, बल्कि हमारे पास समय ही समय होगा।

आजकल बहुत सारे प्रोफ़ेशनल या गृहिणियां जो दिन में 14 घंटे आराम से काम करते हैं। और स्कूल जाने वाले बच्चे; जो कहते हैं कि, मैं बहुत व्यस्त हूं, जल्दी करो, मेरे पास समय नहीं। आजकल सभी को बिजी-बिजी कहने की आदत पड गई है। लेकिन क्या हम जानते हैं कि, जब हम इसे यूज करते संपर्क में रहते हैं और अपनी शब्दावली में जोड़ते हैं, तो हम यह मेसेज देते हैं कि, हमारे पास मेनेज करने के लिए बहुत कुछ है और लोगों के लिए हमारे पास समय नहीं है। ईज़ी या बिजी होना; आपके मन की अलग-अलग अवस्थाओं की ओर इशारा करता है। आप कितना काम करते हैं, इससे उसका कोई लेना-देना नहीं है। अपनी व्यस्तता को ईज़ीनेस से बदलें और देखें कि, इससे आपके भावनात्मक स्वास्थ्य पर क्या फर्क पड़ता है। अब आप स्वयं या अन्य लोगों के लिए जल्दबाजी नहीं करेंगे और ना ही घबराहट पैदा करेंगे। आप जीवन में आने वाली अप्रत्याशित परिस्थितियों का विरोध करने के बजाय, उन्हें स्वीकार कर आगे बढ पाएंगे। और अंततः आप अपने मन में शांति, शरीर में स्वस्थता, रिश्तों में सद्भाव और अपने आस-पास के वातावरण में खुशी के वाईब्रेशन फैलाएंगे।

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