
अपने शरीर का सम्मान करने की कला
हमारा शरीर; जो हम सभी के लिए हमारी शारीरिक पोशाक है, अक्सर हमारे स्वयं या दूसरों के द्वारा परखा जाता है, कभी कभी आलोचना या
आज से, जब भी आपका बच्चा या आपके ऑफिस के सहयोगी या फिर आपकी पसंदीदा स्पोर्ट्स टीम अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करती है, तो उनके लिए पॉजीटिव शब्द कहें, पॉजीटिव थॉट्स और भावनाएँ रखें। साथ ही हर छोटी से छोटी चीज़ों को महत्व दें, परन्तु उसके रिजल्ट के बारे में न सोचें। आध्यात्मिक ज्ञान कहता है कि, अपने जीवन में पॉजीटिव कार्यों को अच्छी तरह से करें और बदले में उनके परिणाम के बारे में न सोचें। इस सोच को अपने जीवन में एप्लाई करते हुए, हर एक कार्य परमात्मा की याद में करें और उसे करते हुए स्वयं भी खुश रहें और उसके द्वारा दूसरों को भी खुशी दें। दुनियावी चीजों और बड़ी दिखने वाली बातों में, सफलताओं के आधार पर अपना आत्मसम्मान और खुशी को डिपेंड न होने दे, क्योंकि दिखाई देने वाली, ये बड़ी बड़ी सफलताएं अस्थायी होती हैं और हमारे साथ हमेशा नहीं रहतीं। तो जितना अधिक हम किसी रिज़ल्ट की परवाह किए बिना, हर कर्म का आनंद लेना शुरू कर देंगे, उतना ही अधिक हम विजयी महसूस करेंगे और साथ ही ये पॉजिटिव एनर्जी हम अपने घर, कार्यस्थल और समाज में दूसरों तक भी पहुंचा पाएंगे, जिसकी आज की दुनिया में बहुत अधिक आवश्यकता है। वरना आज इस कंपटीशन से भरी दुनिया में लोगों की आध्यात्मिकता धीरे धीरे कम होती जा रही है जिसकी वजह से वे न तो खुद खुश रह पाते हैं, और न ही दूसरों को खुशी दे पाते हैं।
हमारा शरीर; जो हम सभी के लिए हमारी शारीरिक पोशाक है, अक्सर हमारे स्वयं या दूसरों के द्वारा परखा जाता है, कभी कभी आलोचना या
क्या मैं स्वयं से संतुष्ट हूँ – जीवन में आगे बढ़ने के लिए स्वयं से, अपने संस्कारों से, अपने विचारों, शब्दों और कार्यों से तथा
वर्ल्ड ड्रामा एक ऐसा नाटक है जिसे सभी आत्माएं पृथ्वी ग्रह पर अवतरित होकर खेलती हैं और जिसके चार चरण वा युग होते हैं –
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