
अपने जीवन में 6 प्रकार की संतुष्टता लाएं
क्या मैं स्वयं से संतुष्ट हूँ – जीवन में आगे बढ़ने के लिए स्वयं से, अपने संस्कारों से, अपने विचारों, शब्दों और कार्यों से तथा
पिछले दो दिनों के संदेशों में हमने जाना, कि ब्रह्माकुमारीज़ में ज्ञान का सोर्स; सर्वोच्च सत्ता परमात्मा ही हैं नाकि कोई मनुष्यात्मा। अब दूसरा सवाल यह उठता है कि दुनिया में प्रचलित मान्यताओं और विचार धाराओं को न मानकर हम कैसे परमात्मा द्वारा बताए गये सच पर भरोसा करें? आज बहुत सारी मान्यताओं में से आत्मा, परमात्मा, विश्व ड्रामा – उसकी ड्यूरेशन के साथ-साथ, अलग-अलग युगों के बारे में, ब्रह्मांड की उत्पत्ति और उसके विकास के बारे में, उसकी आयु और अतीत में जो कुछ भी इस दुनिया में था, इनमें से कुछ मान्यताएँ परमात्मा द्वारा बताई गई बातों से अलग क्यों हैं? आइए इसको समझते हैं-
(कल जारी रहेगा…)
क्या मैं स्वयं से संतुष्ट हूँ – जीवन में आगे बढ़ने के लिए स्वयं से, अपने संस्कारों से, अपने विचारों, शब्दों और कार्यों से तथा
वर्ल्ड ड्रामा एक ऐसा नाटक है जिसे सभी आत्माएं पृथ्वी ग्रह पर अवतरित होकर खेलती हैं और जिसके चार चरण वा युग होते हैं –
शुभ प्रभात/ गुड मॉर्निंग! आज सुबह, क्या आपने अपने परिवार, दोस्तों और सहकर्मियों को सुप्रभात, शुभ संध्या या फिर शुभकामनाएं दीं? क्या आप लोगों को
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