
हमेशा कहें मैं करूँगा नाकि……..मैं कोशिश करूँगा
‘मैं करूँगा’ कहें, ‘मैं कोशिश करूँगा’ नहीं। सोच और शब्दों की पॉजिटिव एनर्जी सफलता को आकर्षित करती है। आज से अपने शब्द बदलें।
पिछले दो दिनों के संदेशों में हमने जाना, कि ब्रह्माकुमारीज़ में ज्ञान का सोर्स; सर्वोच्च सत्ता परमात्मा ही हैं नाकि कोई मनुष्यात्मा। अब दूसरा सवाल यह उठता है कि दुनिया में प्रचलित मान्यताओं और विचार धाराओं को न मानकर हम कैसे परमात्मा द्वारा बताए गये सच पर भरोसा करें? आज बहुत सारी मान्यताओं में से आत्मा, परमात्मा, विश्व ड्रामा – उसकी ड्यूरेशन के साथ-साथ, अलग-अलग युगों के बारे में, ब्रह्मांड की उत्पत्ति और उसके विकास के बारे में, उसकी आयु और अतीत में जो कुछ भी इस दुनिया में था, इनमें से कुछ मान्यताएँ परमात्मा द्वारा बताई गई बातों से अलग क्यों हैं? आइए इसको समझते हैं-
(कल जारी रहेगा…)
‘मैं करूँगा’ कहें, ‘मैं कोशिश करूँगा’ नहीं। सोच और शब्दों की पॉजिटिव एनर्जी सफलता को आकर्षित करती है। आज से अपने शब्द बदलें।
हम हर दिन ऊर्जा का लेन‑देन करते हैं—विचार, भावनाएँ, कर्म। अगर इसमें आध्यात्मिक समझ और प्रेम शामिल करें, तो रिश्तों की गुणवत्ता सुधरती है। लेकिन अधिक लगाव से अपेक्षाएं बनती हैं, जो दुख और तनाव लाती हैं। सीखें संतुलन से जुड़े रहना।
अच्छी ऊर्जा पाने के लिए खुद को बदलना जरूरी है। जानिए कैसे आत्म-सुधार और सहानुभूति रिश्तों में सकारात्मकता लाती है।
अपने दिन को बेहतर और तनाव मुक्त बनाने के लिए धारण करें सकारात्मक विचारों की अपनी दैनिक खुराक, सुंदर विचार और आत्म शक्ति का जवाब है आत्मा सशक्तिकरण ।
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