
दूसरों को देने वाले बनें (भाग 1)
क्या आपका आत्म-सम्मान हार और जीत पर निर्भर करता है? इसे बदलें! खुद को आध्यात्मिक दृष्टिकोण से देखने का तरीका जानें, आत्मा की शक्ति को पहचानें, और हर कर्म को खुशी से करें।
पिछले दो दिनों के संदेशों में हमने जाना, कि ब्रह्माकुमारीज़ में ज्ञान का सोर्स; सर्वोच्च सत्ता परमात्मा ही हैं नाकि कोई मनुष्यात्मा। अब दूसरा सवाल यह उठता है कि दुनिया में प्रचलित मान्यताओं और विचार धाराओं को न मानकर हम कैसे परमात्मा द्वारा बताए गये सच पर भरोसा करें? आज बहुत सारी मान्यताओं में से आत्मा, परमात्मा, विश्व ड्रामा – उसकी ड्यूरेशन के साथ-साथ, अलग-अलग युगों के बारे में, ब्रह्मांड की उत्पत्ति और उसके विकास के बारे में, उसकी आयु और अतीत में जो कुछ भी इस दुनिया में था, इनमें से कुछ मान्यताएँ परमात्मा द्वारा बताई गई बातों से अलग क्यों हैं? आइए इसको समझते हैं-
(कल जारी रहेगा…)
क्या आपका आत्म-सम्मान हार और जीत पर निर्भर करता है? इसे बदलें! खुद को आध्यात्मिक दृष्टिकोण से देखने का तरीका जानें, आत्मा की शक्ति को पहचानें, और हर कर्म को खुशी से करें।
क्या आपका आत्म-सम्मान हार और जीत पर निर्भर करता है? इसे बदलें! खुद को आध्यात्मिक दृष्टिकोण से देखने का तरीका जानें, आत्मा की शक्ति को पहचानें, और हर कर्म को खुशी से करें।
क्या आपका आत्म-सम्मान हार और जीत पर निर्भर करता है? इसे बदलें! खुद को आध्यात्मिक दृष्टिकोण से देखने का तरीका जानें, आत्मा की शक्ति को पहचानें, और हर कर्म को खुशी से करें।
अपने दिन को बेहतर और तनाव मुक्त बनाने के लिए धारण करें सकारात्मक विचारों की अपनी दैनिक खुराक, सुंदर विचार और आत्म शक्ति का जवाब है आत्मा सशक्तिकरण ।
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