
अपने जीवन में 6 प्रकार की संतुष्टता लाएं
क्या मैं स्वयं से संतुष्ट हूँ – जीवन में आगे बढ़ने के लिए स्वयं से, अपने संस्कारों से, अपने विचारों, शब्दों और कार्यों से तथा
जब भी आप दैनिक दिनचर्या की शुरुआत करें तो अपने मन को कुछ सकारात्मक विचार दें, जो आपके मन को शुद्ध/ स्वच्छ एवेयरनेस और दूसरों के प्रति बेहतर दृष्टिकोण रखने में मदद करेगा। जैसे कि हम सभी जानते हैं कि स्वच्छता आत्मा का मूल संस्कार है और हमारी शुद्ध/ स्वच्छ एवेयरनेस शांति, प्रेम, आनंद और शक्ति से भरपूर है, साथ ही साथ क्रोध, अहंकार, ईर्ष्या, घृणा आदि जैसे विकारों के विचार भी न होना और अतीत या भविष्य के बारे में या दूसरों के बारे में अत्यधिक सोच का भी न होना, जिसकी कोई आवश्यकता नहीं है।
इसलिए, अपनी दिनचर्या शुरू करने से पहले कुछ सकारात्मक पढ़ना/ ज्ञान को ग्रहण करना महत्वपूर्ण है जो हमारे मन को सकारात्मकता से भर दे और जो हमें पूरे दिन पोजीटीव रखने में मदद करे। हर दिन पढा जाने वाला आध्यात्मिक ज्ञान या फिर मन को शक्तिशाली करने वाला ज्ञान आपकी मानसिकता को बदल देगा और आप अधिक फ्रेश और शक्तिशाली महसूस करेंगे। वहीं दूसरी ओर, एक खाली दिमाग यानी जिसमें सकारात्मक विचारों की कमी है, वह आसानी से दिनभर में होने वाले कई प्रकार के उतार-चढ़ावों, कार्यस्थल पर या अपने परिवार में लोगों के अलग- अलग स्वभावों के प्रभाव में आ सकता है। सकारात्मकता से अपना दिन शुरू करने वाले निरंतर जीवंत और ऊर्जावान, संतुष्ट रहते है और दुसरों को भी संतुष्ट रखते है और अपने जीवन में आने वाली परिस्थितियों के बारे में कोई शिकायत नहीं करते। साथ ही, जैसा कि हम सभी जानते हैं कि भोजन, आराम और व्यायाम स्वस्थ शरीर की कुंजी हैं। इसी प्रकार अपने आप को एक आत्मा समझ, ज्ञान के तीसरे नेत्र से अपने आध्यात्मिक पिता, परमात्मा या ईश्वर का अनुभव करना और उनकी आध्यात्मिक ऊर्जा/ सकारात्मकता से खुद को चार्ज करना भी एक व्यायाम ही है। अपने आप को आत्मा अनुभव कर ईश्वर से जुड़ना आत्मा को बहुत शक्ति देता है। साथ ही, सकारात्मक विचार व ज्ञान आत्मा का भोजन हैं। इसके अलावा, हर एक घंटे में, कुछ पलों के लिए अपने मन को शांति का अनुभव कराना भगवान से प्यार करना है। भगवान हमेशा हमारे साथ रहकर हमें सिखाते हैं कि कैसे हर आत्मा को शुभकामनाएं देकर और उन्हें भगवान के साथ शुद्ध प्रेम के बंधन में बांधा जाए। इसलिए कर्म करते हुए ईश्वर के सान्निध्य का आनंद लेना और उससे प्राप्त होने वाले प्रेम के वाईब्रेशन दूसरों को देना; आत्मा को बहुत शांति, सुकून और तृप्ति देता है। क्योंकि परमेश्वर का प्रेम बांटने के बदले में आपको बहुत सारी दुआएं मिलती हैं।
(कल जारी रहेगा…)
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वर्ल्ड ड्रामा एक ऐसा नाटक है जिसे सभी आत्माएं पृथ्वी ग्रह पर अवतरित होकर खेलती हैं और जिसके चार चरण वा युग होते हैं –
शुभ प्रभात/ गुड मॉर्निंग! आज सुबह, क्या आपने अपने परिवार, दोस्तों और सहकर्मियों को सुप्रभात, शुभ संध्या या फिर शुभकामनाएं दीं? क्या आप लोगों को
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