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ब्रह्माकुमारीज़ संस्था में ज्ञान के सोर्स का आधार क्या है? (भाग 4)

  1. आज विश्व में प्रचलित; इतिहास, भूगोल, विज्ञान या अध्यात्म के बारे में जितनी भी मान्यताएं हैं, वे सभी मनुष्य के अपने-अपने द्रष्टीकोण पर आधारित हैं। हालाँकि कुछ मान्यताएँ जिन्हें मनुष्यों ने आविष्कार, रिसर्च और अनुभवों के आधार पर सत्य माना है लेकिन फिर भी उनके विवेक और निर्णय की भी कुछ सीमाएँ हो सकती हैं जबकि परमात्मा हर बात के पहलुओं को अधिक स्पष्ट रूप से जानते हैं और उनका विवेक और निर्णय भी मनुष्य आत्माओं की तुलना में अधिक स्पष्ट है| ऐसा कई कारणों से हो सकता है जैसे किसी बात का 100% प्रमाण न होना, मान्यताओं को सही साबित करने के लिए की गई धारणाएं, स्वयं की सोच और संस्कारों के साथ-साथ दुनियावी बातों का प्रभाव, दुनियावी विचार धाराएं और उनके प्रभाव आदि। इसके अलावा, जैसा कि परमात्मा ने बताया, कि 5000 वर्षों के विश्व ड्रामा में चार युग होते हैं – सतयुग, त्रेतायुग, द्वापर युग और कलियुग। ये सभी युग 1250-1250 वर्ष की अवधि के हैं। विश्व ड्रामा के अंत में; विशेष रूप से कलियुग के अंत और सतयुग की शुरुआत के बीच और त्रेतायुग के अंत और द्वापर युग की शुरुआत के बीच, कुछ भौतिक पदार्थ (physical matter), एनर्जी और कुछ आत्माओं में अंदरुनी आध्यात्मिक परिवर्तन (spiritual transformation) होते रहते हैं, जिन्हें केवल परमात्मा ही जानते हैं और उसके बारे में बात करते हैं । मनुष्य आत्माओं ने विभिन्न निष्कर्षों या धारणाओं को मानते हुए, इन सभी परिवर्तनों को ध्यान में नहीं रखा, जिसके कारण इनमें से कई सामान्य मान्यताएँ परमात्मा द्वारा बताई गई बातों से अलग हैं।
  2. आखिर में, परमात्मा ने हमें जो कुछ भी; जीवन के आध्यात्मिक पहलू या आत्मा के अस्तित्व, उसके जन्म- पुनर्जन्म और कर्मों की गुह्य गति के बारे में, विश्व ड्रामा में स्वयं परमात्मा की भूमिका के बारे में समझाया है उसके आधार पर ही दुनिया का भौतिक स्वरूप भी आधारित है। दूसरी ओर, दुनिया में, आध्यात्मिक पहलू और आत्मा के अस्तित्व; उससे संबंधित ज्ञान और तथ्यों के साथ-साथ, परमात्मा की भूमिका को (जो परमात्मा जानता है और सबको बताता है), या तो अनदेखा करते है या स्पष्ट रूप से और सही ढंग से नहीं जानते हैं। और साथ ही, दुनिया में भौतिकता को ही सबसे महत्वपूर्ण और रिअल माना जाता है जोकि सत्य नहीं है। यह एक ही गलती, दुनिया में कई चीजों के बारे में एक अलग नजरिया और धारणा पैदा करती है।

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