आत्म सम्मान (सेल्फ रेस्पेक्ट) के 5 पोजिटीव स्टेप (भाग 2)

आत्म सम्मान (सेल्फ रेस्पेक्ट) के 5 पोजिटीव स्टेप (भाग 2)

  1. खुशी मेरा आंतरिक खजाना है, और मैं इसका मालिक हूं – हमेशा स्वयं को याद दिलाते रहें कि, मैं स्वयं अपनी खुशी का क्रिएटर हूँ। और मुझे अपने जीवन की हर स्थिति में खुश रहना है और इसे सुंदर और पोजिटीव बनाना है। लेकिन,  कभी-कभी हमारे जीवन में दुख के सीन आते है, जो मन को नेगेटिव रूप से प्रभावित करके हमारी खुशी को कम करते हैं। लेकिन, जब हम यह याद रखते हैं कि, सदा खुश रहना मेरा अपना निर्णय है और ये किसी इवेंट पर निर्भर नहीं करता, तो हम जीवन के किसी भी सीन में स्टेबल और हल्के रहेंगे। साथ ही, निरंतर खुशी की चाभी वो समझ है कि, मैं आध्यात्मिक ज्ञान, गुणों, शक्तियों, प्रतिभाओं और विशिष्टताओं के धन का मालिक हूं और मुझे उन्हें अपने और दूसरों के लाभ के लिए, विभिन्न तरीकों से उपयोग करना है। इसलिये, जितना अधिक मैं अपने आप को इस कार्य में व्यस्त रखूंगा, उतना ही अधिक आध्यात्मिक रूप से स्वयं को भरपूर और धनवान महसूस करूंगा और साथ ही ये मुझे आनंद और उत्साह से भरा रखेगा।
  2. मैं एक शक्तिशाली आत्मा हूं, और मैं स्वयं अपनी पोजिटीव सफलता का क्रिएटर हूं – किसी भी क्षेत्र में सफलता; आंतरिक शक्ति और इच्छा शक्ति से आती है। जब भी हमारे सामने कोई चुनौतीपूर्ण कार्य आता है तो वह हमारी इच्छा शक्ति की परीक्षा लेता है और उसे कम कर देता है जिससे चुनौती और भी डिफीकॅलट लगती है। तो एक ऐसा मन; जिसमें कोई भी नेगेटीव और वेस्ट थोटस नहीं, वह बहुत दृढ़ इच्छाशक्ति वाला और शक्तिशाली है, और ऐसे शक्तिशाली मन वाली आत्मा अपने हर काम में सफलता प्राप्त करती है। इसके लिए जरुरी है कि, प्रतिदिन कुछ मिनट के लिए, आध्यात्मिक शक्ति के सर्वोच्च स्रोत- परमपिता परमात्मा के साथ योग लगाकर अपने मन और अंतर्मन को स्वच्छ और शुद्ध बनाएं जिसके परिणामस्वरूप हमारी इच्छा शक्ति बढ़ती है। साथ ही, प्रतिदिन कुछ मिनट, आध्यात्मिक ज्ञान पढ़ने के बाद, उसका मंथन करने से हमारे माइंड में पोजिटीव विचार बढ़ते है और हम अधिक दृढ़ इच्छाशक्ति, दृढ़ संकल्प और पोजिटीविटी से भरा हुआ महसूस करते हैं।

(कल जारी रहेगा…)

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