दूसरों की स्क्रिप्ट लिखने की नकारात्मक आदत
हम सभी इस जीवन रूपी नाटक में अभिनेता हैं और कई भूमिकाएं निभा रहे हैं। हर दृश्य में हमें अपनी स्क्रिप्ट लिखने और उसपर अभिनय
ईश्वर हमारे आध्यात्मिक गाडफादर, परम आत्मा हैं और हम एक आध्यात्मिक प्राणी, आत्माऐं उनके बच्चे हैं। ईश्वर सदा ही ज्ञान, गुणों और शक्तियों का सागर है। संसार की हर आत्मा का परमात्मा से इस नाते उसके वर्से पर पूरा अधिकार है। जब भगवान विश्व परिवर्तन में अपनी भूमिका निभाने इस विश्व नाटक मंच पर आते हैं तो भगवान और हम आत्माओं के बीच वर्से का लेन-देन होता है। दुनिया में भगवान के इस दिव्य अवतरण को शिवरात्रि या शिव जयंती के रूप में मनाया जाता है। भगवान से वर्सा कब और कैसे मिलता हैं? आत्मा में कैसे यह परिवर्तन हो वर्सा मिलता है? आइए इस संदेश के द्वारा जानें –
1.परमात्मा दिव्य व अलौकिक चेतना का सर्वोच्च बिंदु व परम आत्मा है और विश्व नाटक मंच, सर्व मनुष्य आत्माओं और उनके अनेक जन्मों, अन्य प्रजातियों की आत्माओं, प्रकृति का और स्वयं का ज्ञान देने वाला ज्ञान का सागर, सभी गुणों और शक्तियों का सागर भी है।
2. परमात्मा की प्रापर्टी/ वर्सा उसका ज्ञान, गुण और शक्तियाँ हैं, जिन पर हर मनुष्य आत्मा का अधिकार है। वर्तमान समय, जब कलयुग का अंत चल रहा है,और सारी दुनिया आध्यात्मिक अंधकार (मानवता की रात) में है, इसी समय भगवान इस दुनिया में अवतार ले अपने ज्ञान, गुणों, शक्तियों और कर्तव्य के द्वारा अपने आत्मा बच्चों को यह वर्सा देते हैं।
3. परमात्मा का यह वर्सा/ विरासत आत्मा को आंतरिक रूप से तृप्त करता है और आंतरिक संतुष्टता के साथ, आत्मा अपने घर; आत्मा की दुनिया में वापस जाकर संकल्पों के बिना गहरी शांति की अवस्था में रहती है। और वापस स्रष्टी चक्र में अनेक जन्मों का आरंभ करने से पहले परमात्मा द्वारा प्राप्त हुए वर्से से मन, बुद्धि, संस्कारो, श्रेष्ठ शारीरिक स्वास्थ्य, सुंदरता आदि सभी विशेषताओं से भरपूर होती हैं। साथ ही साथ जीवन सुख- सुविधा, बेहतर सम्बन्धो और कई प्रतिभाओं से परिपूर्ण होता है। आत्मा की अंदरुनी शक्तियों की भरपूरता इसकी आंतरिक और बाहरी भरपूरता को भी आकर्षित करती है।
4. विश्व नाटक का यह नया चरण जो सतयुग और त्रेतायुग से आरंभ होता है; जिसमें आत्माएं सभी आंतरिक भरपूरता और शुद्धता के साथ पूर्ण शांति और खुशी का अनुभव करती हैं।
5. शिवरात्रि का पर्व दुनिया में निराकार (बिंदु स्वरूप) भगवान या सर्वोच्च आत्मा के अवतरण और उसका मनुष्य आत्माओं को अपना वर्सा देने के दिवस के रूप में मनाया जाता है।
हम सभी इस जीवन रूपी नाटक में अभिनेता हैं और कई भूमिकाएं निभा रहे हैं। हर दृश्य में हमें अपनी स्क्रिप्ट लिखने और उसपर अभिनय
प्रतिदिन परमात्मा द्वारा दिए गए ज्ञान को अपने मन में दोहराएं– प्रतिदिन परमात्मा हमसे ज्ञान साझा करते हैं, जिसे हम पढ़ते हैं और अपनी डायरी
जैसे हम दूसरों के व्यवहार या जीवन की समस्याओं के बारे में नकारात्मक ऊर्जा के साथ बात करने, निर्णय लेने, आलोचना करने या उनकी कमजोरियों
अपने दिन को बेहतर और तनाव मुक्त बनाने के लिए धारण करें सकारात्मक विचारों की अपनी दैनिक खुराक, सुंदर विचार और आत्म शक्ति का जवाब है आत्मा सशक्तिकरण ।
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