
अपने शरीर का सम्मान करने की कला
हमारा शरीर; जो हम सभी के लिए हमारी शारीरिक पोशाक है, अक्सर हमारे स्वयं या दूसरों के द्वारा परखा जाता है, कभी कभी आलोचना या
हम सभी लोग, पूरे दिन भर में विभिन्न प्रकार की परिस्थितियों से गुजरते हैं, हालांकि अलग-अलग परिस्थितियों में आठ आध्यात्मिक शक्तियों की अलग समय में या फिर कभी- कभी एक साथ जरुरत होती हैं। परंतु किसी- किसी समय सफलता का अनुभव करने के लिए एक या दो नहीं बल्कि थोडा- थोडा सभी आठ शक्तियों की आवश्यकता होती है। और हमें शक्तियों को कार्य में लगाने की भी जरुरत होती है। किसी भी शक्ति को कार्य में लगाने की तीन स्टेजेस होती हैं। सबसे पहले ये महसूस करना है कि किसी विशेष स्थिति में मुझे किस एक विशेष आध्यात्मिक शक्ति की आवश्यकता है और यह भी सुनिश्चित करना है कि वह शक्ति या शक्तियां कौन सी हैं? इसके लिए मुझे एक शांत मन और एक स्थिर बुद्धि की आवश्यकता है और साथ ही साथ बीते समय में हमारे मन ने, शरीर ने, हमारे जीवन और हमारे रिश्तों में हमारी भूमिका, अनेक प्रकार की स्थितियों में कैसी थी। आइये इसको एक उदाहरण द्वारा समझते हैं: यदि किसी का व्यवहार मेरे प्रति बहुत सकारात्मक (positive) नहीं है, तो ऐसी स्थिति में मुझे सफलता का प्राप्त करने के लिए सहन करने और समाने की शक्ति की आवश्यकता होती है। वहीं, ऐसे हालात में सामना करने की शक्ति यानी बोल्ड होकर सामने वाले का सामना करने की कोशिश करना बुद्धिमानी नहीं है। मुझे यह समझना होगा कि मुझे स्थिति का सामना करना है, उस व्यक्ति का नहीं, जोकि स्थिति को बिगाड़ सकता है। इसलिए, मुझे अपने सभी ऑपशंस के बारे में स्पष्ट होने की और साथ ही यह सुनिश्चित करने की भी आवश्यकता है कि मुझे आठ शक्तियों में से किसका उपयोग करना चाहिए? किसी भी परिस्थिती में, गलत शक्तियों को चुनने से नकारात्मक स्थिति और अधिक नकारात्मक हो सकती है और सही शक्ति का सही स्थिति में चुनाव करने से समस्या का समाधान हो सकता है।
दूसरी स्टेज में, अब मुझे उस विशेष शक्ति को अपनी आत्म जागृति में लाना है। और यह इस बात पर निर्भर करता है कि ये आठों शक्तियां कितने समय से मेरे संस्कारों में हैं। वैसे तो सभी लोगों के पास थोडी – थोडी आठों शक्तियाँ होती हैं लेकिन कुछ लोगों के शक्तियों के संस्कार दूसरों से अधिक प्रभावी होते हैं और वह जरुरत पडने पर शक्तियों को सहज ही इमर्ज कर लेते हैं।
इसके साथ ही, लास्ट स्टेज हैं शक्तियों को समय पर कार्य में लगाना। इसका सीधा अर्थ है कि शक्तियां मेरे मन में इमर्ज होने के साथ- साथ मेरे सोच, बोल- चाल और कर्मों में भी दिखें।
(कल जारी रहेगा…)
हमारा शरीर; जो हम सभी के लिए हमारी शारीरिक पोशाक है, अक्सर हमारे स्वयं या दूसरों के द्वारा परखा जाता है, कभी कभी आलोचना या
क्या मैं स्वयं से संतुष्ट हूँ – जीवन में आगे बढ़ने के लिए स्वयं से, अपने संस्कारों से, अपने विचारों, शब्दों और कार्यों से तथा
वर्ल्ड ड्रामा एक ऐसा नाटक है जिसे सभी आत्माएं पृथ्वी ग्रह पर अवतरित होकर खेलती हैं और जिसके चार चरण वा युग होते हैं –
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