
गणेश चतुर्थी का आध्यात्मिक महत्व (भाग 3)
श्री गणेश का बड़ा पेट समाने की शक्ति को दर्शाता है, जिसका अभिप्राय है कि, हमें लोगों की कमजोरियों और उनके गलत कार्यों के बारे
हम सभी के संस्कार और दृष्टिकोण अलग-अलग होने से रोज़मर्रा की बातचीत में मतभेद उत्पन्न होते हैं। ऐसे में अगर हम अपनी बात को साबित करने और सामने वाले की आलोचना करने में अहंकार को लाते हैं, तो चर्चा बहस में बदल जाती है। लेकिन अगर हम भावनात्मक रूप में स्थित रहकर लोगों की बात सुनकर फिर बोलते हैं, तो मतभेदों के बावजूद हमारी बात -चीत अच्छी दिशा में आगे बढ़ती है। जब आप किसी की बात से असहमत होते हैं, तो बात- चीत के दौरान, आप कहां तक शांति से दूसरे व्यक्ति की बात सुन सकते है? क्या आप अपना संतुलन खो देते है और आप अपनी बात को साबित करने के लिए बहस करते हैं? साथ ही, क्या लंबी बहस सार्थक लगती है? अपनी बात रखना महत्वपूर्ण है, लेकिन स्वस्थ चर्चा के लिए हमें समय लेकर, स्थिति को समझ कर, फिर बोलने की आवश्यकता है। हमें यह निष्कर्ष निकालने से पहले कि वे गलत हैं, उनकी राय सुनने की भी आवश्यकता है। बहस करने की अपेक्षा विनम्र होने में अधिक समझदारी है। विनम्रता हमारी भावनाओं को बेहतर बनाती है। अन्यथा यह हमारी राय के सही होने के बजाय, हमारे अहंकार को सिद्ध करने का कारण बन जाता है। बहस/ तर्क अहंकार से उत्पन्न होते हैं और एक श्रेष्ठ बात- चीत को प्रभावित कर सकते हैं। हमें ये याद रखना चाहिये कि हर एक अपने-अपने नजरिए से सही है और यह हमें दूसरों की बात को सम्मान देने में मदद करता है, शांति से अपनी बात रखने और मतभेदों को शांति से स्वीकारने में मदद करता है।
पूरे दिन भर लोगों के साथ रहना, उनके साथ काम करना या फिर अनजान लोगों से भी मेल-जोल रखते हुए, अपने मन का ख्याल रखें। यदि मतभेद हों तो भी अपनी बात को शांति से सबके सामने रखें। अपने दृष्टिकोण के साथ- साथ दूसरों के दृष्टिकोण को भी समझें। यदि आप अभी भी उनकी राय से सहमत नहीं हैं, तो अपने मतभेदों को सम्मान देते हुए, उनके दृष्टिकोण को भी सम्मान के साथ स्वीकार करें। हमेशा यह समझें कि हम सभी अपने -अपने संस्कारों और दृष्टिकोण से अपनी बात रखते हैं। हम में से कोई भी गलत नहीं है, बल्की अलग हैं। इस समझ के द्वारा, बहस के वातावरण से बचने के लिए, कछुए के समान अपने भीतर स्थिर हो जाएं। इसे विवाद में न बदलने दें। अपने अहं को संतुष्ट और स्वयं को सही सिद्ध करने के लिए बहस में ना पडे और अपनी खुशी और सेहत को नष्ट न करें। दूसरे व्यक्ति के प्रति सम्मान और सहमति के वाईब्रेशंस दें और अपने श्रेष्ठ वाईब्रेशंस से उनके अशांत मन को ठीक करें। अच्छी भावना रखते हुए उस घटना को अपने दिमाग से निकाल दें। इस बात की कोई भावनात्मक प्रतिक्रिया न होने दें। हमेशा सभी के साथ ऐसा करें।
श्री गणेश का बड़ा पेट समाने की शक्ति को दर्शाता है, जिसका अभिप्राय है कि, हमें लोगों की कमजोरियों और उनके गलत कार्यों के बारे
कल हमने श्री गणेश जी के जन्म का सही अर्थ जाना कि, कैसे शंकर जी ने उनका सिर काटकर उनके धड़ पर हाथी का सिर
हम सभी “श्री गणेश” के आगमन और जन्म को बड़ी आस्था और उत्साह के साथ मनाते हैं, और उनसे अपने जीवन के विघ्नों को नष्ट
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