ब्रह्माकुमारिज़ का 7 डेज कोर्स (भाग 1)

ब्रह्मा कुमारिज़ का 7 डेज कोर्स (भाग 1)

हम सभी आध्यात्मिक छात्र हैं जो प्रतिदिन परमात्मा से आध्यात्मिक ज्ञान सुनकर,  मेडिटेशन का अभ्यास करते हैं, जो कि उनके साथ हमारा आध्यात्मिक मिलन है। हमारे जीवन की सुंदरता और आनंद; आध्यात्मिक जीवन के इन दो पहलुओं की वजह से है। परमात्मा के द्वारा इन दो सिद्धियों का उपहार हमें वर्तमान समय में मिलता है, जब वह विश्व परिवर्तन के अपने महान कार्य के लिए; अपनी बुद्धि, पवित्रता और शक्तियों से दुनिया को एक सुंदर स्वर्ग बना रहे हैं। इन दो परमात्म प्राप्तियों से, हम अपने वर्तमान जीवन के संस्कारों को शुद्ध और परिपूर्ण बनाकर अपनी डिवाइन एवेयरनेस बनाते हैं। वह हमें परिवर्तन का यह मार्ग दिखाते हैं। लेकिन इसके लिए हम कौन सा रास्ता लें, शुरुआत कहाँ से करें? तो आइए जानें कि ब्रह्मा कुमारिज़ में, हम अपनी आध्यात्मिक यात्रा की शुरुआत; 7 दिनों के एक प्रारंभिक आध्यात्मिक कोर्स के साथ करते हैं, जो हमें आध्यात्मिक ज्ञान और मेडिटेशन की तकनीक के विभिन्न पहलुओं  में डिटेल में बताता है।

तो कोर्स की शुरूआत में हम सीखते हैं, कि हम एक फिज़ीकल बॉडी; जो फिजीकल मैटर से बनी है न होकर, वास्तव में एक आध्यात्मिक ऊर्जा या आत्मा हैं। जैसे कि ड्राइवर कार चलाता है, मैं इस शरीर को चलाने वाली और नियंत्रण करने वाली आत्मा हूं, और अपने शरीर के विभिन्न अंगों जैसे कि, अपने ब्रेन और सेंस ऑरगन जैसे कि आंख, कान, जीभ, नाक, हाथ और पैर के माध्यम से अलग-अलग क्रियाएं करती हूं। मैं, एक नॉन फिज़ीकल एनर्जी यानि आत्मा हूँ, जिसमें एक मन है; जो सोचता और महसूस करता है, बुद्धि जो न्याय करती है, ज्ञान को आत्मसात करती है, कल्पना करती है और संस्कार या आंतरिक व्यक्तित्व बनाती है। मेरा रूप एक दिव्य प्रकाश की ज्योति है, जो फिज़ीकल आँखों से दिखाई नहीं देती, और मेरे ऑरिजिनल आत्मिक गुण शांति, आनंद, प्रेम, ख़ुशी, पवित्रता, शक्ति और ज्ञान हैं, जिन्हें मैंने कई जन्मों और पुनर्जन्मों के चक्र में, अलग-अलग जन्मों में, अलग-अलग भौतिक शरीरों में आते-आते खो दिया है। साथ ही, हम यह भी सीखते हैं कि हमारा ऑरिजिनल और एटर्नल, आध्यात्मिक घर;  सोल वर्ल्ड, निराकार व शांति की दुनिया है, जिसे परमधाम, निर्वाणधाम या शांतिधाम भी कहा जाता है, जहाँ से हम अपनी अलग-अलग भूमिकाए निभाने के लिए, इस फिज़िकल वर्ल्ड में आते हैं। साथ ही, हम इस सृष्टि में होने वाले, वर्ल्ड ड्रामा के चार अलग-अलग युगों में अपनी अलग-अलग भूमिकाओं या जन्मों को समझते हैं, और जानते हैं कि इस वर्ल्ड ड्रामा में, कोई भी मनुष्य आत्मा अधिकतम 84 जन्म ले सकती है। अंत में, परमात्मा हमें बताते हैं कि हम केवल मनुष्यों के रूप में पैदा हुए हैं, न कि जानवरों, पक्षियों या कीड़ों की किसी भी अलग प्रजाति के रूप में। क्योंकि हम मानव शरीर में ही रोल निभाने के संस्कार रखते हैं। और साथ ही हम यह भी जानते हैं कि, कैसे हम अपने शुरु के जन्मों में देवी- देवता थे, न कि वानर या बंदर जैसा कि आमतौर पर माना जाता है। और जन्म और पुनर्जन्म के चक्र में आते हुए, अपनी ऑरिजिनल सोल एवेअरनेस, पवित्रता और दिव्य गुणों को खोने के बाद में हम उन्हीं देवी- देवताओं की पूजा करने लगे।

(कल जारी रहेगा…)

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