
परमपिता परमात्मा: हमारे सर्वोच्च माता पिता
क्या आपका आत्म-सम्मान हार और जीत पर निर्भर करता है? इसे बदलें! खुद को आध्यात्मिक दृष्टिकोण से देखने का तरीका जानें, आत्मा की शक्ति को पहचानें, और हर कर्म को खुशी से करें।
हम सभी महान वक्ता (speaker) हो सकते हैं, लेकिन क्या हम एक अच्छे श्रोता (listener) हैं? एक संपूर्ण बातचीत (communication) का मतलब; केवल हमारा अच्छी तरह से बोलना और किसी को हमारी बातों को समझने की क्षमता के बारे में नहीं होता है। इसके अलावा, दूसरों को सुनना ज्यादा जरूरी है। दूसरों को अच्छी तरह से सुनने से; हम लोगों के इरादों को पहचान कर, मुद्दों को सुलझा कर, मजबूत रिश्ते बना पाएंगे । क्या आपको लगता है कि आप स्वयं अधिक बोलते हैं और दूसरों को कम सुनते हैं? या फिर जब दूसरा व्यक्ति बोल रहा हो, तब भी आप अपने मन में कुछ सोचना शुरू कर देते हैं? सामने वाले की राय अलग होने पर क्या आप कभी-कभी उन्हें टोकते भी हैं? एक कहावत है कि हमारे पास दो कान और एक मुंह है, इसलिये हमें बोलने से ज्यादा सुनना चाहिए । लेकिन हमारी बढ़ती उम्र, पद, भूमिका और जिम्मेदारी के साथ हम सुनने की कला खोते जा रहे हैं। हम लोगों की बातें सुन सकते हैं, लेकिन हमारा मन, आंतरिक रूप से उनके द्वारा कही गई बातों को जज करके, प्रतिक्रिया तैयार करने लगता है। और चूँकि हमारा मन बात कर रहा होता है और हम सामने वाले को सुन नहीं रहे होते हैं, बलकि हम पहले से ही, उनके द्वारा कही बातों को अस्वीकार कर रहे होते हैं। सुनना माना; अपने मन को शांत करना, सामने वाले की एक अलग राय है उसे समझना और अपने दृष्टिकोण को अलग रख, उनकी राय का सम्मान करके, उनकी बातों को स्वीकार करना । और साथ ही हमारे मन में या फिर बाहर से कोई व्याकुलता दिखाई न दे । हम उनके विचारों को आत्मनिरीक्षण कर अपनी बात व्यक्त करें । सुनना माना; अपने विचारों को अलग रखते हुए, पूरे मन से लोगों की बात सुनें; भले ही वे आपको गलत लगें।
अपने साथ रहने वाले लोगों के साथ, काम करने वालों के साथ सुंदर रिश्ता बनाने के लिए, अच्छे कम्युनिकेशन की कला में महारत हासिल करें। सामने वाले की बात को ध्यान से सुनें, और साथ ही फोन, टीवी या कंप्यूटर में ध्यान न देकर, उन्हें एक तरफ रख कर और आंखों में देखकर बातें सुनें। सुनाने वाले के रूप पर, उनकी भाषा या ऐकसेंट पर ध्यान न दें, बल्कि हर शब्द को गौर से सुनें। उनकी बातों के वाईब्रेशन को महसूस करें, उन्हें समझने की कोशिश करें और बीच में रोक- टोक न करें और अपनी बारी की प्रतीक्षा करें। इसके अलावा, शांति और धैर्य से बातें सुनें और सुनिश्चित करें कि लोग आपसे बात करने में सहज महसूस करें। आपका कुशल श्रोता होने के गुण; आपको यह समझाने में मदद करेगा कि वे क्या कहना चाहते हैं, उनका इरादा क्या है, और वे आपसे क्या चाहते हैं, और साथ ही आपके पास प्रश्न होने की स्थिति में, अपनी टर्न की प्रतीक्षा करें और विनम्रता से पूछें। यह आपके कम्युनिकेशन को बेहतर, ट्रान्सपेरेन्ट और शांतिपूर्ण बनाए रखेगा और आपके बीच होने वाली हर बातचीत को, आपके और अन्य लोगों के लिए एक सुखद अनुभव बना देगा।
क्या आपका आत्म-सम्मान हार और जीत पर निर्भर करता है? इसे बदलें! खुद को आध्यात्मिक दृष्टिकोण से देखने का तरीका जानें, आत्मा की शक्ति को पहचानें, और हर कर्म को खुशी से करें।
क्या आपका आत्म-सम्मान हार और जीत पर निर्भर करता है? इसे बदलें! खुद को आध्यात्मिक दृष्टिकोण से देखने का तरीका जानें, आत्मा की शक्ति को पहचानें, और हर कर्म को खुशी से करें।
क्या आपका आत्म-सम्मान हार और जीत पर निर्भर करता है? इसे बदलें! खुद को आध्यात्मिक दृष्टिकोण से देखने का तरीका जानें, आत्मा की शक्ति को पहचानें, और हर कर्म को खुशी से करें।
अपने दिन को बेहतर और तनाव मुक्त बनाने के लिए धारण करें सकारात्मक विचारों की अपनी दैनिक खुराक, सुंदर विचार और आत्म शक्ति का जवाब है आत्मा सशक्तिकरण ।
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