अंदर के ‘मैं’ का अहसास और अनुभव (भाग 3)
यदि हम अपने जीवन का अधिकांश समय अपनी विशेषताओं, अपने व्यक्तित्व या अपनी भूमिका को निभाने में या उनसे जुड़े रहते हैं, तो समय के
कभी-कभी जब हम लोगों की अपेक्षाओं पर खरा नहीं उतरते, तो स्वयं को बोझिल महसूस करते हैं। हमारे जीवन में हमारे माता-पिता, शिक्षकों, दोस्तों, जीवनसाथी, कार्यालय के सहयोगियों, बच्चों और कई अन्य लोग हमसे अपेक्षाएँ रखते हैं। वे उसके अंतर्गत, हमारी पसंद और निर्णयों को भी कंट्रोल करने लगते हैं। हममें से बहुत लोग, दूसरो की उम्मीदों पर खरा उतरने की कोशिश करते हैं, लेकिन ज्यादातर पूरी तरह सफल नहीं हो पाते हैं। हम हर समय हर किसी को खुश नहीं रख सकते, इसलिए उनकी जरूरतों को पूरा करने की कोशिश करना हमें थका सकता है। आईये इसके विषय में बारीकी से समझें-
यदि हम अपने जीवन का अधिकांश समय अपनी विशेषताओं, अपने व्यक्तित्व या अपनी भूमिका को निभाने में या उनसे जुड़े रहते हैं, तो समय के
हम सभी को स्वयं को दूसरों के नजरिए से, दृष्टिकोण से देखने की आदत हो चुकी है, जो शारीरिक दृष्टिकोणों पर आधारित है और सांसारिक
हम सभी अपना जीवन बहुत तेज़ी से जीते हैं, एक दृश्य के समाप्त होते ही अगले दृश्य में चले जाते हैं, फिर पहले दृश्य को
अपने दिन को बेहतर और तनाव मुक्त बनाने के लिए धारण करें सकारात्मक विचारों की अपनी दैनिक खुराक, सुंदर विचार और आत्म शक्ति का जवाब है आत्मा सशक्तिकरण ।
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