
अपने शरीर का सम्मान करने की कला
हमारा शरीर; जो हम सभी के लिए हमारी शारीरिक पोशाक है, अक्सर हमारे स्वयं या दूसरों के द्वारा परखा जाता है, कभी कभी आलोचना या
यह समय कलियुग का अन्त समय है जब परमात्मा हमें राजयोग सिखा रहे हैं। भारत में लंबे समय से राजयोग; अपने विभिन्न रूपों के माध्यम से अस्तित्व में रहा है और कई आत्माओं ने इससे लाभ उठाया है। परन्तु कोई भी स्पष्ट रूप से नहीं जानता कि, वास्तविक राजयोग परमात्मा ने ही 5000 वर्ष पहले सिखाया था, जब हम कलियुग के अन्त में थे। साथ ही, यह भी कोई नहीं जानता कि राजयोग सीखने, इसका अभ्यास करने और इसके चार सब्जेक्ट को अपने जीवन में अपनाने से हमारी आत्माएँ शुद्ध होती हैं। और फिर आखिर में आत्माएं शुद्ध होने के बाद, अपने निज स्वरूप पवित्रता, शांति, प्रेम और आनंद की उच्च एवेअरनेस में चली जाती हैं और फिर स्वर्ण युग या सतयुग का निर्माण होता है। यह पूरे 5000 वर्ष पहले हुआ था और, अब हम फिर से कलियुग के अंत में आ पहुंचे हैं, और विश्व की सभी आत्माएँ 5000 वर्षों के चक्र में कई जन्मों की यात्रा करके अशुद्ध हो चुकी हैं। तो अब फिर से परमात्मा हमें राजयोग और उसके 4 सब्जेक्ट के द्वारा सतयुग की स्थापना कर रहे हैं। ये सब्जेक्ट क्या हैं और इनका क्या महत्व है?
आइये समझते हैं –
(कल भी जारी रहेगा…)
हमारा शरीर; जो हम सभी के लिए हमारी शारीरिक पोशाक है, अक्सर हमारे स्वयं या दूसरों के द्वारा परखा जाता है, कभी कभी आलोचना या
क्या मैं स्वयं से संतुष्ट हूँ – जीवन में आगे बढ़ने के लिए स्वयं से, अपने संस्कारों से, अपने विचारों, शब्दों और कार्यों से तथा
वर्ल्ड ड्रामा एक ऐसा नाटक है जिसे सभी आत्माएं पृथ्वी ग्रह पर अवतरित होकर खेलती हैं और जिसके चार चरण वा युग होते हैं –
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