
आंतरिक सुंदरता (इनर ब्यूटी) के तीन दर्पण (भाग 4)
तीसरा दर्पण; आपके स्वयं के थॉट्स, बोल और कर्मों का दर्पण है, जो आप अपने और दूसरों के बारे में सोचते और महसूस करते हैं;
हम सभी को महत्वपूर्ण और संतुलित जीवन जीने की कला यानि कि ‘अपनी संतुष्टि और अपनी इच्छाओं को संतुलित करने का कौशल’ सीखने की जरूरत है। तो आइए चेक करें और जानें कि, हम संतुष्टता के बारे में क्या कहते और समझते हैं, कि मेरे जीवन में सब कुछ ठीक हो जाए फिर मैं संतुष्ट हो जाऊंगा, या फिर क्या हम कहते हैं कि मैं अभी भी संतुष्ट हूं- और इसको और बेहतर बनाने की दिशा में काम करने के लिए भी तैयार हूं। संतुष्टता का मतलब यह नहीं है कि, हमें निश्चिंत होकर, कुछ भी हासिल करने की इच्छा न हो, बल्कि इसका मतलब है कि हम पहले से ही संतुष्ट हैं, और अपने भविष्य को और बेहतर बनाने के लिए- कड़ी मेहनत करने को तैयार हैं। क्या आपने ऐसे लोगों को देखा है जो अपने लक्ष्य में सफलता प्राप्त कर रहे हैं, जीवन में अच्छा कर रहे हैं, आरामदायक जीवन जी रहे हैं, लेकिन फिर भी कभी संतुष्ट नहीं हुए? और उसके विपरीत, क्या आप कभी किसी ऐसे व्यक्ति से मिले हैं जिसने शायद ही कुछ हासिल किया हो, लेकिन जीवन में बहुत संतुष्ट हो? तो क्या यह आपको संतुष्टता और जीवन में मिली प्राप्तीयों के बीच, किसी तरह का लिंक होने के बारे में बताता है? संतुष्टता इस बात से बिलकुल अलग है कि- हम कौन हैं, हमारे पास क्या है या हम क्या हासिल करते हैं। संतुष्टता एक ऐसा सुंदर गुण है, जिसमें आप उस एक क्षण में- आपके पास जो भी है उससे खुश होने के साथ-साथ, उसे बेहतर बनाने के लिए काम करते हैं। हमारे मन की संतुष्टता कभी भी, किसी भी बाहरी परिस्थितियों और लोगों की राय पर निर्भर नहीं होनी चाहिए। लेकिन इसके साथ ही, संतुष्ट होने का अर्थ यह नहीं है कि हम हर काम में पीछे हट जाएं, सुस्त हो जाएं, जीवन में आगे बढने की कोशिश करना छोड दें या हमारे पास जो है- जितना है, उससे संतुष्ट हो जाएं। इसका सीधा सा मतलब है कि, इस समय जो कुछ भी हो रहा है जैसे कि – हम कौन हैं, हमारे साथ और हमारे आसपास क्या हो रहा है, और हम जिनके साथ हैं – जो जैसा है. सब कुछ अच्छा है लेकिन हम चीजों को और बेहतर बनाने के लिए भी तैयार हैं। तो, संतुष्ट होने के लिए बस एक विचार की जरुरत है। आपकी संतुष्टता की एनर्जी, हर परिस्थिति में आपकी पोजिटीविटी और शक्तियों को बढ़ाएगी।
इसके लिए, दिन की शुरुआत करने से पहले, स्वयं को हर रोज याद दिलाएं कि, आप एक संतुष्ट प्राणी हैं। हमेशा अपने जीवन के हर सीन से संतुष्ट रहें, जैसे कि- आपके साथ, आपके काम के साथ, आपके परिवार के साथ, आपके आस-पास के लोगों के साथ क्या हो रहा है? मानें कि सब कुछ ठीक है- वैसे ही हो रहा है जैसा होना चाहिए, आप भरपूर हैं- आपके पास सबकुछ पर्याप्त है और आपके आस-पास के लोग और परिस्थितियां सही हैं। आपकी संतुष्टि, आपके भीतर की खुशी और शांति का दर्पण है। संतुष्टता का अनुभव करने के लिए, बाहरी चीजों का ठीक होना मेटर नहीं करता। अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में काम करते हुए; शांति, प्रेम और खुशी के अपने मूल्यों से कभी समझौता न करें। आपकी संतुष्टि इस बात पर निर्भर नहीं है, कि आपने क्या हासिल किया है, आपके पास जो है उससे संतुष्ट रहें। संतुष्ट रहते हुए, और अधिक काम करें, स्वस्थ आदतों को अपनाएं, नई स्किल सीखें, अर्थपूर्ण लक्ष्यों को प्राप्त करें और आत्म-सुधार पर काम करें। हर सीन में बेस्ट वाईब्रेशन रेडीएट करते हुए, मन की शांति, पवित्रता और शक्तियों का संचार करते हुए, जीवन में आने वाले हर सीन को पोजिटीविटी से भर दो। प्रतिस्पर्धा करने के बजाय सभी का सहयोग करें। आपके अंदर की पोजिटीविटी और लोगों की दुआएं, आपको हमेशा संतुष्ट, खुश और सफल रखने में मदद करती हैं।
तीसरा दर्पण; आपके स्वयं के थॉट्स, बोल और कर्मों का दर्पण है, जो आप अपने और दूसरों के बारे में सोचते और महसूस करते हैं;
पिछले दो दिनों के संदेशों द्वारा; हमने आंतरिक सुंदरता के प्रथम दर्पण – आध्यात्मिक ज्ञान के दर्पण को जाना। हमारा दूसरा दर्पण है; योग का
कल के सन्देश में हमने पहले दर्पण, आध्यात्मिक ज्ञान के दर्पण की चर्चा की थी। यह दर्पण आपको परमात्मा को भी दिखाएगा और साथ ही
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