ब्रह्माकुमारिज़ का 7 डेज कोर्स (भाग 4)

ब्रह्मा कुमारिज़ का 7 डेज कोर्स (भाग 4)

वर्ल्ड ड्रामा में सतयुग और त्रेतायुग के बाद के 2 युग जोकि अगले 2500 वर्ष होते हैं, जिसमें स्वर्ग में रहने वाले देवताओं या दिव्य मनुष्यों की सोल एवेयरनेस बॉडी एवेयरनेस में चेंज हो जाती है और अब वे मनुष्य कहलाते हैं न कि देवी देवता। इसके साथ वे अब नॉन फिज़िकल निराकार परमात्मा, स्वर्ग में रहने वाले पवित्र देव-आत्माओं की मूर्तियों और अन्य दिव्य आत्माओं/ संतों; जो द्वापर या कलियुग आते हैं और इस दुनिया को दिव्य संदेश देकर भक्तिमार्ग शुरू करते हैं और मूर्ति की पूजा अर्चना करना भी शुरू कर देते हैं। अब इस दुनिया को हेल व नरक कहा जाता है क्योंकि यहाँ अपवित्रता, दुःख और अशान्ति है और स्वर्ग की सभी प्राप्तियाँ धीरे-धीरे कम होती जाती हैं और 5000 वर्षों के अंत या कलियुग के अंत में, जोकि वर्तमान समय है। जहाँ स्वर्ग में एक राज्य, एक धर्म और एक भाषा है और देवताओं में पूर्ण एकता है, वहीं नरक में, अलग-अलग सरकारें, धर्म और भाषाएं हैं, और लोगों में एकता और एकजुटता की कमी है।

केवल परमात्मा ही इस वर्ल्ड ड्रामा को स्पष्ट रूप से जानते हैं और बाकी सब कुछ, जो हम इस ड्रामा, इसकी ड्यूरेशन,  इसके विभिन्न युगों के बारे में सुनते या जानते हैं, वे सब मनुष्य की धारणा के अनुसार हैं और, उनके परमात्मा के साथ के अनुभव पर आधारित अपने व्यक्तिगत संबंध और विवरण हैं। यही कारण है कि द्वापर और कलियुग में सोल वर्ल्ड से आई हुई; सभी दिव्य आत्माएं और पवित्र धार्मिक और आध्यात्मिक आत्माएं; एक जैसे ज्ञान की बातें नहीं करतीं। वास्तव में, द्वापरयुग और कलियुग में दिव्य आत्माएं द्वारा लिखे गए सभी आध्यात्मिक शास्त्र; आत्मा, परमात्मा और वर्ल्ड ड्रामा के बारे में अलग-अलग ज्ञान देते हैं। वर्तमान समय में, जब हम सभी कलियुग के अंत में हैं, तब परमात्मा स्वय आकर सत ज्ञान देते हैं, जोकि द्वापर युग और कलियुग में दी गई सभी शिक्षाओं का सार है। कलियुग के इस अंतिम समय में, जब अशान्ति, दु:ख-दर्द और पाप अपनी चरम सीमा पर हैं और सभी के जीवन के लिए आवश्यक; अन्न, जल, स्वच्छ वायु और विभिन्न भौतिक शक्तियों जैसे संसाधनों के अभाव के कारण संसार अत्यधिक जनसंख्या से ग्रस्त है और जहाँ जीवन मुश्किल हो रहा है। साथ ही, ग्लोबल वार्मिंग और क्लाइमेट चेंज के कारण दुनिया जोखिमों का सामना कर रही है और अन्य नेचुरल कैलेमिटीज और युद्धों के जोखिम भी हैं।

(कल जारी रहेगा…)

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