सबके लिए अच्छाई का भाव रखें (भाग 1)

सबके लिए अच्छाई का भाव रखें (भाग 1)

हम सभी दिन की शुरुआत से लेकर रात तक, दूसरों के साथ बात- चीत करते हुए कर्म करने के साथ-साथ, कई तरह के विचार पैदा करते हुए जीवन जीते हैं। तो जितना अधिक हम अपने सभी विचार, शब्द और कर्म; सुंदर गुणों के रंग से भरते हैं, उतना ही अधिक हमारा जीवन, उन सभी के लिए प्रेरणा बन जाता है जिनके साथ हम बातचीत करते हैं और जीवन में अच्छाई के कई अनुभव साझा करते हैं। आइये, इसको एक उदाहरण से समझें: एक बार एक छोटा लड़का, अपने घर के लिए कुछ सामान खरीदने बाजार जा रहा था और जब वह दुकान में था, तो उसने देखा कि कुछ पैसे फर्श पर गिरे हुए हैं, जो उसके नहीं थे। फिर जब उसने पैसे उठाकर दुकानदार से इसके बारे में पूछा, तो दुकानदार ने कहा यह मेरे पैसे है, मुझे वापस दे दो। जैसे ही उस लडके ने पैसे लौटाए, तो उन पैसों का असली मालिक- पैसे वापस लेने के लिए दुकान पर आ गया। अब इस मासूम लड़के को आश्चर्य हुआ और उसने दुकानदार से इसके बारे में पूछा, लेकिन उसे झूठा जवाब मिला। फिर उसे अपने माता-पिता की कही बात याद आ गई कि, इस दुनिया में सभी लोग सद्गुणता  से व्यवहार नहीं करते, वे कई बार झूठ  का सहारा लेकर, अच्छे होने का दिखावा करते हैं।

उस छोटे बच्चे की तरह, कभी-कभी हम सभी भी स्वयं को, ऐसे दुर्गुणों वाले बहुत से झूठे लोगों से घिरा हुआ पाते हैं और कभी-कभी हम निराश भी हो जाते हैं कि, इस दुनिया में अच्छाई है भी या नहीं? यहाँ तक कि, परमात्मा भी ऊपर से इस दुनिया में बढ़ती हुई खामियों को देखते हैं। और संपूर्ण मानवता के मात-पिता के रूप में, उनकी पवित्र और प्यारी इच्छा है कि वह इस दुनिया में मौजूद नेगेटिविटी के बारे में चिंता न करते हुए- इसके परिवर्तन की शुभ आस रखते हैं। साथ ही, उनके पास इस दुनिया में मौजूद; कड़वाहट, असत्यता, अहंकार, ईर्ष्या और घृणा को अच्छाई, मिठास, शुभकामनाओं और प्रेम में बदलने के लिए ज्ञान, प्रेम और शक्ति है। तो आइए, कल आने वाले संदेश में, उनका दृष्टिकोण देखें।

(कल जारी रहेगा…)

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