
अपने शरीर का सम्मान करने की कला
हमारा शरीर; जो हम सभी के लिए हमारी शारीरिक पोशाक है, अक्सर हमारे स्वयं या दूसरों के द्वारा परखा जाता है, कभी कभी आलोचना या
आजकल प्रसिद्ध व्यक्तित्वों जैसे कि अभिनेता, खिलाड़ी, राजनेता, साधू-संत इत्यादि को उनकी विशेषताओं के कारण कई लोगों द्वारा लंबे समय तक पसंद और याद किया जाता है। यहां तक कि आप अपने दैनिक जीवन में भी, दूसरों की तुलना में अधिक विशिष्टताओं (specialties) वाले व्यक्तित्वों को याद करते हैं। लेकिन इन सबमें परमात्मा सबसे अधिक संपूर्ण और प्रभाव पूर्ण व्यक्तित्व है जिसका आध्यात्मिक अस्तित्व है, नाकि भौतिक। उनसे अधिक विशेषताओं और गुणों से सम्पन्न कोई नहीं है। यही कारण है कि वे एक ऐसी एनर्जी व व्यक्तित्व हैं जिन्हें पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा याद किया जाता है।
उपरोक्त बताए गए व्यक्तित्व (अभिनेता, खिलाड़ी, राजनेता, साधू-संत), सभी का भौतिक (physical) व्यक्तित्व हैं और वे कुछ लोगों द्वारा ही याद किए जाते हैं लेकिन सभी के द्वारा नहीं और उनकी विशेषताओं के साथ-साथ उनमें निश्चित रूप से कुछ कमजोरियां भी होती हैं। साथ ही, वे इतने व्यस्त होते है कि आप उनसे कुछ मिनटों के लिए भी मुश्किल से मिल सकते है। परंतु हमारा परमात्मा संपूर्ण और संपन्न व्यक्तित्व है और वह आपकी आध्यात्मिक यात्रा की शुरूआत से ही आपका मित्र बन जाता है। वह एक ऐसा सर्वोच्च व्यक्तित्व है जो एक ही समय में, एक समान यात्रा करने वाले लाखों लोगों को मिल सकता है, वो इसलिए नहीं कि वह सर्वव्यापी माना हर जगह मौजूद है, बल्कि इसलिए कि वह एकमात्र सर्वशक्तिमान (सबसे शक्तिशाली) है और केवळ उसके पास ही ये क्षमता है। तो इस यात्रा की एक विशेषता यह है कि जितना अधिक आप इस पर आगे बढ़ते है और जितना अधिक समय परमात्मा के साथ अपनी नई आध्यात्मिक यात्रा में बिताते है, आप अपने जीवन को परमात्मा के व्यक्तित्व की विशेषताओं से लगातार, यात्रा को सुखद और ताजा बनाते जाते है। तो एक बार, इस नई यात्रा की खोज शुरू होने के बाद, हर पल इस एहसास के साथ कि आगे क्या होने वाला है, आप एक सेकंड के लिए भी रुकते नहीं और इसे लगातार जारी रखने और खुशी का अनुभव करते रहने के लिए प्रेरित होकर आगे बढते जाते है!
हमारा शरीर; जो हम सभी के लिए हमारी शारीरिक पोशाक है, अक्सर हमारे स्वयं या दूसरों के द्वारा परखा जाता है, कभी कभी आलोचना या
क्या मैं स्वयं से संतुष्ट हूँ – जीवन में आगे बढ़ने के लिए स्वयं से, अपने संस्कारों से, अपने विचारों, शब्दों और कार्यों से तथा
वर्ल्ड ड्रामा एक ऐसा नाटक है जिसे सभी आत्माएं पृथ्वी ग्रह पर अवतरित होकर खेलती हैं और जिसके चार चरण वा युग होते हैं –
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