राजयोग के 4 सब्जेक्ट और उनके महत्व (भाग 3)

राजयोग के 4 सब्जेक्ट और उनके महत्व (भाग 3)

  1. कई प्रकार से दूसरों की सेवा करना – राजयोग का चौथा सब्जेक्ट है मन, वचन और कर्म से दूसरों की सेवा करना। जब हम इस आध्यात्मिक ज्ञान को समझकर और मेडीटेशन को गहराई से सीखकर अनुभूतियों को अनुभव करना शुरू करके दिव्यता, अच्छाई और आत्मा के ओरीजिनल दिव्य गुणों से भरपूर हो जाते हैं, तो अब हमें यह सबकुछ सभी आत्माओं को देना है जो हमने अपने परमात्मा से सीखा और आत्मसात किया है। हम इसे अपने विचारों और वाईब्रेशन, अपने शब्दों के द्वारा और दिन भर में किए जाने वाले कई प्रकार के कार्यों के माध्यम से कर सकते हैं। आध्यात्मिक मार्ग का अभिप्राय ही; स्वयं को भरपूर कर दूसरों के साथ साझा करने के बारे में है। यह दोनों हमें आध्यात्मिकता और उसके महत्व को और साथ ही परमात्मा को और अधिक गहराई से समझने में मदद करते हैं। परंतु यदि हम परमात्मा से जुडकर केवल स्वयं को भरपूर करते हैं और दूसरों के साथ बांटते नहीं, तो हमारी आध्यात्मिक समझ और गुण उतने नहीं बढ़ते- जितना स्वयं भरने और लोगों के साथ बांटने से बढ़ते हैं। इसके साथ ही, दान हमेशा स्वयं को ज्ञान, गुणों और शक्तियों से गहराई से भरकर ही देना चाहिए। अन्यथा, जब हम स्वयं भरपूर हुए बिना ही दूसरों के साथ साझा करते हैं, तो यह समय बीतने के साथ-साथ हमें सशक्त बनाने के बजाय, कमज़ोर कर देता है। सेवा एक बहुत ही महत्वपूर्ण विषय है क्योंकि यह आंतरिक जागृति लाती है, और हमें सभी से दुआएं और आशीर्वाद दिलाती है, जिससे हमारा जीवन पथ बाधाओं और कठिनाइयों से मुक्त हो जाता है।

इन संदेशों में बताए गये 4 विषयों के आधार पर राजयोग बनता है और ये हमें स्वयं परमात्मा द्वारा सिखाए जाते हैं। दुनिया भर में कई आत्माएं राजयोग को अपना कर अपना जीवन बदल रही हैं। राजयोग भारत के सभी ब्रह्माकुमारीज केंद्रों और 120 से अधिक देशों में सिखाया जाता है, और दुनिया भर की आत्माएं इन चार विषयों को अपनी डेली लाईफ में अपनाकर इससे लाभान्वित हो रही हैं। जो कोई भी ब्रह्माकुमारीज़ से जुडकर राजयोग का अभ्यास करता है, उसकी दैनिक दिनचर्या घर पर सुबह के समय मेडीटेशन के अभ्यास से शुरू होती है, फिर वे तैयार होकर निकटतम ब्रह्माकुमारीज़ केंद्र में जाकर आध्यात्मिक ज्ञान सुनते हैं, उसके बाद, हर कोई परमात्म याद में अपने दैनिक कर्म जैसे कि; परिवार की देखभाल करना, अपने कार्यालय या कार्यस्थल पर जाना, घर की अन्य गतिविधियाँ करना और अपने शरीर की देखभाल करना आदि पूरा करते हैं। साथ ही, शुद्ध खान-पान और जल्दी सोने और जल्दी उठने की आदतों के माध्यम से हर राजयोगी शुद्ध जीवनशैली अपनाता है। राजयोगी जीवन का उद्देश्य; स्वयं की आत्मा को शुद्ध करना और अन्य आत्माओं को भी स्वयं को शुद्ध करने के लिए मार्गदर्शित करना है।

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24th jan 2025 soul sustenence hindi

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