सबके लिए अच्छाई का भाव रखें (भाग 2)

सबके लिए अच्छाई का भाव रखें (भाग 2)

परमात्मा इस संसार को हम सबसे अधिक प्रेम करता है। वह इस दुनिया के प्रत्येक व्यक्ति को हमसे ज्यादा प्यार करता है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि वह प्यार और दया का सागर है। जब हम संसार में कमियां देखते हैं तो कभी-कभी दुख, घृणा या क्रोध अनुभव करते हैं। हालाँकि, परमात्मा, संसार के अपने लाखों-अरबों बच्चों के मन की नेगेटिविटी को जानता है, लेकिन साथ ही, वह उनमें छिपी हुई अच्छाई और भलमंसाहत को भी पहचानता है, जिसे हम देख नहीं सकते। परमात्मा को दिखाई देने वाली अच्छाईयां आज भी और पिछले जन्मों में भी सब मनुष्यों के पास थी। अत:, परमात्मा जब संसार में क्रोध, अहंकार, ईर्ष्या, बदले की भावना, द्वेष देखते हैं, तो वे न किसी पर क्रोध करते हैं, न किसी से द्वेष करते हैं और न ही उन्हें कोई पीड़ा होती है।

तो, आइए हम इस संसार के बारे में, अपनी धारणाओं के बारे में सोचें और परमात्मा को देखते हुए, इस दुनिया और उसमें रहने वाले लोगों के प्रति, उनकी पोजिटीव धारणाओं से प्रेरणा लें। सभी अपने आप से कहें, कि जब हम अच्छे होंगे, तब ही इस दुनिया और इसमें रहने वाले लोगों में- जो हमारा शाश्वत परिवार है, अच्छाई देख पाएंगे, नाकि हम इस बात की चिंता करेंगे, कि इस दुनिया में अच्छाई और अच्छे लोगों के लिए जगह नहीं है और हमें अच्छा बने रहने के लिए, दुनिया का सहारा नहीं है। इस दुनिया में कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो अच्छाई को इसलिए छोड़ देते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि अगर वे इसे फालो करेंगे, तो अच्छी तरह से अपना जीवन नहीं जी पाएंगे और जीवन के हर क्षेत्र में पीछे रह जाएंगे। लेकिन दूसरी तरफ कुछ ऐसे लोग भी हैं जिनके साथ व उनके आसपास चाहे कुछ भी हो जाए, वे अच्छाई का दामन नहीं छोडते। तो, ऐसे लोगों को न केवल दुनिया, बल्कि परमात्मा भी बेहद प्यार और सम्मान की नजर से देखते हैं। कभी-कभी इस दुनिया में प्रेम का अनुभव होने में समय लग सकता है, लेकिन याद रखें कि, यदि आप परमातम प्रेम का आनंद लेने लगते हैं और उनकी गुडबुक में आपको जगह मिल गई, तो इस दुनिया के लोग देर-सबेर आपसे प्यार करेंगे ही। इसलिए हमेशा अच्छाई को चुनते हुए, हमेशा अच्छा करो, एक अच्छाई से भरा व्यक्तित्व बनो, जिससे न केवल दुनिया आपको पसंद और प्यार करेगी, बल्कि आप परमात्मा के भी प्रेम और सम्मान के हकदार होंगे।

(कल जारी रहेगा…)

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